रायगढ़। लहरों के खिलाफ हौशलो के साथ तैरने वाली शख्सियत ओपी चौधरी ने पांच बरस पहले सोने का सिंहासन कलेक्टर का पद छोडक़र राजनीति के मैदान में कदम रखा।पहली बार जब गृह क्षेत्र आगमन के दौरान उन्होंने उस माटी को चूमा जिस माटी ने उनके हर निर्णय को मुकाम तक पहुंचाने में मदद की। आगमन के दौरान उमड़े जनसैलाब ने संदेश दिया कि छत्तीसगढ़ की राजनीति में नए युग की शुरुवात होने वाली है। काफीलो का शोर मानो उत्साह के शंखनाद में तब्दील हो गया। रायगढ़ जिले का माटी पुत्र जिसकी काबलियत का डंका पूरे देश में बजता हो उसे हर कोई मिलने के लिए उत्सुक नजर आ रहा था। घंटो की अनवरत यात्रा के दौरान उमड़े सैलाब ने मानो ओपी चौधरी से उनकी थकान छीन ली हो। अपार भीड़ के दौरान वे चोटिल भी हुए लेकिन उमंग उत्साह ने दर्द का एहसास ही भुला दिया। कलेक्टर का पद छोडक़र आज के ही दिन राजनीति के मैदान में आने वाले ओपी चौधरी ने यह अनोखा निर्णय छत्तीसगढ़ की दशा दिशा बदलने के लिए लिया। बतौर कलेक्टर उनकी विद्वता का लोहा यूपीए की मनमोहन सरकार ने माना तो वही एनडीए की मोदी सरकार ने भी उनके कार्यों की सराहना की। अपने इस मुकाम का श्रेय ओपी बड़े बुजुर्गों, गुरुजनों माताओं, बहनों और अपनी माटी को देते है।उनका मानना है कि इन उपलब्धियों के पीछे सभी के प्रेरणा है। सकारात्मकता निरंतरता कठिन परिश्रम पर विश्वास रखने वाले ओपी का मानना है सपने ऐसे ही जिसे पूरा किए बिना नींद नहीं आए या आपको सोने न दे। कार्य करने के लिए किसी पद की जरूरत नहीं बल्कि जज्बे की जरूरत है जो आपको आसानी से मंजिल तक ले जाती है। ओपी का मानना है कि सभी के हृदय में समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े लोगो के प्रति मदद की भाव अवश्य होना चाहिए। ऐसी भावना में ही समाज का कल्याण निहित है। राजनीति के आने के बाद ओपी ने छत्तीसगढ़ी में दिए मार्मिक उद्बोधन के दौरान कहा था आप मन के बेटा हर ,आप मन के भाई हर समाज बर सकारात्मक राजनीति और कुछ अच्छा करे बर अपन के 23 साल के नौकरी ल छोड़ के आप मन के बीच आ गिस हे। आप मन के ये बेटा अपन माटी के कर्ज चुकाना चाहत हे, ए माटी म वो ताकत हे जो आप मन के बेटा ला राजधानी रायपुर के कलेक्टर बनाके दिखाइस हे।