खरसिया। श्रीमद भागवत कथा भक्ति ज्ञान यज्ञ महोत्सव खरसिया में आज कथा व्यास पं. संतोषकृष्ण शास्त्री जी द्वारा कृष्ण जन्मोत्सव प्रसंग का वर्णन किया गया नाट्य कलाकारों ने श्री कृष्ण जन्मोत्सव का सजीव चित्रण कर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया ऐसा प्रतीत होता था जैसे सभी भक्त ब्रज की पावन भूमि गोकुल धाम में आ गए हैं। कृष्ण जन्मोत्सव के दौरान बधाईयों बांटने का तांता सा लग गया जिससे कथा परिसर का वातावरण ब्रजमंडल नजर आने लगा और कथा सुनने उपस्थित श्रद्धालुजन अपने आपको नंद के धाम गोकुल धाम में पाकर धन्य हो गये। भागवत कथा में आज ध्रुव जी की वंशावली, अजामील उपाख्यान, प्रहलाद चरित्र वामन प्रसंग, श्रीराम एवं श्री कृष्ण जन्मोत्सव के दौरान व्यासपीठ से पं.संतोषकृष्ण शास्त्री ने बताया कि सतो गुण कर्मो का फल सुख ज्ञान वैराग्य निर्मल एवं सात्विक होता हैं तमो गुण अज्ञान होता है। रजो गुण राक्षसीय कर्म करते है मनुष्य लोक के अधिकारी बनकर जन्म मरण के चक्कर में पडे रहते है। भागवत के दशम स्कंध में 90 अध्याय है इसमें भगवान श्री कृष्ण के जन्म और लीलाओं का वर्णन है। कंस के अत्याचार से दुखी होकर देवता गाय को साथ लेकर भगवान की स्तुति करते हैं उनसे प्रसन्न होकर भगवान आकाशवाणी के द्वारा उन्हें आश्वासन देते है कि मै ब्रज में जन्म लूंगा। विदित हो कि खरसिया, रायपुर, बिलासपुर, के जोहरीमल सावडिया, हरिराम रामकुमार सावडिय़ा परिवार द्वारा खरसिया नगर की धन्य धरा पर पितृ मोक्षार्थ गया श्राद्धांतर्गत विशाल श्रीमद भागवत कथा भक्ति ज्ञान यज्ञ महोत्सव का आयोजन 05 सिंतबर से 11 सिंतबर तक स्थानीय पोस्ट आफिस रोड़ स्थित रामजानकी मंदिर परिसर में किया जा रहा है। उक्त धार्मिक कथा के चतुर्थ दिवस उपस्थित आयोजक परिवार, गणमान्य नागरिकगण एवं ग्रामीण क्षेत्रो से पधारे भागवत श्रोताओ का श्रीमद भागवत कथा का रसपान कराते हुए कथा व्यास शुक रूप श्रद्धेय संतोष कृष्ण जी ने उपस्थित श्रद्धालु भक्तों को कथा का रसपान कराते हुए कहा कि भक्ति के द्वारा भगवान पत्थर से प्रकट हो जाते है।यह भाव भागवत कथा के अंतर्गत सप्तम स्कंध की कथा कहते हुए बताया कि इस स्कंध में पंद्रह अध्यायो में तीन तरह की वासनाओ का वर्णन है। सदवासना, असदआवसना और मिश्रित वासना। सदवासना हिरण्यकष्यप की थी और मिश्रित वासना हम लोगो की हैं भक्त प्रहलाद ने अपनी भक्ति के द्वारा पत्थर के खम्भे से भगवान को प्रकट कर दिया। अष्टम स्कंध में चौबीस अध्याय है। और इसमें वासनाओ का दूर करने का उपाय बताया गया है। इसमें चार कथाओं का वर्णन है गजेंद्र मोक्ष की कथा समुद्र मंथन की कथा तीसरी बलि वामन प्रसंग और चौथी मत्स्य अवतार की कथा। इन चार कथाओं के द्वारा सभी प्रकार की वासनाओं को दूर करने का उपाय बताया है। आचार्य श्री ने बताया कि श्रीकृष्ण का साक्षात रूप ही श्रीमद भागवत है। भागवत किसी एक व्यक्ति के लिये नहीं वरण समाज के सभी वर्गो का कल्याण करने वाला ग्रंथ है। भक्ति, ज्ञान और वैराग्य तीनो का मार्गदर्षक ग्रंथ ही श्रीमद भागवत है। जहां शिवजी भगवती की कथा होती है वहां पर सारे तीर्थ निवास करते है। समस्त देवता अपने लोक से आकर कथा सुनते और पितर श्रीमद भागवत का पान कर अनंत तृप्ति का अनुभव करते है। यदि श्री रामचारित मानस जीवन जीने का कला सिखाता है तो श्रीमद भागवत मरने का कला सिखाती है। श्रीमद भागवत में श्रोताओं को चाहिए कि निमंत्रण की भावना पर नियंत्रण रखे। उन्होने आगे बताया कि श्रीकृष्ण का पांगमय विग्रह ही श्रीमद भावगत है। भागवत किसी एक व्यक्ति के लिये नहीं वरण सामज के सभी वर्गो का कल्याण करने वाला ग्रंथ है। वेदवृक्ष का पका हुआ फल है श्रीमद भागवत। अन्य ग्रंथ मुक्ति का मार्ग बतलाते है किंतु जो श्रीमद भागवत की शरण में आ जाता है उसकी मुक्ति हो जाती है। पितरो के कल्याण के लिये श्रीमद भागवत से बढ कर कोई और ग्रंथ नहीं है। लोक और परलोक दोनो को मंगलमय बनाने वाला ग्रन्थ श्रीमद भावगत ही है। भक्ति, ज्ञान और वैराग्य तीनो का मार्गदर्षक ग्रंथ ही श्रीमद भागवत है। जहां पर षिव भगवती की कथा होती है वहां पर सारे तीर्थ निवास करते है। समस्त देवता अपने लोक से आकर कथा सुनते है और पितर श्रीमद भागवत का पान कर अनंत तृृप्ती का अनुभव करते है। श्रीमद भागवत में श्रोताओं को चाहिए कि निमंत्रण की भावना पर नियंत्रण रखें। भागवत कथा के चतुर्थ दिवस कृष्णो जन्मोत्सव अवसर पर आयोजक परिवार के जयप्रकाष अग्रवाल ने गोकुल बाबा का रूप धारण कर श्री कृष्ण जी के बाल स्वरूप को टोकने में उठाकर उपस्थितजनों की बधाईयॉं दिया। आयोजक परिवार की तरफ से अपील की गई है अधिक से अधिक संख्या में भक्तजन पधारकर भावगत कथा श्रवण करें। जिससे कि अपने समाज में पितरों का मोक्ष हो।