रायगढ़। शुक्रवार की शाम 4.00 बजे से मेयर इन काउंसिल की बैठक महापौर श्रीमती जानकी काटजू की अध्यक्षता में हुई। बैठक में शहर विकास से संबंधित 41 करोड़ रुपए से ज्यादा के कार्यों को स्वीकृत किए गए।
सबसे पहले इंदिरा गांधी वृद्धा, पेंशन, इंदिरा गांधी विधवा पेंशन, इंदिरा गांधी दिव्यांग पेंशन, सामाजिक सुरक्षा पेंशन, सुखद सहारा पेंशन से संबंधित पात्र 141 हितग्राहियों के आवेदनों को स्वीकृति दी गई। इसी तरह परिवार सहायता के अंतर्गत 25 हितग्राहियों के आवेदनों को स्वीकृति दी गई। इसके बाद वार्ड 42 अमलीभौना प्राथमिक शाला से बाबा धाम मुख्य मार्ग तक 50 लाख की लागत से डामरीकृत सडक़ निर्माण कार्य स्वीकृति दी गई। वार्ड क्रमांक 48 बाई चौक से शालिनी स्कूल तक डामरीकृत बोईरदादर चौक तक सडक़ निर्माण 53 लाख 6 हजार की लागत से स्वीकृति दी गई। इसके बाद बेलादुला स्कूल से पीपल चौक तक डामरीकृत सडक़ निर्माण 48 लाख 58 हजार की लागत से स्वीकृति दी गई। क्रेज़ी कास्ट फूड सेंटर से विजयपुर चौक से इंदिरा विहार चौक तक डामरीकृत सडक़ निर्माण 86 लाख 94 हजार रुपए लगात की स्वीकृति दी गई। जिओमार्ट के सामने से हाउसिंग बोर्ड बिल्डिंग तक अतरमुड़ा रोड सडक़ निर्माण 96 लाख 27 हजार की स्वीकृति दी गई। इसी तरह उर्दना रोड से छठवीं बटालियन ऑफिस तक डामरीकृत सडक़ निर्माण 53 लाख 48 हजार की लागत से स्वीकृति दी गई। शहर के 9 विभिन्न डामरीकृत सडक़ों की मरम्मत एवं निर्माण के लिए 470 लाख अधोसंरचना मद और विभिन्न वार्डों में सडक़ एवं नाली निर्माण कार्य के कुल 19 काम के लिए 607 लाख की पुष्टि की गई। नगर निगम क्षेत्र अंतर्गत विभिन्न मुख्य मार्गो एवं सडक़ों की तकनीकी स्वीकृति प्राप्त होने के उपरांत शासन को स्वीकृति के लिए पत्र प्रेषित करने की पुष्टि की गई। कार्य की लागत लगभग 40 करोड़ होंगे। इसी तरह केवड़ाबाड़ी बस स्टैंड मंगल भवन और गौशालापारा वेयर हाउस मंगल भवन के लिए प्राप्त दर को स्वीकृत किया गया। इसी तरह स्वच्छ भारत मिशन सुविधा 24 के तहत सार्वजनिक शौचालय का संचालन संबंधी निविदा पर चर्चा करते हुए इसकी स्वीकृति दी गई। इसके बाद अधोसंरचना मद अंतर्गत 13 कार्यों के लिए 116 लाख रुपए के तैयार कार्यों प्रस्ताव पर चर्चा की गई। इसकी स्वीकृति देते हुए शासन को पत्र प्रेषित करने की बात कही गई। एम आई सी की बैठक में सदस्यों द्वारा एजेडा से संबंधित जिज्ञासा को आयुक्त श्री सुनील कुमार चंद्रवंशी ने शांत किया और सवालों के जवाब दिए। बैठक में एम आई सी सदस्य, श्री संजय देवांगन, श्री संजय चौहान, श्री राकेश तालुकदार, श्री शेख सलीम निआरिया, श्री विकास ठेठवर, श्री प्रभात साहू, रत्थू जायसवाल, श्रीमती लक्ष्मीन मिरी, श्रीमती अनुपमा शाखा यादव एवं निगम के विभाग प्रमुख अधिकारी कर्मचारी उपस्थित थे।
