सारंगढ़। जपं क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले, एक ऐसे गांव के बारे में पता चला है जहां पर शासन प्रशासन द्वारा चलाई जा रही समस्त योजनाओं की विकास वाली गंगा लगता है की बहते बहते सुख चुकी है। ग्रापं के आश्रित ग्राम के लोगों का यह कहना है कि हमसे ऐसी क्या गलती हो गई है की शासन प्रशासन अथवा बनाए गए जनप्रतिनिधियों ने हमसे मुंह फेर लिया है। विकास की गंगा हमारे गांव तरफ बहने ही नहीं देना चाहते। बीते 5 वर्षों से ग्रामीणों द्वारा सडक़ के लिए गुहार लगाई जा रही है। किंतु आज पर्यंत तक ना ही गांव को किसी प्रकार की कोई सीसीरोड मिली है और ना ही इस संबंध में किसी प्रतिनिधि ने कोई पहल की है।
ग्रामीणों द्वारा समय-समय पर अपने इस सडक़ वाले दर्द को बयां किया जाता है कि वर्षा काल में यह रोड चलने लायक नहीं होता है तथा रोड में गाडिय़ों के चलते दलदल इतनी होती है की रोज पढऩे वाले बच्चे साइकिल से स्कूल भी नहीं जा पाते और जब जाने का प्रयास करते हैं तब वह रोड में फिसल कर गिर जाते हैं। इतना ही नहीं स्कूलों द्वारा संचालित की गई वाहनें भी इन गड्ढ़ों में फंस जाती है जिसके कारण ग्रामीणों तक किसी भी प्रकार की कोई सुविधा नहीं पहुंच पाती। ग्रामीण तथा गांव में आने वाले बाहरी आगंतुक भी इस रोड को देखकर बहुत परेशान है। ऐसा नहीं है कि ग्रामीणों ने इस समस्या को गंभीरता से नहीं लिया अथवा सरपंच या प्रतिनिधि से बात नहीं की। सरपंच से संपर्क करने पर सरपंच से तो बात नहीं होती है, किंतु ग्रामीणों का कहना है कि किसी अन्य किरायेदार जो की सरपंच के घर पर रहते हैं उनके द्वारा सरपंच पद को संभाला जाता है। उनसे बात करने पर अच्छी खासी गालियों सहित अभद्रता का वार भी सहना पड़ता है। अंतत: थक हारकर ग्रामीण चुप हो जाया करते हैं और बेबस नजर आते हैं।
सरपंच को दूरभाष द्वारा कांटेक्ट करने की कोशिश की गई, जिस पर ना तो कॉल उठाया गया और ना ही कोई प्रतिक्रिया मिली है। जहाँ पर आश्रित ग्राम में तथा सरपंच के स्वयं के गांव में किसी भी प्रकार की समस्याओं का उचित समाधान ना तो जमीनी स्तर पर दिखाई देता है और ना ही किसी भी पैमाने पर कोई योजना खरी उतर पाई है। शासन द्वारा चलाई जा रही समस्त योजनाओं में पर्याप्त भ्रष्टाचार के प्रमाण मिलते रहते हैं। जपं सारंगढ़ क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत छोटे गन्तुली के आश्रित ग्राम आमाकोनी की जहाँ समस्याओं का अंबार है जहां पर सरपंच प्रतिनिधि बसंती बाई नेताम के द्वारा किए गए कार्यों मेंअनियमिता नजर आती है 5 साल तक जहां विकास अधर पर लटकी हुई है। सचिव झसकेतन जायसवाल को भी इस बारे में अवगत कराकर उनसे होने वाली समस्याओं की वजह पूछी गई, जिस पर उन्होंने बताया कि सरपंच के किसी खास आदमी द्वारा समस्त पंचायत को संचालित किया जाता है और उनके द्वारा ही समस्याओं की देखरेख की जाती है। यह बात पंचायत के ही सचिव के मुख जुबानी बताई गई है कि सरपंच के द्वारा कोई कार्य नहीं किया जाता है बल्कि किसी अन्य के द्वारा कार्य किया जाता है। अत: यह पूर्णत पंचायती राज अधिनियम के विरुद्ध है तथा शासन प्रशासन में बैठे हुए उच्च पदाधिकारी,कर्मचारियों को इस बारे में संज्ञान लेकर उचित कार्यवाही करनी चाहिए। ग्रामीणों ने बताया कि सरपंच का प्रतिनिधित्व करने वाला वह व्यक्ति सरपंच का एक किरायेदार है।