सारंगढ़। जिले में सभी स्थानों पर वट सावित्री का व्रत रखा गया था । भटगांव में सुहागिन महिलाओं ने पति की लंबी उम्र और परिवार की सुख, शांति के लिए वट सावित्री व्रत रखकर पूजा – अर्चना की। जहां वट सावित्री व्रत पर महिलाओं ने दुल्हन की तरह सोलह श्रृंगार कर वट वृक्ष के पास पहुंचकर महिलाओं ने विधि विधान के साथ व्रत को पूरा किया। नगर के कई स्थानों मे वट वृक्ष के नीचे सुबह से ही सुहागिनों की भीड़ लगी रही । पूजा अर्चना के बाद सुहागिनों ने वटवृक्ष की परिक्रमा कर पूजा की । वट सावित्री व्रत मे वट और सावित्री दोनो का खास महत्व माना गया है। पीपल की तरह वट या बरगद के पेड़ का भी विशेष महत्व है। पुराणों की माने तो वट वृक्ष मे ब्रम्हा, विष्णु व महेश तीनो का वास है। वट सावित्री व्रत के दिन बरगद पेड़ के नीचे बैठकर पूजन, व्रतकथा सुनने से मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इस व्रत मे महिलाएं सावित्री सत्यवान की कथा सुनाती है। वट वृक्ष के नीचे बैठकर ही सावित्री ने अपने पति सत्य वान को दोबारा जीवित कर लिया था। विदित हो कि दूसरी कथा के अनुसार मार्कण्डेय ऋषि को भगवान शिव के वरदान से वट वृक्ष के पत्ते में पैर का अंगूठा चूसते हुए बाल मुकुंद के दर्शन हुए थे, तभी से वट वृक्ष की पूजा की जाती है। वट वृक्ष की पूजा से घर मे सुख शांति, धनलक्ष्मी का भी वास होता है। वही छत्तीसगढ़ मे प्रमुख रूप से सुहाग पर्व के रूप मे मनाए जाने वाले वट सावित्री को लेकर नगर की नव ब्याहताओं मे खासा उत्साह देखा गया। सोलह श्रृंगार के साथ नई साड़ी, गहनों से सजीसंवरी सुहागिनें पूरे विधि विधान से वट वृक्ष की पूजा की। कच्चे सूत को लेकर परिक्रमा कर सुहागिनों ने चना, पकवान,मौसमी फल सहित सुहाग की साम्रगी भी चढ़ायी। वही नव ब्याहताओं महिलाओं ने बताया कि -उस के पहले व्रत को लेकर ससुराल मे काफी उत्साह था। हमेशा उसने अपनी मां चाची, मामी को यह व्रत करते देखा था और आज उसने यह व्रत रखा है। पति की लंबी उम्र और दीर्घायु के लिए वट सावित्री की पूजा अर्चना कर वरदान मांगी है। बरगद वृक्ष के नीचे सुहागिनों ने शिव पार्वती की पूजा की। इसके साथ अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना भी की। फल, पूड़ी, भीगे हुए चने भी अर्पित किए गए। महिलाएं पूजन सामग्री के तौर पर सिंदूर, दर्पण, मौली, काजल, मेहंदी, चूड़ी, माथे की बिंदी, साड़ी, सात तरह की अनाज और सत्यवान सावित्री की प्रतिमा लेकर पहुंची थी।