लैलूंगा। लैलूंगा सडक़, जो भारी मशक्कत के बाद कुछ साल पहले ही बनाई गई थी, इस साल की बारिश में पूरी तरह उखड़ गई। सडक़ की मरम्मत के लिए विभाग द्वारा उपयोग की जा रही सामग्री और तकनीक बेहद घटिया है, जिससे मरम्मत सिर्फ एक दिन भी नहीं टिक पाती। गड्ढों को भरने के नाम पर बड़े-बड़े गिट्टे डाले जा रहे हैं, जो सडक़ को और भी खतरनाक बना रहे हैं।
बीते दिन दो बाइक सवार इसी खराब सडक़ पर गड्ढों की वजह से गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गए। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, यह काम बिना किसी प्रशिक्षित इंजीनियर की देखरेख में किया जा रहा है। लैलूंगा के लोगों का मानना है कि जिस तरह से सडक़ का निर्माण और मरम्मत हो रही है, उससे उन्हें संदेह है कि इसमें लगे इंजीनियर की योग्यता पर सवाल उठाए जा रहे हैं। लोगों का कहना है कि अगर जल्द ही उचित कार्रवाई नहीं हुई, तो वे धरना-प्रदर्शन और चक्काजाम करने पर मजबूर हो जाएंगे।
क्या कहते हैं अधिकारी
हमारे संवाददाता राकेश जायसवाल ने पीडब्ल्यूडी के सब-इंजीनियर से बात की तो उनका कहना है कि अगर डब्ल्यूएमएम (वेट मिक्स मैकेडम) का काम हुआ है, तो वह मैंने कराया है, लेकिन बाकी का कोई काम अगर हुआ है, तो उससे मेरा कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने दो दिन पहले डब्ल्यू एमएम और गिट्टे डालने की बात भी स्वीकार की।
जनता का आक्रोश
लैलूंगा की जनता इस अस्थायी और अनियमित मरम्मत से परेशान है, क्योंकि गड्ढों की स्थिति जस की तस बनी हुई है और दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ रही है। अधिकारी भी इस पर असमर्थता जाहिर कर रहे हैं कि बारिश के मौसम में स्थायी समाधान संभव नहीं है।
अधिकारी से सीधी बात
संवाददाता- सर, जो गिट्टे आपने डलवाए थे, वह सब सडक़ से बाहर फेंके जा रहे हैं।
अधिकारी- हां, वह गिट्टा बार-बार फेंका जाएगा और फिर से भरा जाएगा।
संवाददाता- सर, इससे तो हादसों की संख्या बढ़ जाएगी।
अधिकारी- तो आप ही बताओ, और क्या कर सकते हैं? जो साहब लोग ने कहा है, उसी अनुसार काम किया जा रहा है। इस समय बारिश में कोई दूसरा विकल्प नहीं है। बड़े गड्ढों में डब्ल्यूएमएम डाला जा रहा है। बारिश के बाद अगर काम का टेंडर हुआ, तो हम उचित मरम्मत करेंगे। फिलहाल, हमारे विभाग द्वारा बिना टेंडर के अस्थायी तौर पर मरम्मत की जा रही है।
सडक़ मरम्मत के नाम हो रही लीपापोती
