रायपुर। छत्तीसगढ़ कोल स्कैम मामले में निलंबित आईएएस रानू साहू और कारोबारी दीपेश टांक और सुधीर अग्रवाल को सुप्रीम कोर्ट से बुधवार को नियमित जमानत मिल गई है। रानू साहू एक साल से जेल में बंद है। हालांकि, नियमित जमानत मिलने के बाद भी रानू साहू का जेल से बाहर आना आसान नहीं है। दरअसल, रानू को जो जमानत मिली है वह श्वष्ठ के मनी लॉन्ड्रिंग और कोयला घोटाला से संबंधित है। लेकिन छत्तीसगढ़ की ईओडब्लू ने निलंबित आईएएस रानू साहू खिलाफ आय से अधिक संपत्ति और भ्रष्टाचार के तहत मामला दर्ज किया गया है। जिस वजह से वे जेल में बंद है।
ईओडब्लू ने अपनी एफआईआर में बताया है कि रानू साहू जुलाई 2021 से जुलाई 2022 तक कलेक्टर कोरबा के रूप में पदस्थ रहीं। उन्होंने लोकसेवक के रूप में कार्य करते हुए ये संपत्तियां अर्जित की। रानू साहू ने सूर्यकांत तिवारी और उसके सिंडिकेट के सदस्यों के साथ मिलकर आपराधिक साजिश रची। कोयला ट्रांसपोर्टरों से डीओ और टीपी परमिट जारी किए जाने के लिए 25 रुपए प्रति टन की अवैध वसूली में सक्रिय सहयोग दिया। रानू साहू के जहां भी पदस्थ रहीं हैं, वहां पर किसी न किसी माध्यम से भ्रष्टाचार कर खुद को आर्थिक रूप से समृद्ध करती रहीं है। रानू साहू को अपनी सर्विस जॉइन करने के बाद से 31.10.2022 तक की स्थिति में वेतन के रूप में लगभग 92 लाख रुपए प्राप्त होने की जानकारी है।
जबकि अब तक उनके द्वारा लगभग 3 करोड़ 93 लाख 91 हजार 949 रुपए निवेश अचल संपत्ति में करने की जानकारी मिली है। इसके अलावा रानू साहू ने अचल संपत्ति, बीमा, शेयर, एसआईपी, में निवेश किया है।
निलंबित आईएएस रानू साहू को सुको से मिली जमानत
अब भी बाहर आना आसान नहीं
