रायगढ़. जिले में लगातार हो रहे सडक़ हादसे को देखते हुए जिला अस्पताल में क्रिटिकल केयर शुरू किया गया था, लेकिन स्टाफ व अन्य सुविधाओं का टोटा होने के कारण गंभीर मरीजों को लाभ नहीं मिल पा रहा है, जिससे पहले की तरफ फिर से गंभीर मरीजों को दूसरे अस्पताल रेफर करना पड़ रहा है, जिससे मरीज व परिजन दोनों को परेशान होना पड़ता है।
उल्लेखनीय है कि जिला अस्पताल में क्रिटिकल केयर शुरू करने के लिए विगत छह माह से तैयारी चल रही थी, जिसे पिछले माह शुरू भी कर दिया गया, लेकिन अब स्थिति ऐसी है कि यहां सडक़ हादसे में घायल होकर आने वाले मरीजों की बेहतर उपचार के लिए न तो पर्याप्त स्टाफ है और न ही जांच के लिए सुविधाएं है, जिसके चलते मरीजों को बेहतर सुविधा उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। ऐसे में या तो सोनोग्राफी, सीटी स्केन व अन्य जांच के लिए निजी लैब भेजना पड़ता है, जिससे मरीज के साथ-साथ परिजनों को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं बताया जा रहा है कि अगर मरीज जिला अस्पताल पहुंचते हैं तो परिजन प्रायवेट में एमआरआई व सिटी स्कैन करा भी ले रहे हैं तो उसका रिपोर्ट को देखने वाला यहां डाक्टर नहीं है, जिससे परिजनों को प्रायवेट अस्पताल में जाकर रिपोर्ट की जांच कराकर यहां के डाक्टरों से बात करानी पड़ती है, तब कहीं जाकर आगे की उपचार शुरू हो रहा है। इन सब असुविधाओं को देखते हुए ज्यादा मरीज जिला अस्पताल में रुकना ही नहीं चाहते, जिसके चलते अब लोगों का जिला अस्पताल से मोह भंग होने लगा है। हालांकि गंभीर मरीजों के बेहतर उपचार के लिए जिला अस्पताल से डाक्टर व नर्स विगत दिनों ट्रेनिंग में भी गए थे, लेकिन सुविधाएं नहीं होने के कारण ये भी काम नहीं कर पा रहे हैं, ऐसे में अब जब तक यहां स्टाफ के साथ स्वास्थ्य संबंधी जांच की सुविधा उपलब्ध नहीं होगा, तब तक गंभीर मरीजों को बेहतर सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाएगा।
क्रिटिकल केयर के बेड लगाकर खानापूर्ति
उल्लेखनीय है कि विगत दिनों अस्पताल प्रबंधन द्वारा आनन-फानन में क्रिटिकल केयर के लिए बेट तो लगा दिया गया, लेकिन उस हिसाब से यहां सुविधा उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। वहीं अस्पताल सूत्रों की मानें तो क्रिटिकल केयर के लिए वर्तमान में तीन बेड लगाया गया है, लेकिन उस कैटेगरी के मरीज आने पर यहां सुविधा नहीं होने की स्थिति रेफर करना पड़ता है, जिसके चलते मरीजों को लाभ नहीं मिल पा रहा है।
नहीं है जांच की सुविधा
गौरतलब हो कि जिला अस्पताल की स्थिति ऐसी है कि यहां सोनोग्राफी मशीन तो है, लेकिन रेडियोलाजिस्ट नहीं है, साथ ही इस अस्पताल में न तो सिटी स्कैन की सुविधा है और न ही एमआरआई की सुविधा है, ऐसे में अगर कोई व्यक्ति सडक़ हादसे में घायल होता है तो उसके पूरे शरीर की जांच करनी पड़ती है, लेकिन सुविधा के अभाव में उसे जांच कराने के लिए दूसरे जगह भेजा जाता है। जिससे मरीज के परिजन इन समस्याओं को देखते हुए निजी अस्पतालों में ही उपचार कराना मुनासिब समझ रहे हैं।
क्या कहते हैं परिजन
इस संबंध में जब मरीज के परिजनों से बात की गई तो उनका कहना था कि जिला अस्पताल में जांच की सुविधा नहीं होने के कारण बाहर से जांच कराना पड़ता है, साथ ही जब वहां से रिपोर्ट लेकर अस्पताल पहुंचते हैं तो यहां यह बोला जाता है कि प्रायवेट डाक्टर के रिपोर्ट जांच कराकर बात कराओ, ऐसे में परिजनों को जांच कराने में तो रुपए खर्च होते ही है साथ ही रिपोर्ट दिखाने में भी डाक्टर को फीस देना पड़ता है। जिससे आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
स्टाफ की कमी से जूझ रहा जिला अस्पताल
इलाज के लिए निजी अस्पतालों में जाने को मजबूर हो रहे मरीज, कुछ दिन पहले ही शुरू हुआ था क्रिटिकल केयर, पर सुविधा नदारद
