घरघोड़ा. नगर पंचायत में हुए अध्यक्ष चुनाव में जहां बीजेपी की अनुपस्थिति कांग्रेस के लिए वाक ओवर साबित हुई वहीं निर्विरोध निर्वाचन के बीच ब्लॉक कांग्रेस के अध्यक्ष के नदारद रहने को लेकर चर्चा का बाजार गर्म है । 31 अगस्त को हुए चुनाव में जहां विधायक सहित जिले के अग्रपंक्ति के नेता उपस्थित रहे वहीं ब्लॉक अध्यक्ष का घरघोड़ा में रहते हुए भी अनुपस्थित रहना अपने आप मे कई सवाल खड़े करता है ।
गुटबाजी या सम्मान की खोज , क्या है असल मामला
नगर पंचायत चुनाव में जहां बीजेपी 4 पार्षदों के साथ पहले ही बाहर हो गयी थी वहीं काँग्रेस के अंदर कुछ अलग ही गणित चलने की विश्वस्त सूत्रों के हवाले से खबर है । सूत्रों की माने तो जहां कांग्रेस की ओर से अधिकृत प्रत्याशी के रूप मे सिल्लू चौधरी का नाम तय था वहीं कांग्रेस में ही एक महिला पार्षद को अध्यक्ष पद का दावेदार बनाने खिचड़ी पकाई जा रही थी यहां प्रश्न उठना लाजमी है कि जब सर्वमान्य रूप से सिल्लू चौधरी के नाम की घोषणा हो गयी थी फिर क्यों इस तरह गुटबाजी की कोशिशें की जा रही थी क्या ये अपने घटते प्रभुत्व की खीझ है या मनचाहा सम्मान न मिलने का बदला ,बहरहाल यह गुटबाजी आगे क्या गुल खिलाएगी ये देखने वाली बात होगी।
अलग राजनीति या आडवाणी बनने की राह
विधायक एवं अन्य नेताओं के समर्थित प्रत्याशी के जगह स्वयंभू बनकर महिला पार्षद को प्रत्याशी बनाने का गणित स्पष्ट बताता है कि अपनी अलग धुरी बनाने प्रयास कुछेक नेताओ द्वारा किये जा रहे है । सूत्र बताते हैं कि मनमाफिक सम्मान की चाहत पूरी न होने पर एवं दूसरे कांग्रेसी नेताओं के लोकप्रिय छवि को स्वयं से कमतर साबित करने किये जा रहे कार्य से ऐसे नेता स्वयं साइड लाइन में आ रहे हैं आने वाले समय मे ये नेता आडवाणी की तरह मार्गदर्शक मण्डल में दिखाई दे तो कोई अचरज नही होगा ।
साइडलाइन हो रहे या किये जा रहे !
विधायक एवं अन्य नेताओं के समर्थित प्रत्याशी के जगह स्वयंभू बनकर महिला पार्षद को प्रत्याशी बनाने का गणित स्पष्ट बताता है कि अपनी अलग धुरी बनाने प्रयास कुछेक नेताओ द्वारा किये जा रहे है । सूत्र बताते हैं कि मनमाफिक सम्मान की चाहत पूरी न होने पर एवं दूसरे कांग्रेसी नेताओं के लोकप्रिय छवि को स्वयं से कमतर साबित करने किये जा रहे कार्य से ऐसे नेता स्वयं साइड लाइन में आ रहे हैं आने वाले समय मे ये नेता आडवाणी की तरह मार्गदर्शक मण्डल में दिखाई दे तो कोई अचरज नही होगा ।