रायगढ़। अटल विहार में विवादित व्यक्ति को प्रभार देने पर उतारू सहकारिता विभाग ने केलो विहार में नहीं कराया चुनाव, समितियां भंग करने के बाद नए सिरे से घोटाला करने में माहिर सहकारिता विभागजिले में सहकारिता विभाग पैसों के गबन और शांत आर्थिक भ्रष्टाचार का गढ़ बन गया है। जांच के नाम पर मनमानी चरम पर है। केलो विहार शासकीय गृह निर्माण समिति मर्यादित की आर्थिक अनियमितता की जांच के आवेदन पर विभाग 2 साल से मौन है। अधिकारी को प्रभारी बनाकर जमीन विवाद होने दिया। अपने ही अधिकारी को अटल विहार गृह निर्माण रख-रखाव समिति विवाद में फंसता देख आनन-फानन में शिकायत के जांच की दिशा ही बदल दिया। वैसे भी यह गजब का विभाग है जो अवैध वसूली के पैसे तो लौटा देता है पर वसूलीबाज अधिकारियों पर आज डेढ़ साल बाद भी कोई कार्रवाई नहीं करता।
फिलहाल इन दिनों सहकारिता विभाग और उसके उप पंजीयक दो हाउसिंग सोसाइटी में अपने कारनामों को लेकर खूब चर्चा में हैं। जिस तरह से रायगढ़ विधायक ओपी चौधरी भ्रष्टाचार खत्म करने को एक्शन मोड़ में हैं संभव है सहकारिता विभाग में बड़े बदलाव के साथ कार्रवाई भी हो।
बहरहाल, सहकारिता विभाग ने कोतरा रोड के अटल विहार समिति को भंग कर दिया। अपने एक अधिकारी को वहां का प्रभारी बना दिया। मामला लगा कि अब शांत हो गया तो अब विभाग द्वारा वहां पर प्रभार उसी विवादित व्यक्ति को देने की तैयारी कर ली गई है। आरोप है कि इसके लिए बकायदा एक बड़ी रकम ली गई है। फिलहाल लोगों का विरोध सहकारिता विभाग के अधिकारी के आगे आ गया। इससे पहले भी अटल विहार समिति पर जांच के दौरान पैसे लेकर सहकारिता विभाग पर जांच की दिशा ही मोडऩे के आरोप लगे हैं। विवाद देखकर समिति को भंग करना विभाग का पुराना पैंतरा है।
जांच को लेकर अटल विहार के लोगों ने सहकारिता विभाग पर गंभीर आरोप लगाएं हैं जैसे कि आर्थिक अनियमितता का दोषी कौन है, उसके ऊपर एफआईआर दर्ज करने के लिए क्यों प्रतिवेदन नहीं भेजा। किन्होंने अटल विहार के लोगों से मेंटेनेंस के नाम पर अवैध वसूली की। समिति के पैसे को गलत तरीके से किन लोगों ने बैंक से निकाला क्या बैंक डिटेल नहीं ले सकता विभाग। मेंटेनेंस के नाम पर लाखों रूपए किसने डकारे। समिति में जब पुरानी कार्यकारिणी भंग हुई और अवैध रूप से नई कार्यकारिणी का मनोनयन हुआ को सहकारिता विभाग का कौन अधिकारी इसमें शामिल था।
इसी तरह दिसंबर 2023 से 400 सदस्यों वाली रायगढ़ की सबसे बड़ी हाऊसिंग सोसायटी केलो विहार की समिति भंग है। नियमानुसार समिति भंग होने से 6 महीने के भीतर चुनाव कराने की जिम्मेदारी उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं की होती है। लेकिन यहां भी एक साजिश की बू है आती है। केलो विहार में जिस ढाई एकड़ जमीन को लेकर उसके 33 हितग्राही परेशान हो रहे हैं उनकी जमीन पर कोर्ट से अपने पक्ष में डिक्री मिलने के बाद जनवरी 2023 से उक्त जमीन पर बोर्ड लगाने के लिए समिति से उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं को पत्र लिखा और यह भी को सारा खर्चा समिति उठाएगी। पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। और उक्त जमीन पर कब्जा तब हुआ जब केलो विहार की समिति में विभाग ने अपने अधिकारी निशा बेरीवाल को प्रभारी बनाया है। यह वही प्रभारी अधिकारी हैं जो बीते दिनों उक्त विवादित जमीन के सीमांकन में नहीं पहुंची जिसके कारण आज तक उस जमीन का सीमांकन नहीं हो पाया है। इन सभी कारणों से केलो विहार में जमीन के खेल में सहकारिता विभाग की भूमिका अहम हो जाती है। पर मजे कि बात यह है कि जब आरोप साबित हो जाते हैं तब फाइल गायब करके अपने लोगों को बचाने वाला विभाग सेफ हो जाता है तो इस मामले में तो तनिक भी तनाव में नहीं है। जिसके पास है वह आम आदमी है। इसके अलावा केलो विहार समिति में आर्थिक भ्रष्टाचार को लेकर हुई शिकायत भी विभाग के पास 2 साल से पेंडिंग है।
ऑडिट के नाम पर करोड़ों का खेल
धान और खाद के बंपर कमाई सीजन के अलावा पूरे साल विभाग ऑडिट-चुनाव-जांच के नाम पर विभाग त्योहार मनाता है। चाहे वह आंगनबाड़ी हो या कोई भी समिति ऑडिट का चिडिय़ा बैठाने का बकायदा कमीशन तय है। इस विभाग में भ्रष्टाचार इस ईमानदारी से होता है कि आप कागज़ में एक कमी नहीं खोज सकते सबका हिस्सा बराबर लगा है। इसके बाद भी किसी समिति के प्रबंधक ने आंख तरेरी या लेवी देने से मना किया तो ये एफआईआर करा देते हैं। उप पंजीयक कोई भी वह सबका साथ सबका विकास की धारा में चलते हैं। यही इस विभाग की रीति है। आमजन को इस विभाग से कोई लेना देना नहीं होता। बिना लाइम लाइट में आए यह विभाग बड़े-बड़े खेल कर देता है।