सारंगढ़। जिला कलेक्टर कार्यालय सभागृह में 1 जुलाई से लागू हो रही भारतीय न्याय संहिता को लेकर कार्यशाला संपन्न हुई। कार्यशाला का शुभारंभ न्यायाधीश शीलू सिंह, न्यायाधीश ध्रुवराज ग्वाल, कलेक्टर धर्मेश कुमार, एसपी पुष्कर शर्मा, विजेंद्र सिंह ठाकुर, अवधेश पांडिग्राही, प्रवीण सोनी, वेद प्रकाश पटेल के द्वारा दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का श्री गणेश किया गया। मुख्य वक्ता के रूप में वेद प्रकाश पटेल डीपीओ के साथ प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट शीलू सिंह, प्रवीण सोनी फॉरेंसिक अधिकारी, विजेंद्र सिंह ठाकुर महिला एवं बाल विकास अधिकारी, अवधेश पाणिग्रही मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के साथ पुलिस कप्तान पुष्कर शर्मा, जिला कलेक्टर धर्मेश साहू के द्वारा नए कानून को लेकर जानकारी उपस्थित एनसीसी, स्काउट के छात्र-छात्राओं के साथ नगर के गणमान्य एवं प्रतिष्ठित नागरिकों, पत्रकार गण एवं अधिकारी, कर्मचारी की उपस्थिति में नयें कानून को लेकर कार्यशाला का शुभारंभ हुआ।
प्रथम वक्ता के रूप में वेद प्रकाश पटेल डीपीओ ने अपने उद्बोधन में कहा कि देश भर में 1 जुलाई 2024 से 3 नए आपराधिक कानून लागू होने जा रहे हैं, तीन नयें आपराधिक कानून में भारतीय न्याय संहिता 2023 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 को लेकर उन्होंने अपनी बात रखी। पटेल जी ने यह भी कहा कि पहले भारतीय दंड संहिता के नाम से जाना जाता था अब यह दंड संहिता ना होकर भारतीय न्याय संहिता के नाम से जाना जाएगा। जिसे पूरी तरह से पारदर्शीय बनाने के लिए संशोधन किया गया है। शीलू सिंह प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट ने कहा कि 1 जुलाई से लागू हो रही नई संहिताएं आधुनिक समय की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर तैयार की गई है।जिससे न्यायिक प्रक्रिया में स्पष्टता और निष्पक्षता आती है। यह संहिता नागरिकों को सरकारी तंत्र के किसी भी दुरुपयोग से बचाने के लिए कानूनी संरक्षण प्रदान करती है। नवीन कानून की आवश्यकता एवं अपरिहार्यता के संबंध में अपना वक्तव्य दिए। उन्होंने नवीन आपराधिक कानून में जोड़े गए नई धाराओं पुराने कानून से हटाई गई धाराओं एवं आवश्यक परिवर्तनों की विस्तृत रूप से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि नए कानून हमारे देश की विधि प्रणाली को आधुनिक, सम सामयिक और प्रभावी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
नए कानून पर अपना उद्बोधन देते हुए फॉरेंसिक अधिकारी प्रवीण सोनी ने कहा कि नए कानून पूरी तरह से पारदर्शी है। कोई भी घटना कारित होती है तो उक्त स्थान को तत्काल सील कर दिया जाए। साथ ही साथ उसकी फोटो ग्राफी और वीडियो ग्राफी भी किया जाए जिससे घटना की सम्यक जानकारी सुस्पष्ट और सत्यता से परिपूरित हो सके। नए कानून के माध्यम से नागरिकों के अधिकारों की रक्षा और अपराधों की रोकथाम में महत्वपूर्ण सुधार किए गए हैं। डिजिटल युग में साइबर अपराध, डेटा सुरक्षा और