नालंदा परिसर लाईब्रेरी का प्रस्ताव खारिज होने पर बिफरे भाजपा नेता मुकेश जैन
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार रायगढ़ नगरनिगम की कांग्रेसी एम.आई.सी. द्वारा नालंदा परिसर लाइब्रेरी के प्रस्ताव को खारिज करके आगे के लिये टाल दिया गया है। यह विकास कार्यों में रोड़े अटकाने वाला कृत्य है। साथ ही यह युवाओं के सपनों के साथ खिलवाड़ करने जैसा है।
रायगढ़ विधायक और वित्तमंत्री ओ पी चौधरी अंचल के विकास हेतु कृतसंकल्पित होकर महत्वाकांक्षी योजनायें स्वीकृत करवा रहे हैं। इस पर राजनीतिक कारणों से अड़ंगेबाजी करने की बजाय सभी को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर इसमें सहयोग करना चाहिये। अपने कलेक्टर रहते हुये ओ पी ने रायपुर में जो नालन्दा परिसर निर्मित करवाया था उसकी देशभर में ख्याति है। यह अपने तरह की देश की पहली हाईटेक लाइब्रेरी है। ओ पी चौधरी ने विधानसभा चुनाव के दौरान रायगढ़ के युवाओं से इस तरह की लाइब्रेरी रायगढ़ में भी स्थापित करने का वायदा किया था। चुनाव जीतने के बाद पहले ही बजट में इसके लिये राशि आबंटित करवा कर उन्होंने यह दर्शाया है कि अपने वायदों के प्रति वे कितने सजग व प्रतिबद्ध हैं। रायगढ़ में कांग्रेस की नगर सरकार होने के बावजूद इस कार्य के लिये नगर निगम को एजेंसी बनाकर उन्होंने यह सिद्ध किया कि उनके नजरिये में कोई भेदभाव नहीं है। वे विकास को राजनीति से ऊपर मानते हैं। एम आई सी द्वारा तकनीकी बहानेबाजी की आड़ में प्रस्ताव को टालना इस बात का प्रमाण है कि कांग्रेस के लिये राजनीतिक स्वार्थ महत्वूपर्ण है न कि शहर का विकास।
दरअसल विगत पांच वर्षों के कांग्रेस सरकार के दौर में विकास के नाम पर रायगढ़ की झोली पूरी तरह खाली रही है। कांग्रेस के पास जनता को बतलाने के लिये एक भी उल्लेखनीय उपलब्द्धि नहीं है। इधर ओ पी चौधरी के विधायक बनते ही एक के बाद एक बड़े-बड़े काम न केवल मंजूर हो रहे हैं वरन धड़ाधड़ भूमिपूजन व कार्य आरंभ हो रहे हैं। ओ पी की विकासपरक कार्य शैली व ताबड़-तोड़ सक्रियता के कारण कांग्रेस बेहद दबाव में है और आसन्न नगरनिगम चुनाव में अपने भविष्य को लेकर बेहद भयभीत हो गयी है। अवसादग्रस्त स्थिति में जब कोई रास्ता नहीं सूझता है तो लोग अक्सर नकारात्मक रास्ता चुन लेते हैं। एम आई सी द्वारा नालंदा परिसर का प्रस्ताव खारिज करके विकासकार्य को टालना इसी तरह की नकारात्मकता की एक बानगी है। यह जनविरोधी रवैय्या है। अभी-भी समय है, एम आई सी को चाहिये कि अपनी भूल सुधार करके इस पर पुनर्विचार करते हुये इस महती कार्य को तत्काल स्वीकृति प्रदान कर दे।
मुकेश जैन