खरसिया। पितृमोक्षार्थ श्रीमद भागवत कथा का आयोजन नाहरीवाल परिवार खरसिया, रायपुर, नावापारा, बिर्रा द्वारा आयोजित की जा रहा है, जिसमे कथा वाचक श्री श्याम सुंदर पाराशर जी महाराज श्रीधाम वृंदावन के श्रीमुख से भागवत की बयार बह रही है। यह कथा 5 सितंबर को आरंभ हुई और 11 सितंबर तक अजित सिंह नगर में चल रही है। श्रीमद् भागवत कथा के सष्ठम दिवस पर कथा व्यास पूज्य पाराशर महाराज जी ने ठाकुर जी की ब्रज लीला का वर्णन करते हुए कहां अधिकारी कितना बड़ा होता है उसका अपराध भी उतना बड़ा होता है जिस प्रकार ब्रह्मा जी ने भगवान की परीक्षा लेने का प्रयास किया और श्री कृष्ण के सखा बृजवासी और उनकी प्राणप्रिय गौ माता को चुराकर अपने लोक ले गए इस वजह से ठाकुर जी को एक वर्ष तक अपने प्रिय ब्रज वासियों और गौ माता से दूर रहना पड़ा। इन्द्र ने भी भगवान का अपराध किया और उसने मूसलाधार बरसात करके ब्रिज को ही पानी में डूबना चाहा परंतु भगवान ने गिरी को धारण करके गिरधारी बनते हुए एक ही गोवर्धन पर्वत के नीचे 7 दिनों तक अपने प्रिय बृजवासी और गायों की रक्षा की। इंद्र का पद ब्रह्मा जी के सामने बहुत छोटा है ब्रह्मा जी के एक दिन में 14 इंद्र अपना कार्यकाल पूरा करके चले जाते हैं। इसलिए भगवान ने इंद्र के क्षमा मांगने पर इंद्र को क्षमा कर दिया परंतु ब्रह्मा जी के अपराध पर उनसे बात भी नहीं की आगे कथा में भगवान के पंच प्राण कहे जाने वाले भगवान की अंतरंग महारास का वर्णन किया कथा के विश्राम में भगवान द्वारिका नाथ बनते हुए रुक्मणी जी से प्रथम विवाह संपन्न हुआ।
द्वारिकानाथ से हुआ रुक्मणि विवाह, निकली बारात
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lochan Gupta