सारंगढ़। जिला सारंगढ़ बिलाईगढ़ के एडिशनल एसपी कमलेश प्रसाद चंदेल ने प्रेस को बताया कि अंग्रेजों के जमाने से लागू भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और साक्ष्य अधिनियम की जगह देश में 1 जुलाई से भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता तथा भारतीय साक्ष्य अधिनियम के रूप में तीन नये आपराधिक कानून लागू हो गए हैं। इसके साथ ही देश की न्याय प्रणाली से औपनिवेशिक युग का अंत हो गया है। नए कानून में दंड से अधिक न्याय पर जोर है। चंदेल ने बताया कि महिला और बच्चों से जुड़े अपराधों पर कठोर दंड का प्रावधान है। इसके प्रचार प्रसार के लिए दूरदर्शन, आकाशवाणी के समाचार बुलेटिनों कार्यक्रमों चर्चाओं, सोशल मीडिया प्लेटफार्म के माध्यम से प्रचार प्रसार किया गया।जनजाग्रुरूकता अभियान, संवाद कार्यक्रम, सूचनात्मक वेबसाइट का आयोजन किया गया। स्कूलों, कॉलेजों में इन कानूनों का पाठ्यक्रम मॉड्यूल शामिल किया गया है। नया आपराधिक कानून में जांच, मुकदमे और अदालती कार्यवाही में प्रौद्योगिकी पर जोर दिया गया है।
प्रेस को बताते हुए कमलेश चंदेल ने कहा कि – नये कानून लागू हो चुके हैं, लेकिन न्यायालयों में 1 जुलाई 2024 से पूर्व से लंबित प्रकरणों की सुनवाई आईपीसी, सीआरपीसी की पुरानी व्यवस्था के तहत ही चलेगी। ऐसे अपराध जो 1 जुलाई 2024 से पूर्व कारित किए गए किंतु सूचना 1 जुलाई के पश्चात दी गई उन्हें भी आईपीसी की तहत ही दर्ज किया जाएगा। सीआर पीसी की जगह लागू भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता बीएनएसएस के कुछ प्रावधानों में राज्य अपनी सुविधानुसार व आवश्यकता अनुसार कुछ सुधार कर सकते हैं। बीएनएसएस में गिरफ्तारी की प्रक्रिया, जमानत आदि का उल्लेख किया गया है। भारतीय न्याय संहिता 1860 के आईपीसी की जगह लेंगी।बीएनएस में पुरुषों तथा तृतीय लिंग के खिलाफ लैंगिक अपराधों के सेक्शन भी जोड़े जाएंगे। भारतीय साक्ष्य संहिता बीएस 1872 के एविडेंस एक्ट की जगह ली है। संज्ञेय अपराधों की सूचना अब सीआरपीसी की धारा 154 की जगह बीएनएसएस की धारा 173 के तहत दर्ज की जाएगी।
श्रीमान चंदेल जी आप बताएंगे नए कानून में क्या खास है ? एडिशनल एसपी चंदेल ने बताया कि – नए कानून में जीरो एफआईआर किया जाएगा। अब कोई भी व्यक्ति किसी भी थाने में प्राथमिकी दर्ज करा सकता है। भले ही अपराध उस थाने के अधिकार क्षेत्र में ना हुआ हो। गिरफ्तारी की सूरत में व्यक्ति को अपनी पसंद के किसी व्यक्ति को अपनी स्थिति के बारे में सूचित करने का अधिकार दिया गया है। ऑनलाइन रिपोर्ट कर सकते हैं। पुलिस ऑनलाइन रिपोर्ट दर्ज करेगी तथा अपराध स्थल की वीडियो ग्राफी अनिवार्य रूप से कराई जाएगी। कोई भी व्यक्ति पुलिस स्टेशन गए बगैर इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यम से रिपोर्ट दर्ज कर सकता है। 45 दिन में निर्णय नए कानून के तहत आपराधिक मामलों में फैसला मुकदमा पूरा होने के 45 दिन के भीतर आएगा।पहली सुनवाई के 60 दिन के भीतर आरोप तय किए जाएंगे। पुलिस घर पहुंच सेवा देगी 15 वर्ष से कम आयु के बच्चे, 60 वर्ष से अधिक के बुजुर्ग, दिव्यांग या गंभीर बीमारी से पीडि़त लोगों को थाने जाने की आवश्यकता नहीं होगी, पुलिस घर जाकर सहायता देगी।
श्रीमान् आपने आरंभ में बताया था कि महिलाओं और बच्चों से जुड़े अपराधों पर कठोर दंड का प्रावधान नये कानून में दर्ज है। चंदेल जी ने बताया कि नये कानून में धारा 375 व 376 की जगह बलात्कार की धारा 63 होगी। सामूहिक बलात्कार के लिए धारा 70 तथा हत्या की धारा 302 की जगह 101 रखी गई है। बलात्कार पीडि़ता का बयान महिला पुलिस अधिकारी अभिभावक या रिश्तेदार की मौजूदगी में लेंगी। 7 दिन में मेडिकल रिपोर्ट अनिवार्य है।नाबालिक से सामूहिक रेप पर मृत्युदंड का प्रावधान है।बच्चे खरीदना या बेचना जघन्य अपराध की श्रेणी में रखी गई है। महिलाओं से शादी का झूठा वादा करना या गुमराह करके छोडऩे के मामले में सजा का प्रावधान किया गया है। लिंग की परिभाषा में ट्रांसजेंडर को भी शामिल किया गया है।धोखेबाज प्रेमियों को 10 साल जेल की सजा हो सकती है। 21 नयें अपराध शामिल किए गए हैं। इस कानून में नयें अपराधों को जोड़ा गया है, मांब लिंचिग के खिलाफ पहली बार कानून बनाया गया है। 41 अपराधों में सजा को बढ़ाया गया है तथा 82 अपराधों में जुर्माना बढ़ाया गया है। कुल मिलाकर नया कानून जो दंड के बजाय न्याय को प्राथमिकता देती है।
औपनिवेशिक युग का अंत दंड की जगह न्याय पर जोर : चंदेल
