धरमजयगढ़। वन मंडल धरमजयगढ़ क्षेत्र हाथियों के स्थाई रहवास इलाके के रुप में विख्यात हो चुका है। साल के बारों महीने फारेस्ट डिविजन के विभिन्न इलाकों में हाथी विचरण करते रहते हैं। वहीं वन विभाग द्वारा हाथी और हाथियों से ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित किए जाने पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। प्रदेश सरकार द्वारा हाथियों के सरंक्षण के लिए लेमरू एलिफेंट रिजर्व एरिया भी घोषित किया गया है। जिसमें रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ वन मंडल क्षेत्र अंतर्गत आने वाले धरमजयगढ़, बोरो और कापू रेंज का भी काफ़ी हिस्सा शामिल है।
वर्तमान समय में इसी एरिया में धरमजयगढ़ से कापू रोड निर्माण किया जा रहा है, जो लगभग पूर्णता की ओर है। यह परियोजना उक्त तीनों रेंज से होकर गुजर रही है। कऱीब 32.596 किलोमीटर के इस रोड प्रोजेक्ट के लिए लगभग 94 करोड़ रूपए से अधिक की अनुमानित लागत राशि तय की गई है। उल्लेखनीय है कि पुष्ट और अन्य विभागीय सोर्स से मिली जानकारी के मुताबिक यह रोड प्रोजेक्ट लेमरू एलिफेंट रिजर्व एरिया से होकर गुजर रहा है।
विदित है कि हाथी प्राभावित इलाके में प्रस्तावित किसी भी प्रोजेक्ट में हाथियों के आवागमन और रहवास को अप्रभावित रखने हेतु विशेष प्रावधान निर्धारित किए जाते हैं। इस मामले को लेकर फारेस्ट डिवीजन के दोनों फारेस्ट एसडीओ से फोन पर बात की गई। संक्षिप्त विवरण देते हुए लैलुंगा एसडीओ ने इस मामले में ज्यादा जानकारी के लिए धरमजयगढ़ एसडीओ से संपर्क करने की सलाह दी। वहीं, क्रियान्वयन की जिम्मेदारी लेने वाली कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर अरुण अग्रवाल ने इस विषय पर वन विभाग के अधिकारियों से जानकारी लेने की बात कही।
इस मामले में एम एल सिदार फारेस्ट एसडीओ लैलुंगा ने बताया कि धरमजयगढ़ से कापू रोड प्रोजेक्ट लेमरू एरिया अंतर्गत नहीं आता है। इस परियोजना में हाथियों के आवागमन प्रभावित न होने को लेकर क्या प्रावधान किए गए हैं, इसकी कोई भी जानकारी नहीं है। एसडीओ ने कहा कि इस बारे में धरमजयगढ़ एसडीओ से ज्यादा जानकारी मिल सकती है।
वहीं, दूसरी ओर बाल गोविंद साहू फारेस्ट एसडीओ धरमजयगढ़ ने कहा कि यह प्रोजेक्ट लेमरू एलिफेंट रिजर्व एरिया से होकर गुजर रहा है या नहीं इस बात की जानकारी नहीं है। उन्होनें कहा कि इस प्रोजेक्ट में हाथियों के लिए शायद 2 अंडर पास बनाए गए हैं।
प्रोजेक्ट में लेमरू क्षेत्र प्रभावित होने को लेकर संशय में अधिकारी!
हाथियों के संरक्षण के सरकारी दावों पर उठ रहे गंभीर सवाल
