बरमकेला। सरिया के समीप ग्राम बरपाली में चल रहे 12 मई से 18 मई तक संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा का रसपान करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्तगण पहुंचकर आज रुक्मणी विवाह प्रसंग सुना। इस संगीतमय श्रीमद् भगवत कथा के आठवें दिन श्रीकृष्ण रुक्मणी विवाह धूमधाम एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कथा वाचक आयुष कृष्ण महाराज ने कहा कि महारास में पांच अध्याय है। उनमें गाए जाने वाले पंच गीत भागवत के पंच प्राण है। जो भी ठाकुरजी के इन पांच गीतों को भाव से गाता है वह भव पार हो जाता है। उन्हें वृंदावन की भक्ति सहज प्राप्त हो जाती है। कथा में भगवान का मथुरा प्रस्थान, कंस का वध, महर्षि संदीपनी के आश्रम में विद्या ग्रहण करना, कालयवन का वध, उधव गोपी संवाद, ऊधव द्वारा गोपियों को अपना गुरु बनाना, द्वारका की स्थापना एवं रुकमणी विवाह आदि प्रसंगों का संगीतमय वर्णन किया। भारी संख्या में भक्तगण दर्शन हेतु शामिल हुए। कथा के दौरान कथा वाचक ने कहा कि महारास में भगवान श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाकर गोपियों का आह्वान किया और महारास लीला द्वारा ही जीवात्मा परमात्मा का ही मिलन हुआ। इस अवसर पर- विद्याधर चौहान आयोजन कर्ता, यजमान-रवि पटेल, सुशीला पटेल अजय साहु, सहितगांव के प्रबुद्ध जन उपस्थिति थे।