रायगढ़। रिकार्ड 30 प्रतिशत लोड बढ़ा नतीजतन लाइन और ट्रांसफॉर्मर में आ रहे लगातार फॉल्ट, रायगढ़ शहरी क्षेत्र को अलग डिवीजन बनाने की उठी मांग, बिजली गुल से लोग परेशान है, हल्की सी बारिश या मौसम बदलते ही बिजली घंटो या कहीं दिन-दिनभर बाधित हो रही है। लोगों का विभाग के प्रति गुस्सा चरम पर है। वह सोशल मीडिया से लेकर बिजली विभाग में अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। सवाल सबसे बड़ा यह है कि आखिर बिजली सरप्लस राज्य के औद्योगिक शहर रायगढ़ में बिजली को लेकर इतनी हाय-तौबा क्यों मची है क्या वास्तव में इसका जिम्मेदार बिजली विभाग है?
इन्हीं सब बातों पर हमनें बिजली विभाग और लोगों से बात की, दावों और शिकायतों में काफी अंतर मिला। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार हर साल 5 प्रतिशत की दर से उपभोक्ता बढ़ रहे हैं पर बिजली खपत 25 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। फरवरी माह में शहर का बिजली का लोड जो एक समय पर 40 मेगावाट होता है वह मई-जून में 80 मेगावाट तक पहुंच जाता है। एयरकंडीशनर की बिक्री अभी बूम पर है, दुकानों में एसी खरीदने के लिए टोकन मिल रहे हैं। यह लोड बढ़ाने वालों तत्वों में शामिल है। शहरी क्षेत्र में 55,000 उपभोक्ता हैं। फीडर के माध्यम से उपभोक्ताओं तक बिजली पहुंचाने में दिक्कत नहीं है डिमांड के अनुरूप सप्लाई भी है। लेकिन कई मर्तबे देखा जाता है कि जनरेश और ट्रांसमिशन के छोर से भी बिजली सप्लाई बाधित होती है।
इस बार मौसम काफी गर्म है जिसके कारण अनुमानित 10 प्रतिशत से लोड बढक़र 30 प्रतिशत तक बढ़ गया जिसके कारण लाइन और ट्रांसफार्मर में लगातार फॉल्ट आ रहे हैं। आसान शब्दों में कहा जाए तो लोग अपने घर में कूलर से एसी में शिफ्ट तो हो गए पर उनका घरेलू लोड नहीं बढ़ रहा जहां 1000 वाट का डिमांड लोड था वहां अब एक एसी के आने से 2200 वाट लग रहा है कई घरों में एक से अधिक एसी हैं ऐसे में सारा लोड ट्रांसफॉर्मर और मेन सप्लाई में आ रहा है। अब इन्हें सुधारने की जिन पर जिन पर जिम्मेदारी है वहां भी 50 फीसदी कम कर्मचारी हैं। शहरी क्षेत्र में सुधारने के लिए चार गैंग हैं, एक गैंग में ड्राइवर मिलाकर 4 लोग होते हैं एक समय में कई जगह कार्य नहीं कर पाते। मानसून अभी ठीक से नहीं आया है कहने का अर्थ है कि पानी का लगातार गिरना बाकी है जिसके कारण कुछ फाल्ट जो अवश्यसंभावी होते हैं उसे विभाग ठीक कर लेता है इसमें इंसुलेटर का सेट होना आदि शामिल है। वर्तमान में जरा सी बारिश में इंसुलेटर ब्लास्ट हो जा रहे जिन्हें ठीक करने में समय लग जा रहा है। बिजली विभाग के सब-स्टेशनों में क्षेत्रवार फीडर हैं जो 24 घंटे चालू आपूर्ति की निगरानी करते हैं। जब कोई ट्रांसमिशन लाइन क्षतिग्रस्त हो जाती है, तो फीडर दिखाता है कि कितने एम्पीयर फॉल्टी करंट प्रवाहित
हुआ है। यदि करंट 40 एम्पीयर से अधिक है, तो फीडर स्वचालित रूप से बिजली की आपूर्ति बंद कर देता है। इससे आपके क्षेत्र की लाइट बंद हो जाती है। यदि ट्रांसमिशन लाइन क्षतिग्रस्त है, तो लाइनमैन उसे ठीक करता है और लाइन को चार्ज करने के लिए सब-स्टेशन को सूचित करता है। सबस्टेशन से लाइन चार्ज होते ही आपके घरों में बिजली वापस आ जाती है। अगर बिजली व्यवस्था दुरूस्त होने में समय लगता है तो इसमें शहरी क्षेत्र में लाइनमैन की कमी होना एक बड़ी वजह है।
बिजली विभाग के रायगढ़ डिवीजन के कार्यपालन अभियंता राम कुमार राव बताते हैं कि डिमांड लोड की अस्पष्टता और मौसम की अनिश्चितता के कारण इस साल फॉल्ट अधिक आ रहे हैं। हमारी पूरी टीम अपना सर्वस्व दे रही है इसके बावजूद कहीं कहीं देर हो रही है। प्री मानसून मेंटेनेंस हम विभागीय स्तर पर करते हैं जिसमें पेड़ों की छटाई और तार मेंटेन करते हैं, मैनपावर हमें मिल जाता है। बीते 10 साल में रायगढ़ बिजली के क्षेत्र में अपनी आधारभूत संरचना को 5 गुना तक बढ़ा चुका है। जहां पहले करीब 500 ट्रांसफॉर्मर थे अब 1578 हैं, 33/11 केवी के 6 सब स्टेशन 17 हो गए हैं। फीडर की संख्या 10 से 57 हो गई है। 