लैलूंगा। मातृ शिशु अस्पताल में हालात बेहद खराब हो चुके हैं। बाहर से देखने पर यह एक सरकारी अस्पताल लगता है, लेकिन अंदर जाने के बाद मरीजों से निजी अस्पतालों जैसी फीस वसूली जा रही है। चारों तरफ गंदगी का आलम है, और अस्पताल परिसर में घास-फूस उग आई है, जिससे सांप और बिच्छुओं का आना-जाना आम हो गया है। यह स्थिति मरीजों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकती है, लेकिन प्रशासन द्वारा कोई विशेष इंतजाम नहीं किए गए हैं।
अस्पताल में ऑपरेशन और डिलीवरी के नाम पर निर्धारित से दोगुनी फीस वसूली जा रही है। सूत्रों के हवाले से पता चला है कि यहां भर्ती किए गए कुछ श्रमिकों से अस्पताल का काम करवाने के बजाय निजी काम कराया जा रहा है। सफाई की स्थिति इतनी खराब है कि स्वस्थ व्यक्ति भी अस्पताल जाकर बीमार पड़ सकता है।
भ्रष्टाचार पर कोई कार्रवाई नहीं
चाहे बीजेपी की सरकार हो या कांग्रेस, इस अस्पताल की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ है। भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हो चुकी हैं कि कोई इसे रोकने में सक्षम नहीं दिखता। हमारे संवाददाता ने जब इस मुद्दे पर अस्पताल के वरिष्ठ अधिकारियों से बात करने की कोशिश की, तो उन्होंने फोन तक उठाने से इनकार कर दिया।
जीवनदीप समिति ने लैलूंगा के मातृ शिशु अस्पताल में लेबरों की भारी कमी की ओर इशारा किया है, जबकि इस विभाग में पर्याप्त सरकारी धन आता है। समिति का कहना है कि अस्पताल के रखरखाव और संचालन के लिए पर्याप्त संसाधन होते हुए भी कर्मचारियों की कमी और गंदगी का बोलबाला है। सवाल यह उठता है कि इतने पैसे के बावजूद लेबरों की नियुक्ति और अस्पताल की साफ-सफाई क्यों नहीं हो रही? समिति ने इस स्थिति पर गहरी नाराजगी जताई है और जल्द सुधार की मांग की है।
हमारे संवाददाता राकेश जायसवाल ने लैलूंगा एसडीएम से बात की तो उन्होंने कहा, अगर जीवनदीप समिति की बैठक होगी और लेबर की कमी साबित होती है, तो जल्द ही नई नियुक्तियां की जाएंगी। एसडीएम ने यह भी आश्वासन दिया कि अस्पताल में कर्मचारियों की कमी और गंदगी की समस्या को प्राथमिकता के आधार पर हल किया जाएगा।