भिलाईनगर। भिलाई इस्पात संयंत्र के तत्वाधान में क्रीड़ा, सांस्कृतिक एवं नागरिक सुविधाएं विभाग द्वारा महात्मा गाँधी कला मंदिर, सिविक सेंटर में, विश्व संगीत दिवस के उपलक्ष्य में शास्त्रीय संगीत संध्या का आयोजन किया गया। शास्त्रीय संगीत संध्या में, मुंबई से अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सितार वादक नीलाद्री कुमार और कोलकाता से तबला वादक रूपक भट्टाचार्य ने मनमोहक प्रस्तुति दी।इस अवसर पर विशेष अतिथि के रूप में सेल-बीएसपी के निदेशक प्रभारी अनिर्बान दासगुप्ता अपनी पत्नी अध्यक्ष (भिलाई महिला समाज) श्रीमती त्रिपर्णा दासगुप्ता एवं निदेशक (आईआईएम रायपुर) प्रो. राम कुमार काकानी अपनी पत्नी के साथ उपस्थित थे।इस अवसर पर कार्यपालक निदेशक (वर्क्स) अंजनी कुमार अपनी पत्नी उपाध्यक्ष (बीएमएस) श्रीमती नीरजा कुमारी सिंह के साथ, कार्यपालक निदेशक (परियोजनाएं) एस मुखोपाध्याय अपनी पत्नी अतिरिक्त उपाध्यक्ष (बीएमएस) श्रीमती प्रणति मुखोपाध्याय के साथ, कार्यपालक निदेशक (मानव संसाधन) पवन कुमार कार्यपालक निदेशक (माइंस) बी के गिरी अपनी पत्नी अतिरिक्त उपाध्यक्ष (बीएमएस) श्रीमती स्मिता गिरी के साथ और मुख्य चिकित्सा अधिकारी प्रभारी (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवांयें) डॉ एम रविन्द्रनाथ उपस्थित थे। साथ ही मुख्य महाप्रबंधक (एचआर-एलएंडडी-एमटीआई, रांची) संजय धर, डीन (बाह्य संबंध, आईआईएम-रायपुर) प्रो. सत्यसिबा दास, अध्यक्ष (उद्यमिता, आईआईएम-रायपुर) प्रो. वर्षा ममिडी और इस्पात बिरादरी के अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण, नागरिक एवं इस्पात नगरी के संगीतकार सहित बड़ी संख्या में संगीत प्रेमी उपस्थित थे।कार्यक्रम की शुरुआत में नीलाद्रि कुमार तथा रूपक भट्टाचार्य को विशेष अतिथियों द्वारा सम्मानित किया गया। इनकी विविध बानगियों की प्रस्तुतियों का आनंद लेने के लिए ऑडिटोरियम संगीत प्रेमियों भारी भीड़ से भरा हुआ था। इस आयोजन मेंनीलाद्री कुमार के साथ कोलकाता के अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त तबला वादक रूपक भट्टाचार्य संगतकार थे। संगीत संध्या में सितार सम्राट नीलाद्री कुमार ने अपने सितार की झंकार से बेहद चर्चित धुन व राग-रागिनियों को सम्मोहक अंदाज में प्रस्तुत किया। उनकी प्रस्तुती ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया था। अतिथियों ने नीलाद्रि कुमार द्वारा प्रस्तुत सितार वादन काआनंदलिया, जिसमें रूपक भट्टाचार्य ने तबले पर संगत की, जिसकी शुरुआत शाम के राग तिलक कामोद तथा राग-तोड़ी के गायन से हुई। नीलाद्रि कुमार ने भी जि़टार पर मधुर प्रस्तुति दी। नीलाद्रि कुमार और रूपक भट्टाचार्य की संगीत प्रस्तुतियां देर रात तक जारी रहीं, कलाकारों से दर्शकों से खूब तालियां बटोरी और ऑडिटोरियम तालियों की गडगडाहट से गूंज उठा। उल्लेखनीय है कि सितार सम्राट नीलाद्रि कुमार ने वाद्य संगीत में वर्षों के प्रयोगों के बाद एक अद्वितीय फ्यूजन वाद्य ‘जि़टार’ का आविष्कार करके हिंदुस्तानी शास्त्रीय और पश्चिमी संगीत के मिश्रण को प्रचलन में लाया है, जो भारतीय शास्त्रीय तार वाद्य सितार और पश्चिमी तार वाद्य गिटार का संयोजन है। उनकी प्रस्तुतियों को देश-विदेश में भी संगीत मर्मज्ञों द्वारा सराहा जाता है।