तकनीकी धोखाधड़ी जैसे नए प्रकार के अपराध सामने आ रहे हैं इसके रोकथाम के लिए तीन नए कानून बनाए गए हैं। पत्रकार अग्रवाल के प्रश्नों का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि महिला, बुजुर्ग,बालक पीडि़त थे, इसलिए नया कानून में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण हुई है। नयें महिला सुरक्षा कानून पर बारीकी से जानकारी देते हुए विजेंद्र सिंह ठाकुर महिला एवं बाल विकास अधिकारी ने कहा कि नयें कानून में धारा 68 व 69 के तहत पहचान छुपा कर शादी करना या शादी का झूठा वादा कर यौन कृत्य करने को जघन्य अपराध की श्रेणी में रखा गया है। धारा 70 के तहत सभी प्रकार के सामूहिक दुष्कर्म के लिए 20 वर्ष या आजीवन कारावास का प्रावधान है। धारा 89 के तहत महिला की सहमति के बिना गर्भपात करने पर आजीवन कारावास में दंडित किए जाने का प्रावधान है। जिला चिकित्सा अधिकारी पाणिग्रही ने बताया कि नयं न्याय व्यवस्था के तहत अब चिकित्सा क्षेत्र में भी पारदर्शी देखने को मिलेगी धारा 354 और 376 में डॉ. के द्वारा जांच निर्धारित तिथि के भीतर प्रदान की जाएगी।धारा 354 और 376 अब 61 से लेकर धारा 66 के तहत आएगा। वही 501 से 506 तक की धारा जो मारपीट से लेकर खून खच्चर तक का है जो धारा 101 से 106 के भीतर आएगी डॉ. के द्वारा किए जाने वाले जांच बेहद महत्वपूर्ण साबित होगा। जिला कलेक्टर श्री साहू जी ने कहा कि नवीन न्याय संहिता में दंड नहीं बल्कि न्याय दिलाने की बात कही गई है। वर्तमान परिदृश्य में जो धाराएं अनुपयोगी हो गई हैं, उसे विलोपित किया गया है और आवश्यकता अनुसार संशोधित कर नए प्रावधानों को जोड़ा गया है। सूचना प्रौद्योगिकी के इस युग में डिजिटल साक्ष्य को भी मान्यता दी गई है। जिला पुलिस कप्तान पुष्कर शर्मा ने कहा कि समय की जरूरत के अनुसार आज भारतीय दंड संहिता में संशोधन करते हुए नवीन न्याय संहिता लागू की जा रही है। जिसमें साक्ष्य महिला सुरक्षा को लेकर के जरूरी बदलाव किए गए हैं।इसके लागू होने से नागरिकों को बेहतर न्याय मिलेगा। नवीन न्याय संहिता के लागू होने से न्याय व्यवस्था को नहीं दिशा मिलेगी, भारतीय दंड संहिता 1860 के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता 2023 को अधिसूचित किया गया है। भारतीय दंड संहिता की 511 धाराओं के स्थान पर अब 358 धाराएं हैं तथा 23 अध्याय के स्थान पर 20 अध्याय है। लॉर्ड मैकाल के द्वारा बनाई गई न्याय व्यवस्था अब परिवर्तित हो रही है। कार्यक्रम में जिला परियोजना अधिकारी हरिशंकर चौहान, एसडीएम अनिकेत साहू, स्निग्धा तिवारी, पुलिस विभाग के समस्त वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का आभार प्रदर्शन एसडीएम साहू ने किया, वही कार्यक्रम का मंच संचालन एडिशनल पुलिस कप्तान कमलेश चंदेल के द्वारा किया गया। पत्रकार भरत अग्रवाल, संजय मानिकपुरी, कीर्ति आजाद, गोविंद बरेठा के साथ अन्य पत्रकार साथी उपस्थित रहे।
नयें कानून की बारीकी को समझना जरूरी -शीलू सिंह
नयें कानून के संबंध में जिला कलेक्ट्रेट में कार्यशाला का हुआ आयोजन
