रायपुर। छत्तीसगढ़ वाणिज्यिक कर (जीएसटी) विभाग ने राज्य में ई-वे बिल के प्रावधानों में दी जाने वाली छूट खत्म कर दी है। राज्य में व्यवसायियों के लिए अब 50 हज़ार रुपए से अधिक के सामानों का परिवहन करने पर ई-वे बिल जनरेट करना आवश्यक होगा। 50 हजार से कम के सामान में ई-बिल नहीं लगेगा। इसके लिए सरकार ने 24 मई को ही अधिसूचना जारी कर दी है। राज्य में अभी तक एक जिले के भीतर माल के परिवहन करने पर ई-वे बिल जारी करना जरूरी नहीं था। इसके साथ ही 15 सामानों को छोडक़र राज्य के भीतर किसी भी वस्तु के परिवहन पर ई-वे बिल की आवश्यकता नहीं थी।
प्रदेश में व्यापारियों को साल 2018 से ई-वे बिल के प्रावधानों से छूट दी जा रही थी। विभाग का कहना है कि, वो छूट इसलिए दी गई थी क्योंकि ये प्रावधान नए थे। व्यवसायियों/ट्रांसर्पोटर्स को इन प्रावधानों से अच्छी तरह परिचित होने के लिए समय दिया जाना जरूरी था। देश भर में ई-वे बिल के प्रावधान लागू हुए करीब 6 साल हो चुके हैं। सभी इससे अच्छी तरह से परिचित भी हैं। एक दो राज्यों को छोडक़र देश के अधिकांश राज्यों में माल के परिवहन पर ई-वे बिल अनिवार्य है। केंद्रीय कर विभाग ने भी ई-वे बिल से छूट को खत्म करने पर सहमति दी है।
छूट का हो रहा दुरुपयोग
विभाग का कहना है कि ई-वे बिल जारी करने में दिए गए छूट का सबसे अधिक दुरुपयोग सर्कुलर ट्रेडिंग करने वाले और बोगस बिल जारी करने वालों ने किया है। इसलिए इस छूट को समाप्त किए जाने का सबसे अधिक लाभ उन व्यवसायियों को होगा जो ईमानदारी से अपना कर जमा करते हैं। ई-वे बिल के प्रावधान लागू होने से सर्कुलर ट्रेडिंग और बोगस बिलिंग रोकने में विभाग को मदद मिलेगी। ई-वे बिल के प्रावधानों में दी गई छूट को समाप्त किए जाने से राज्य में कर अनुपालन के वातावरण में सकारात्मक प्रभाव होगा। इससे बोगस बिल जारी करने, कच्चा बिल जारी करके कर अपवंचन करने की प्रवृत्तियों पर रोक लगेगी।