रायगढ़। वेदांता एल्युमिनियम ने रायगढ़ जिले में आबंटित बर्रा कोल ब्लाक से उत्पादन शुरू करने प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है। एक जानकारी के अनुसार जिले के आदिवासी क्षेत्र में आबंटित इस बर्रा कोल ब्लाक के उत्पादन को लेकर कई जानकारियां अभी संबंधित अधिकारी मांग रहे हैं जिसमें खनिज विभाग ने कंपनी को एग्रीमेंट साइन करने के लिये जमीन की मुद्रांक और पंजीयन शुल्क की जानकारी मांगी है। यह कोल ब्लाक करीब 31.44 हे. भूमि पर फैलेगा। बताया जा रहा है कि बड़े क्षेत्र में वेदांता के इस कोल ब्लाक के शुरू होनें से आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में रहवास तथा प्रदूषण संबंधी दिक्कते भी बढऩे के संकेत है।
केन्द्र की कोल मिनिस्ट्रिी ने रायगढ़ और कोरबा जिले की सीमा में फैले बर्रा कोल ब्लाक का आबंटन वेदांता एल्युमिनियम को किया है। नीलामी में कंपनी ने सर्वाधिक बोली लगाई थी। हम आपको बता दें कि वेदांता कंपनी का कोरबा में प्लांट है इसलिये बर्रा कोल ब्लाक के लिए बोली लगाई है। इस खदान में ग्राम बरझर, बर्रा, जोबी, करूवाडीह, कुरू, मिनगांव, नागोई, पुछियापााली और रामपुर की जमीनें आ रही है जो खदान शुरू होनें के बाद कंपनी के आधिपत्य में चली जाएगी। बताया यह भी जा रहा है कि करीब 31.44 हे. भूमि कोल ब्लाक के लिये अधिग्रहित की जाएगी। करीब 31 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैलने वाले इस कोल ब्लाक में वन भूमि करीब 5 वर्ग किमी है। इतने जंगलों का विनाश करके खरसिया शहर ये 16 किमी दूर कोयला खदान शुरू होगी। कोरबा तक कोयला परिवहन आसान होनें के कारण यह खदान वेदांता ने ली है। केप्टिव के साथ कमर्शियल यूज भी किया जाएगा। माइनिंग लीज के लिये अनुबंध विलेख निष्पादन किया जाना है इसलिये मुद्रांक शुल्क और पंजीयन शुल्क की जानकारी मांगी गई है।
कोल ब्लाक का चुका है विरोध
खरसिया क्षेत्र में आने वाले बर्रा कोल ब्लाक आबंटन के बाद ही विरोध प्रारंभ हो गया था। आदिवासियों ने किसी भी कीमत पर कोल ब्लाक के लिये जमीन नही देनें का निर्णय लिया है। इधर खरसिया समेत दूसरे क्षेत्रों में जमीन दलाल भी सक्रिय हो चुके हैं। अब प्रदेश में राजनीतिक परिदृश्य भी बदल चुका है। लेकिन खरसिया में वही स्थिति है। आदिवासी भी एकजुट हो चुके हैं। सूत्र यह भी बताते हैं कि आदिवासियों के घोर विरोध के बावजूद वेदांता कंपनी इस कोल ब्लाक में उत्खनन करने के लिये पूरी तैयारी कर चुका है लेकिन इलाके के आधा दर्जन से भी अधिक गांव के लोग बड़े विरोध की तैयारी कर रहे हैं चूंकि इस कोल ब्लाक के शुरू होनें से क्षेत्र में वाहनों की आवाजाही के अलावा कोयले के प्रदूषण तथा गरीब आदिवासियों की सिंचित जमीनें व उनके रहवास को भी बडा खतरा उत्पन्न हो जाएगा।