धरमजयगढ। वन मंडल धरमजयगढ़ क्षेत्र अंतर्गत वर्तमान समय में हाथियों की तादाद कम होने के बाद भी ग्रामीण इलाकों में मकान एवं फसल व अन्य नुकसानी के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। ऐसे में डिविजन क्षेत्र अंतर्गत आने वाले सब डिविजन लैलूंगा क्षेत्र में एक नवजात शिशु के साथ 22 हाथियों का एक बड़ा दल पहुंचा है। जशपुर जिले की ओर से आए इस समूह की कहानी कुछ इस तरह है जिससे फिर से एक बार यह साबित होता है कि कई बार इतिहास खुद को दोहराता है।
दरअसल इस मामले में पुष्ट विभागीय जानकारी के मुताबिक जशपुर इलाके में विचरण करने के दौरान वहां एक शावक का जन्म हुआ। वहां के ग्रामीणों द्वारा इस हाथी शावक का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। जिसके तत्काल बाद यह समूह लैलूंगा क्षेत्र की ओर आ गया है। उल्लेखनीय है कि इस से पहले लैलूंगा इलाके में ही सुरक्षा की कामना करते हुए एक नवजात हाथी का जन्मदिन ग्रामीणों द्वारा मनाया गया था। जिसके बाद हाथियों का दल दूसरे इलाके की ओर चला गया था। दोनो घटनाओं में समानता एक इत्तेफाक या हाथियों के व्यवहार का एक हिस्सा हो सकता है।
लैलूंगा इलाके में ही 57 हाथियों की मौजूदगी
जशपुर इलाके से लैलूंगा क्षेत्र में पहुंचे 22 हाथियों के इस समूह ने लैलूंगा क्षेत्र के टोंगोटोला इलाके में एक किसान के घर का दरवाजा और गांव में बने अहाता को नुकसान पहुंचाया है। इसके अलावा फसल नुकसानी के करीब दर्जन भर प्रकरण विभागीय रिपोर्ट में दर्ज किए गए हैं। उक्त जानकारी के अतिरिक्त प्रभावित क्षेत्र के विभागीय सूत्रों से मिली पुष्ट जानकारी के मुताबिक इस दल में एक शावक के शामिल होने के कारण लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है। साथ ही क्षेत्र के ग्रामीणों को अतिरिक्त सतर्कता बरतने की सलाह देते हुए सुरक्षा को लेकर तमाम विभागीय उपाय अपनाए जा रहे हैं। फिलहाल लैलूंगा क्षेत्र में तीन ग्रुप में कुल 57 हाथी अलग अलग इलाकों में विचरण कर रहे हैं। वहीं, वन मंडल क्षेत्र अंतर्गत वर्तमान समय में कुल 70 हाथी विचरण कर रहे हैं।
जन्मोत्सव के बाद लैलूंगा क्षेत्र पहुंचे 22 हाथी
पहले भी हुआ है ऐसा ही वाक्या, मकान, दीवार व फसल की नुकसानी, सुरक्षा व्यवस्था को लेकर अमला चौकस
