बिलासपुर। परिवहन की मुख्य धुरी भारतीय रेल देश की जीवन रेखा है। संरक्षा के साथ यात्री एवं ग्राहकों की सेवा इसका मूलमंत्र है। भारतीय रेल में प्रतिदिन हजारों की संख्या में चलने वाली यात्री एवं मालगाडिय़ों के संचालन का जिम्मा रनिंग स्टाफ के कंधो पर होता है। इनमें लोको पायलट, गार्ड की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है। वर्तमान में युवाओं के बीच रेलवे में सेवा देने हेतु न केवल अत्यधिक क्रेज है, बल्कि समाज में लोको पायलट और गार्ड की नौकरी को अत्यंत ही सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। रेलवे प्रशासन भी लोको पायलटों को सभी सुविधाएं प्रदान करने के लिए कृतसंकल्पित है।
इसी कड़ी में लोको पायलटों को गर्मी के दिनों में राहत दिलाने और आरामदायक स्थिति में उनकी कार्य क्षमता को बढ़ाने के उद्देश्य से दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के अंतर्गत वर्तमान में 356 लोकोमोटिव कैब एसी से सुसज्जित हैं तथा अतिरिक्त 72 लोकोमोटिव बहुत जल्द ही वातानुकूलित किए जाने वाले हैं।
इसके साथ ही विशेष रूप महिला लोको पायलटों के लिए लोकोमोटिव कैब में संलग्न शौचालयों के मामले पर भी उचित ध्यान दिया गया है। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में 151 महिलाएँ सेवारत हैं, इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। वर्तमान में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के 40 लोको में शौचालय (36 वाटर क्लोसेट प्रकार और 04 वाटरलेस प्रकार) उपलब्ध हैं। नए लोको में यह प्रावधान शुरू करने के लिए उत्पादन इकाइयाँ खरीद के अग्रिम चरण में हैं।
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में रनिंग कैडर की रिक्तियों को भरने के लिए प्रतिबद्ध है। 3900 से अधिक सहायक लोको पायलट (्ररुक्क) की भर्ती प्रक्रिया चल रही है। भर्ती प्रक्रिया को अंतिम रूप देने एवं प्रशिक्षण समाप्त होने के तुरंत बाद उन्हें शामिल कर लिया जाएगा। पदोन्नति के मामले दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे पदोन्नति कैलेंडर का पालन करता है और पदोन्नति तय कार्यक्रम के अनुसार की जाती है। पिछले दो वर्षों में 900 से अधिक सहायक लोको पायलट (्ररुक्क) को लोको पायलट (गुड्स) के रूप में पदोन्नत किया गया है। ट्रेनों के संरक्षित परिचालन के लिए लोको पायलट और सहायक लोको पायलट की संख्या के बीच संतुलन होना चाहिए। इस महत्वपूर्ण सुरक्षा पहलू को ध्यान में रखते हुए पदोन्नति की जाती है।
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में रनिंग स्टाफ के लंबे समय तक काम करने के घंटों को कम करने के प्रयासों ने आशाजनक परिणाम दिखाए हैं। विस्तारित कार्य घंटों का प्रतिशत काफी कम हो गया है, जो इस संबंध में हमारे निरंतर प्रयासों को दर्शाता है। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में लोको पायलटों के प्रति ट्रिप ड्यूटी घंटे 8.3 घंटे हैं। इसके अलावा, कार्य स्थिति में सुधार तथा रनिंग रूम की सुविधाओं को बढ़ाने के लिए अकलतरा रेलवे स्टेशन में 7.7 करोड़ की लागत से एक नई रनिंग रूम की योजना बनाई गई है। इसके साथ ही नीति दिशानिर्देशों को संशोधित किया गया है ताकि हाउसकीपिंग और खानपान सेवाओं में अनुभव रखने वाली एजेंसियों को रनिंग रूम के लिए काम पर रखा जा सके।
रनिंग स्टाफ का स्वास्थ्य और कल्याण दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की सर्वोच्च प्राथमिकता है। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे व्यापक चिकित्सा सुविधाएँ सुनिश्चित करता है और हमारे समर्पित कर्मचारियों के लिए अन्य आवश्यकताओं को भी पूरा करता है। दक्षिण पूर्व मध्य रेल प्रशासन सभी लाइन स्टाफ के लिए एक सुखद कार्य वातावरण प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के अंतर्गत चालक दल को जल्द से जल्द कार्यस्थल तक आवागमन की सुविधा के लिए उपलब्ध कराई गई सडक़ परिवहन (टैक्सी आदि) की सुविधा में भी बढ़ोत्तरी की गई है। जिससे लाँग अवर तक काम करने के घंटे भी कम हुए हैं। भारतीय रेलवे में गार्ड और लोको पायलट की भूमिका आज के युवाओं के लिए अत्यधिक मांग वाले करियर विकल्प हैं। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे सुविधाओं को बढ़ाने, कार्य की स्थिति में सुधार करने और सभी कर्मचारियों के साथ ही रनिंग स्टाफ की सुविधा सुनिश्चित करने के लिए समर्पित है।
लोको पायलटों की सुविधाओं के लिए रेलवे है कृत संकल्पित
बेहतर कार्य सम्पादन हेतु रेलवे में उपलब्ध कराये गए हैं अनेक सुविधायें
