चक्रधर समारोह में आज भोपाल के प्रसिद्ध तबला वादक अंशुल प्रताप सिंह ने अपने तबले की थाप से संगीत की इस सुरमयी शाम को गूंजायमान कर दिया। उन्होंने कैलाश पर्वत पर भगवान शिव के तांडव नृत्य को तबले की थाप से अभिव्यक्त किया। श्री अंशुल ने अपने दादा श्री हरिश्चंद्र सिंह और पिता ठाकुर उदय प्रताप सिंह से तबले की प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। वर्तमान में वे अपने गुरु श्री संजय सहाय से तबला वादन का विशेष प्रशिक्षण ले रहे हैं। श्री अंशुल ने सिंगापुर, मलेशिया, थाईलैंड सहित देश-विदेश के विभिन्न प्रतिष्ठित मंचों पर अपनी कला प्रतिभा का प्रदर्शन किया। उन्होंने ताज महोत्सव, खुजराहो महोत्सव सहित विभिन्न समारोह एवं अवसरों पर अपने तबला वादन से कला प्रेमियों को संबोधित किया। उन्होंने मोहन वीणा वादक पंडित विश्व मोहन भट्ट, बांसुरी वादक श्री हरिप्रसाद चौरसिया जैसे विश्व विख्यात कलाकारों के साथ तबले पर संगत किया।
राहुल शर्मा के संतूर वादन ने कश्मीर के पहाड़ी संगीत की बिखेरी महक
देश के प्रसिद्ध संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा के पुत्र श्री राहुल शर्मा ने आज चक्रधर समारोह में रायगढ़ की धरती को संगीत के सुरों सराबोर कर दिया। संतूर के सुर के जरिए उन्होंने कश्मीर के पहाड़ी संगीत से कला प्रेमियों को रूबरू करवाया। श्री राहुल शर्मा ने अपने पिता श्री शिव कुमार शर्मा से संतूर सीखा। श्री शर्मा ने एडिनबर्ग फेस्टिवल सहित देश.विदेश के तमाम कल मंचों पर अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित किया। उन्होंने बॉलीवुड फिल्मों में भी अपने संगीत से रूबरू कराया। श्री राहुल विश्व विख्यात तबला वादक श्री जाकिर हुसैन के साथ संतूर का संगत कर चुके हैं। संतूर एक तन्त्री वाद्य यंत्र है। इसका भारतीय नाम ‘शततंत्री वीणा’ यानी सौ तारों वाली वीणा है जिसे बाद में फारसी भाषा से संतूर नाम मिला। संतूर मूल रूप से कश्मीर का लोक वाद्य यंत्र है और इसे सूफी संगीत में इस्तेमाल किया जाता था। इसे विश्व पटल पर प्रतिष्ठित करने का श्रेय पंडित शिवकुमार शर्मा को जाता है।
नन्ही कलाकार सुश्री अन्विता विश्वकर्मा ने दी कत्थक की प्रस्तुति
देश के प्रसिद्ध संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा के पुत्र श्री राहुल शर्मा ने आज चक्रधर समारोह में रायगढ़ की धरती को संगीत के सुरों सराबोर कर दिया। संतूर के सुर के जरिए उन्होंने कश्मीर के पहाड़ी संगीत से कला प्रेमियों को रूबरू करवाया। श्री राहुल शर्मा ने अपने पिता श्री शिव कुमार शर्मा से संतूर सीखा। श्री शर्मा ने एडिनबर्ग फेस्टिवल सहित देश.विदेश के तमाम कल मंचों पर अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित किया। उन्होंने बॉलीवुड फिल्मों में भी अपने संगीत से रूबरू कराया। श्री राहुल विश्व विख्यात तबला वादक श्री जाकिर हुसैन के साथ संतूर का संगत कर चुके हैं। संतूर एक तन्त्री वाद्य यंत्र है। इसका भारतीय नाम ‘शततंत्री वीणा’ यानी सौ तारों वाली वीणा है जिसे बाद में फारसी भाषा से संतूर नाम मिला। संतूर मूल रूप से कश्मीर का लोक वाद्य यंत्र है और इसे सूफी संगीत में इस्तेमाल किया जाता था। इसे विश्व पटल पर प्रतिष्ठित करने का श्रेय पंडित शिवकुमार शर्मा को जाता है।
नन्ही कलाकार सुश्री अन्विता विश्वकर्मा ने दी कत्थक की प्रस्तुति
चक्रधर समारोह के छठवें दिन आज रायपुर की नन्ही कलाकार सुश्री अन्विता विश्वकर्मा ने पूरे चक्रधर समारोह में यश की चांदनी बिखेरी। सुश्री अन्विता विश्वकर्मा ने गणपति जगवंदन पर नृत्य और भाव की बहुत ही सुंदर और सुमधुर कत्थक की प्रस्तुति दी जिसने सभी श्रोताओं का मन मोहा। सुश्री अन्विता विश्वकर्मा मात्र तीन वर्ष की उम्र से नृत्य कला से जुड़ गई थी। वर्तमान में वे लखनऊ घराने के कत्थक नृत्य में निपूर्ण हो चुकी है। वे श्री अनुराग ठाकुर की शिष्या है।
सुश्री दीक्षा घोष ने माता रानी के रौद्र रूप और नारी शक्ति को भरतनाट्यम नृत्य से किया प्रस्तुत
रायगढ़ की बेटी सुश्री दीक्षा घोष और उनकी टीम द्वारा आज माता रानी के रौद्र रूप और नारी शक्ति को भरतनाट्यम नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। सुश्री दीक्षा घोष रायगढ़ में भरतनाट्यम की नृत्य शिक्षिका है। उन्होंने पश्चिम बंगाल के रविन्द्र भारतीय विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की है। उन्हें उत्तराखंड के भागीरथी उत्सव पुरुस्कार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, भिलाई, बिलासपुर सहित अन्य कई बड़े शहरों में सुंदर नृत्य प्रस्तुति के लिए पुरस्कृत किया जा चुका है।
जी रथिस बाबू के भरतनाट्यम और कुचीपुड़ी की दी प्रस्तुति
चक्रधर समारोह के अवसर पर आज भिलाई के डॉ.जी रथीस बाबू के भरतनाट्यम और कुचीपुड़ी पर आधारित खूबसूरत भावभंगिमा और कलाकारी की प्रस्तुति ने सभी दर्शकों का दिल जीत लिया। उन्होंने अपनी सहयोगी टीम के साथ भगवान श्री गणेश, भगवान श्री राम के प्रति अर्चना, अर्धनारीश्वर आदि पर प्रस्तुति दी।