33 केवी की लाइन 90 किमी, 11 केवी की लाइन 917 किमी और लो ट्रांसमिशन यानी एलटी जिससे हमारे घरों तक बिजली आती है वह 3700 किलोमीटर बिछी है यानी पूरे शहरी क्षेत्र में करीब 4800 किलोमीटर के बिजली का तार बिछा है जिसकी निगरानी विभाग करता है। शहर में जिन जगहों से बिजली के तार गए हैं वहां पेड़ों की अधिकता है, हम छंटनी भी करते हैं लेकिन आंधी के कारण तारों को नुकसान हो जाता है जिससे बिजली सप्लाई बाधित हो जाती है। कार्यपालन अभियंता राम कुमार राव आगे कहते हैं कि शहर में उपभोक्ताओं के पास बिजली पहुंचने से पहले वह ग्रिड से कोतरा रोड स्थित सब-स्टेशन पहुंचती है। 33 केवी लाइनें सब-स्टेशन तक पहुंचती हैं, जहां ट्रांसफार्मर इसे 11,000 वोल्ट में बदल देते हैं। यह 11 केवी का करंट आपके क्षेत्र में लगे छोटे ट्रांसफार्मर तक पहुंचता है, जहां करंट को घटाकर 440 वोल्ट कर दिया जाता है। फिर यह 440 वोल्ट का करंट तारों के माध्यम से आपके घर तक पहुंचता है। फिर यह दो चरणों में विभाजित हो जाता है। हम अपने घरों में अपने उपकरणों को चलाने के लिए 220 वोल्ट का करंट उपयोग करते हैं। कोतरा रोड स्थित सब-स्टेशन से पूरे शहर में बिजली की सप्लाई होती है। यहां कोई समस्या होती है तो वह ट्रांसमिशन वाले देखते हैं। यहां से जब बिजली निकलकर आती है तो हमारा कार्यक्षेत्र शुरू हो जाता है। यहां से मेडिकल कॉलेज रोड तक बिजली का आपूर्ति करने में लाइन लॉस और मेंटेनेंस में दिक्कत होती है इसलिए मेडिकल कॉलेज के समीप बोईरडीह में 132/33 केवी का एक और सब-स्टेशन प्रस्तावित है जिससे जोन-2 में बिजली निर्बाध रूप से सप्लाई हो सकेगी।
रायगढ़ शहरी क्षेत्र को डिवीजन बनाने की उठी मांग
लगातार हो रही बिजली कटौती और मेनटेनेंस के अभाव पर कुछ बिजली कर्मचारियों ने बताया कि अभी रायगढ़ डिवीजन के अंदर धरमजयगढ़, लैलूंगा, घरघोड़ा, ग्रामीण अंचल से लेकर रायगढ़ पूरा शहरी क्षेत्र है ऐसे में अगर रायगढ़ शहरी क्षेत्र को एक डिवीजन बना दिया जाए तो समस्याएं काफी हद तक खत्म हो जाएंगी। डिवीजन बनने से रायगढ़ जो अभी दो जोन में बंटा हुआ है और जोन में बंट जाएगा। जिससे मॉनिटरिंग आसान हो जाएगी। डिवीजन को एक अतिरिक्त गाड़ी, टीम, विशेष फंड के अलावे कई अतिरिक्त सुविधाएं मिल जाएंगी। अभी व्यवस्था यह है कि जोन-2 में सिंधी कॉलोनी भी आता है और सांगीतराई और कोसमनारा भी अब टीम एक जगह की समस्या को दूर करेगी तभी न दूसरी जगह जा पाएगी।
क्यों होती है बिजली बाधित
जोन 2 के एडिशनल इंजीनियर राजेश देवांगन बताते हैं कि सडक़ पर नजर आने वाले बिजली के तार के माध्यम से ही बिजली ट्रांसमिशन होता है। (करीब 4800 किलोमीटर तारों का जाल) बारिश के दौरान बिजली गिरने की घटनाओं को देखते हुए एहतियातन ग्रिड से सब-स्टेशन तक बिजली का ट्रांसमिशन रोक दिया जाता है। पावर सप्लाई अवरुध होने से हमारे घरों तक बिजली नहीं पहुंच पाती। बिजली के तार कई जगह से क्षतिग्रस्त होते हैं, इन तार में हाई वोलटेज बिजली दौड़ती है। बारिश के दौरान बिजली के तार टूटने की संभावना बनी रहती है, तेज हवा चलने से अगर तार का क्षतिग्रस्त हिस्सा किसी सामान या व्यक्ति पर गिरता है तो समस्या खड़ी हो सकती है। देर तक हुई बारिश में तार का इंसुलेशन भी प्रभावित होता है जिसकी वजह से फ्यूज उडऩे और पावर कट होने की समस्या होती है। अगर तार पर पेड़ गिर जाए तो तार क्षतिग्रस्त हो सकता है, ऐसे तार के संपर्क में आने से हादसा हो सकता है। वहीं तूफान के कारण ट्रांसमिशन लाइनें टूट जाती हैं या उन पर पेड़ों की शाखाएं गिर जाती हैं। जैसे ही लाइनों में करंट के प्रवाह में रुकावट आती है, हाई वोल्टेज करंट उत्पन्न होता है जो खंभों पर लगे जंपर्स और इंसुलेटर को फ्यूज कर देता है। इसी तरह, जब लंबे समय तक बारिश होती है, तो झाडिय़ों और स्विच जैसे इन्सुलेशन तत्व क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप बिजली कटौती होती है। आंधी के समय सडक़ किनारे लगे फ्लैक्स से भी बिजली परेशान है। आंधी तूफान के समय यह फ्लैक्स टूटकर तारों से चिपक जाते हैं और शार्ट-सर्किट हो जाता है।