रायगढ़। जिले के विकास खण्ड लैलूंगा से बाकारूमा पहुंच मार्ग कि यदि बात कि जाये तो पूर्व वर्ति कांग्रेस सरकार के द्वारा एडीबी प्रोजेक्ट के साथ मिलकर सैकड़ों करोड़ों रूपये कि लागत से सडक़ मार्ग का निर्माण की परियोजना का शुरूवात किया गया था। मगर यह प्रमुख मार्ग अब भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है। जिसमें शासन प्रशासन की भूमिका भी संदिग्ध जान पड रही है।
मिली जानकारी के अनुसार सडक़ के निर्माण में एडीबी की सहायता राशि से कार्य प्रस्तावित हुई थी। जो कि रायगढ़ जिले के बाकारूमा दृ लैंलूंगा रोड भी सम्मिलित था। जिसक कार्यादेश 20 मार्च 2020 को जारी हुआ था, और कार्य को 18 महीने में पूरा करने का कार्य निर्धारित किया गया था। उपरोक्त कार्य की अनुमानित लागत लगभग 125 करोड़ रुपये से भी अधीक कि स्वीकृती बताई जा रही है। जो कि आज कार्य को प्रारम्भ हुए लगभग 4 वर्ष हो चुके हैं। लेकिन वर्तमान स्थिति में भी उपरोक्त सडक़ बाकारूमा से लैलूंगा तक बनाई जा रही है। जिसकी लम्बाई लगभग 22 कि.मी. है। सडक़ का निर्माण ठेकेदार सुनील रामदास अग्रवाल के द्वारा कराया जा रहा है। सडक़ बनने के शुरुआती दौर से ही विवादों में घिरा हुआ है।
सडक़ निर्माण कार्य में निम्न स्तर की गिट्टी का उपयोग किया गया है। सडक़ में कभी भी पानी का छिडक़ाव नही करना, पुल पुलिया निमार्ण में भारी भ्रष्टाचार जैसी सैकड़ों कमियाँ इस सडक़ के निर्माण में सामने आई है। लेकिन किसी भी मामले में शासन-प्रशासन कि मॉनिटरिंग कि अभाव में गुणवत्ता विहीन एवं घटिया निर्माण होने के कारण भ्रष्टाचार कि भेंट चढ़ गई है। जिसके कारण सडक़ में बार उखडऩे लगी है। जिससे क्षेत्र के लोगों में आक्रोश व्याप्त है। क्योंकि इस सडक़ मार्ग निर्माण के कार्य में च्ॅक् विभाग के द्वारा ना ही एडीबी प्रोजेक्ट के अधिकारियों के द्वारा सडक़ निर्माण की गुणवक्ता पर ध्यान नही दिया गया है। जिसके कारण निर्माणाधीन सडक़ जो एक तरफ से डामरीकरण बनाई जा रही है, तो वहीं दूसरी तरफ से डामरीकरण सडक़ गुणवक्ता विहीन होने के कारण उखड़ रही है। लैलूंगा से बाकारूमा के बीच करीब 20 किमी सडक़ बन कर तैयार हो चुकी है। लेकिन कथाकथित ठेकेदार एवं उसके मातहत भ्रष्ट कर्मचारियों की करगुजारियाँ जग जाहिर है। सडक़ की निर्माण होने के महज 2 -4 महीनों में सडक़ों पर बड़े -बड़े गड्डे बन जा रहे हैं। जिसके कारण पूरा सडक़ उखडऩे लगी है। करोड़ों रूपये की लागत से बनाई जा रही सडक़ जो भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ते जा रही है। इस ओर ध्यान देने वाला कोई नहीं है, ना ही सरकार इस ओर ध्यान दे रही है, और ना ही संबंधित विभाग और ना ही एडीबी प्रोजेक्ट के अधिकारी कर्मचारी ध्यान दे रहे हैं ? एक तरह से देखा जाये तो ‘अंधेर नगरी, चौपट राजा’ वाली कहावत चरितार्थ होती नजर आ रही है। सलखिया स्थित जंगल जिसकी लम्बाई लगभग 3 कि.मी. के आसपास होगी जहाँ सडक़ बने मात्र 2 महिने ही पूरे नहीं हुए होंगे और वहाँ की स्थिति किसी 10 साल पहले बनाये गए सडक़ से भी बदत्तर हो गई है। ठेकेदार के लोगों के द्वारा हर 10 मीटर को उखाड़ कर नया बनाने और घटिया निर्माण पर थूक पॉलिश करने का काम बड़े ही चालाकी के साथ किया जा रहा है। जिसे देख कर क्षेत्र के लोगों के मन में ठेकेदार के प्रति आक्रोश पैदा होने लगा है।
बाकारूमा से लैलूंगा मार्ग चढ़ रहा भ्रष्टाचार की भेंट
शासन-प्रशासन की भूमिका संदिग्ध?
