रायगढ़। जिले में रायगढ़-पूंजीपथरा-धरमजयगढ़ और खरसिया से धरमजयगढ़ के रास्ते पत्थलगांव तक सडक़ का निर्माण हो रहा है। अभी सडक़ टू लेन बन रही है। अब एडीबी(एशियाई विकास बैंक) दो सडक़ों को फोरलेन करने की तैयारी शुरू हो गई है। जिले में रायगढ़-धरमजगढ़, खरसिया से हाटी के रास्ते धरमजयगढ़ और छाल से घरघोड़ा तक की सडक़ फोरलेन की जाएगी। अभी हालांकि यह बहुत शुरुआती दौर में है। अभी इस पर बैठक हुई है, पीडब्ल्यूडी में एडीबी के प्रोजेक्ट डायरेक्ट ने पत्र लिखकर प्रोजेक्ट मैनेजर से जानकारी देने के लिए कहा है। इन सडक़ों के लिए बजट की मांग एडीबी से की जाएगी। सितंबर में एडीबी की स्वीकृति के लिए प्रस्ताव भेजा जाएगा इसके बाद काम शुरू हो सकेगा। एशियन डेवलमेंट बैंक के प्रोजेक्ट डायरेक्टर एडीबी के प्रोजेक्ट मैनेजर को पत्र लिखा है। पीडब्ल्यूडी के चीफ इंजीनियर ने 21 जून को बैठक ली। इसमें लोन-4 के मार्गों के चयन के संबंध में समीक्षा की गई है। 14 जून को भी एक बैठक हुई, जिसमें लोन-4 के लिए मार्गों पर चर्चा हुई है। प्रदेश के सभी एडीबी प्रोजेक्ट मैनेजर से सडक़ों के संबंध में जानकारी मांगी गई है। सितंबर 2024 तक जानकारी भेजने के लिए कहा गया है ताकि एडीबी को स्वीकृति के लिए भेजा जा सके। जानकारी के मुताबिक अभी लोन-3 के तहत स्वीकृत सडक़ों का काम चल रहा है।
अधर में लटका टू-लेन सडक़
जिले में सडक़ों की हालत 10 सालों से खस्ता है। रायगढ़ से पत्थलगांव तक घरघोड़ा धरमजयगढ़ के रास्ते जाने वाली सडक़ 2013 से खराब है। ढाई साल पहले इसका निर्माण शुरू कराया गया था। सडक़ अभी अधूरी है। खरसिया से हाटी, धरमजयगढ़ के रास्ते पत्थलगांव तक की सडक़ भी अधूरी है। खरसिया से छाल तक 20 किलोमीटर की सडक़ दो साल में पूरी नहीं हो पाई है। एशिया के विकासशील देशों में सडक़ और दूसरे अधोसंरचना के लिए एडीबी(एशियन डेवलपमेंट बैंक) लोन देता है। प्रदेश में ऐसी सडक़ें जिसमें बड़ा बजट लगता है। ऐसी सडक़ें जो राज्य शासन के बजट से स्वीकृत नहीं हो पाती, उनकी जरूरत और उपयोगिता को देखते हुए एडीबी से लोन लेकर बनाई जाती हैं। प्रदेश में अभी लोन-3 (तीसरी किस्त) के तहत सडक़ें बन रही हैं। अब लोन-4 की तैयारी चल रही है।
यातायात में सुधार, हादसों में कमी
पीडब्ल्यूडी और एडीबी के अफसर कहते हैं कि फोरलेन के लिए फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं गया है, लेकिन फोरलेन सडक़ बनेगी तो यातायात बेहतर होगा। हादसों में कमी आएगी। लोन-4 के लिए प्रस्तावित सडक़ों में औद्योगिक परिवहन भारी मात्रा में होता है। डायरेक्टर ने कहा है कि सडक़ निर्माण ग्रीन बेल्ट में किया जाए यानि निजी भूमि का अधिग्रहण कर सडक़ निर्माण किया जाए ताकि पुनर्विस्थापन और जनोपयोगी सुविधाओं में ज्यादा खर्च न हो। हालांकि इन सडक़ों पर फिलहाल कोई भी सर्वे या प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है। पत्र में कहा गया है कि बजट में प्रस्तावित ऐसे काम लिए जाएं जिन्हें प्रशासकीय स्वीकृति नहीं मिली है। तीन प्रमुख सडक़ों को लोन-4 के तहत फोरलेन करने की बात अभी शुरुआती दौर में है। इस पर कार्रवाई शुरू नहीं हुई है। कितना समय लगेगा, कब शुरू होंगी यह नहीं कहा जा सकता है।
एके दीवान,
प्रोजेक्ट मैनेजर, बिलासपुर संभाग