नई दिल्ली। देश में लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव (वन नेशन वन इलेक्शन) करवाने के प्रस्ताव को बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। बिल शीतकालीन सत्र यानी नवंबर-दिसंबर में संसद में पेश किया जाएगा।
कैबिनेट मीटिंग के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि ‘पहले फेज में विधानसभा और लोकसभा चुनाव साथ होंगे। इसके बाद 100 दिन के भीतर दूसरे फेज में निकाय चुनाव साथ कराए जाएं।
17 सितंबर को गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि सरकार इसी कार्यकाल में ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ लागू करेगी। 15 अगस्त को प्रधानमंत्री ने कहा था कि बार-बार चुनाव देश की प्रगति में बाधा पैदा कर रहे हैं। वन नेशन वन इलेक्शन पर विचार के लिए बनाई गई पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी ने 14 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। रिपोर्ट 18 हजार 626 पन्नों की है। पैनल 2 सितंबर 2023 को बनाया गया था। यह रिपोर्ट स्टेकहोल्डर्स-एक्सपर्ट्स से चर्चा के बाद 191 दिन की रिसर्च का नतीजा है। कमेटी ने सभी विधानसभाओं का कार्यकाल 2029 तक करने का सुझाव दिया है।
18 संवैधानिक बदलावों का सुझाव
कोविंद कमेटी ने 18 संवैधानिक बदलावों का सुझाव दिया है, इनमें से ज्यादातर में राज्यों की विधानसभाओं के सहमति की जरूरत नहीं है। कुछ संवैधानिक बदलावों के लिए बिलों को संसद में पास कराना जरूरी होगा। सिंगल इलेक्टोरल रोल और सिंगल वोटर आईडी कार्ड के लिए आधे से ज्यादा राज्यों की मंजूरी जरूरी होगी। संभव है कि कोविंद कमेटी की रिपोर्ट पर लॉ कमीशन भी अपनी रिपोर्ट पेश करे। सूत्रों का कहना है कि लॉ कमीशन 2029 में लोकसभा, विधानसभा, स्थानीय निकायों और पंचायत चुनाव एकसाथ कराने का सुझाव दे। इसके अलावा लॉ कमीशन गठबंधन सरकार और हंग असेंबली जैसी स्थिति आने पर नियम की मांग करे। अभी ऐसी है वन नेशन-वन इलेक्शन की संभावना एक देश-एक चुनाव लागू करने के लिए कई राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल घटेगा। जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव 2023 के आखिर में हुए हैं, उनका कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि विधि आयोग के प्रस्ताव पर सभी दल सहमत हुए तो यह 2029 से ही लागू होगा। साथ ही इसके लिए दिसंबर 2026 तक 25 राज्यों में विधानसभा चुनाव कराने होंगे।
कोविंद पैनल के 5 सुझाव…
सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल अगले लोकसभा चुनाव यानी 2029 तक बढ़ाया जाए।
हंग असेंबली (किसी को बहुमत नहीं), नो कॉन्फिडेंस मोशन होने पर बाकी 5 साल के कार्यकाल के लिए नए सिरे से चुनाव कराए जा सकते हैं।
पहले फेज में लोकसभा-विधानसभा चुनाव एकसाथ कराए जा सकते हैं, उसके बाद दूसरे फेज में 100 दिनों के भीतर लोकल बॉडी के इलेक्शन कराए जा सकते हैं।
चुनाव आयोग लोकसभा, विधानसभा, स्थानीय निकाय चुनावों के लिए राज्य चुनाव अधिकारियों के परामर्श से सिंगल वोटर लिस्ट और वोटर आई कार्ड तैयार करेगा।
कोविंद पैनल ने एकसाथ चुनाव कराने के लिए उपकरणों, जनशक्ति और सुरक्षा बलों की एडवांस प्लानिंग की सिफारिश की है।
राष्ट्रहित में है केंद्र सरकार का निर्णय-सीएम साय
केंद्रीय केबिनेट में वन नेशन वन इलेक्शन का प्रस्ताव मंजूर होने के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत में यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा ‘एक देश – एक चुनाव’ प्रस्ताव को स्वीकृति दिये जाने का मैं स्वागत करता हूं। देश के सशक्त लोकतंत्र में चुनावी व्यय को घटाने, राजनीतिक स्थिरता, संसाधनों का उपयोग राष्ट्रहित में करने और सतत विकास की दिशा में मोदी जी की सरकार का यह निर्णय अद्वितीय है। इस महत्वपूर्ण निर्णय के लिए आदरणीय प्रधानमंत्री जी का सहृदय आभार!
वन नेशन वन इलेक्शन संभव नहीं- टीएस सिंहदेव
रायपुर। देश में लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव (वन नेशन वन इलेक्शन) कराने के प्रस्ताव को बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। इस पर छत्तीसगढ़ के पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने इसे असंभव बताया है। उन्होंने कहा कि, यह प्रैक्टिकली नजर नहीं आ रहा है। आज के समय में संविधान में जो व्यवस्थाएं हैं, उसके तहत यह संभव ही नहीं है। सिंहदेव ने कहा कि, सरकारों का कार्यकाल 5 साल होगा। मान लीजिए 1 जनवरी 2025 को वन नेशन वन इलेक्शन के तहत सरकार बन जाती है, तो उन राज्यों का क्या होगा, जहां पर सरकार बीच में गिर जाती है। हो सकता है कि सरकार 2 साल बाद अगर गिर जाए, तो उनके लिए क्या किया जाएगा? अगला इलेक्शन तो 5 साल बाद होगा तो उन राज्यों का क्या होगा?