धरमजयगढ़। एक ही डेम के इन अलग अलग स्थिति के फ़ोटो में अंतर ढूंढना और इससे सरकारी राशि के मनमाने तरीके से उपयोग किए जाने के वर्तमान विभागीय रवायत का अनुमान लगाना ज्यादा मुश्किल नहीं है। पहली तस्वीर लाखों की कीमत से बनी क्षतिग्रस्त चेक डेम की है। बताया जाता है कि यह निर्माण अपने बनने के कुछ समय बाद हाल ही में हुई बारिश की वजह से डैमेज हो गया। यह मामला तब और दिलचस्प हो जाता है जब वन विभाग द्वारा इस स्ट्रक्चर के डैमेज होने के पीछे की अकल्पनीय कथित कहानी सामने आती है। इस मामले में उप वन मंडल अधिकारी बाल गोविंद साहू ने फ़ोन पर बताया कि जांच में किसी कथित तौर पर मानसिक रूप से असंतुलित स्थानीय किसान द्वारा डेम को क्षति पहुंचाने की बात सामने आई है। उनके अनुसार किसान के खेत में जल भराव होने के कारण उसने डेम को फावड़े और सब्बल से क्षतिग्रस्त कर दिया।
वहीं, क्षेत्र के ग्रामीणों के अनुसार मामला इसके ठीक विपरीत है। उनके मुताबिक़ संबंधित किसान ने खेत में जल भराव होने पर पानी निकासी के लिए सिर्फ रास्ता बनाया। उन्होंने कहा कि यदि किसान ऐसा नहीं करता तो शायद पूरा डेम ही बह जाता। उन्होंने बताया कि किसान ने सिर्फ डेम के किनारे की मिट्टी को हटाया ताकि वहां से पानी निकल सके। मामला तुल पकडऩे के बाद विभाग ने आननफानन में इस डेम के क्षतिग्रस्त हिस्से को रिपेयर करा दिया है। हालांकि यह बात अलग है कि इस निर्माण कार्य के डाउन स्ट्रीम का बड़ा हिस्सा भी पूरी तरह बह गया है।
यह मामला रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ वन मंडल क्षेत्र अंतर्गत आने वाले बोरो रेंज का है। जहां जबगा एरिया में स्थित एक नाले पर वन विभाग द्वारा चेक डेम बनाया गया है। अघोषित विभागीय परंपरा अनुसार इस काम को अपरोक्ष रूप से किसी स्थानीय ठेकेदार के माध्यम से कराया गया है। इस निर्माण कार्य के दोनों स्थितियों की तस्वीरों और कथित मानसिक रूप से विक्षिप्त किसान पर डेम को क्षति पहुंचाने का अस्वीकार्य दोषारोपण इस निर्माण कार्य की गुणवत्ता के मामले को पूरी तरह से संदिग्ध बनाता है। यदि इस कहानी को सच मान भी लिया जाए तो यह तय करना शायद असंभव होगा कि डेम की स्टेबिलिटी और स्ट्रेंथ अधिक है या डेम को नुकसान पहुंचाने वाले कथित किसान की।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
इस मामले में स्थानीय तकनीकी विशेषज्ञों से चर्चा की गई। टेक्निकली मामलों के एक एक्सपर्ट ने कहा कि प्राक्कलित मानक गुणवत्ता के आधार पर कराए गए किसी भी स्ट्रक्चर को मैनुअल यानी किसी व्यक्ति द्वारा तोडऩा संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि विभाग द्वारा ऐसा कहा गया है तो यह निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर सीधे तौर पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
लाखों का चेक डेम डैमेज होने की कहानी से एक्सपर्ट भी स्तब्ध
विभाग ने किसान पर मढ़ा दोष, खेत मालिक के पक्ष में ग्रामीण
