बिलासपुर। 10वें दीक्षांत भाषण में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने चंद्रयान मिशन के माध्यम से जीवन की सफलताओं के सूत्र बताएं। उन्होंने कहा कि भारत के चंद्रयान ने चंद्रमा की सतह पर सफल लैंडिंग की। इस पर बरसों से निष्ठापूर्वक काम होता रहा। मार्ग में रुकावटें आती रहीं। लेकिन हम नहीं रुके और हार नहीं मानी। ऐसा व्यक्तिगत जीवन में भी होता है। निरंतर दक्षता के साथ परिश्रम करते रहें। भले ही तात्कालिक असफलता मिले, कई चुनौतियों का सामना करें। फिर भी हताश न हो। नया मुकाम हासिल होता है।
जय जोहार कर शुरू किया उद्बोधन
राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने उद्बोधन की शुरुआत जय जोहार के साथ की। राष्ट्रपति ने कहा कि आज हमारा तिरंगा चांद पर पहुंच चुका है। यह ऐतिहासिक उपलब्धि का विषय है। इस उपलब्धि को किस तरह वैज्ञानिकों ने प्राप्त किया। इस संबंध में विश्वविद्यालय में आयोजन होने चाहिए। ताकि समाज में वैज्ञानिक दृष्टिकोण यानी साइंटिफिक टेंपर का निर्माण हो सके। यह संविधान के मूल कर्तव्यों में शामिल है। मुझे खुशी है कि इस विश्वविद्यालय में आधुनिक प्रयोगशालाएं हैं। यहां ऐक्सलरेटर आधारित रिसर्च सेंटर भी स्थापित की गई है। अपने अनुसंधान से यह विश्वविद्यालय दुनिया में अपनी पहचान बनाएं। जो देश विज्ञान और प्रौद्योगिकी को अपनाने में आगे रहेंगे, वे ज्यादा तरक्की करेंगे। हमारे स्पेस मिशन में हमें दुनिया से कुछ असहयोग का सामना भी करना पड़ा, फिर भी हम दृढ़ता से बढ़ते रहे।
चंद्रयान मिशन की तरह ही जीवन, सफलता चूमेगी कदम- राष्ट्रपति मुर्मू
