खरसिया। राज्य शासन के आदेशानुसार जिलाधीश कार्तिकेय गोयल एवं जिला पंचायत सीईओ जितेंद्र यादव के निर्देश से अंजोरीपाली संकुल के ग्राम मुड़पार में आंगनबाड़ी से लेकर आठवीं तक के विद्यार्थियों के लिए 25 अप्रैल से 9 मई तक सीखना-सिखाना समर कैंप का आयोजन अजीम प्रेमजी फाउंडेशन और यादराम पटेल के सहयोग से संपन्न हुआ।
सीखना-सिखाना कैंप के हर दिवस को चार विभिन्न हिस्सों मे बाँटा गया। पहला सर्कल टाइम ऐक्टिविटी, दूसरा भाषा की दुनिया, तीसरा गणित के खेल और चौथा कला की दुनिया। समर कैंप में प्रतिदिन 20 से 41 बच्चों की उपस्थिति दर्ज की गई। वहीं कैंप के अंतिम दिवस विद्यार्थीयों द्वारा किए गए कार्यों की प्रदर्शनी भी रखी गई, जिसमें बालकों के पालक भी शामिल हुए। कैंप में जिला शिक्षाधिकारी बी.बाखला, डीएमसी नरेंद्र चौधरी, एपीसी भुवनेश्वर पटेल, बीईओ शैलेश देवांगन तथा बीआरसीसी प्रदीप साहू उपस्थित रहे।
सर्कल टाइम एक्टिविटी
इस कार्यक्रम के तहत बच्चों के साथ हिन्दी एवं अंग्रेजी के बालगीत को हाव-भाव और अभिनय के साथ गाया गया। वहीं दिवस मे होने वाली क्रियाओं पर बातचीत भी की गई। वहीं रोजाना बच्चों के साथ ‘आज की बात’ भी की गई। इस प्रक्रिया से बच्चों के अंदर अपने आप को सभी के समक्ष बिना किसी हिचक रखने का मौका दिया गया, जिससे उनमें आत्मविश्वास बढ़े और अभिव्यक्ति की दक्षता का विकास हो सके।
भाषा की दुनिया
इस कार्यक्रम के अंतर्गत स्थानीय कहानी का वाचन, अभिनय, हाव-भाव को किसी टीएलएम के माध्यम से प्रस्तुत करना, हस्तपुस्तिका निर्माण व लेखन हेतु सुझाव दिया गया। वहीं बच्चों से पहले दिन सुनी गई कहानी को पुन: सुनना, उस कहानी में आए शब्दों को लेकर बात करना, इसी तरह की किसी अन्य कहानी का लेखन, रचनात्मक लेखन के अवसर देना, किसी थीम पर लिखना जैसे- खेत, तालाब, नदिया, बादल आदि शामिल किए गए। वहीं बच्चों को स्थानीय त्यौहारों के संबंध में व्यक्तव्य देने के लिए आमंत्रित करना एवं उनके स्थानीय परिवेश के संबंध में बनने वाली समझ को परिपुष्ट करना भी किया गया। इसमे हिंदी एवं गणित दोनों ही भाषा पर विभिन्न गतिविधियों की माध्यम से कार्य किया गया। जिससे बच्चों के अंदर बौद्धिक क्षमता का विकास,लेखन कौशल मे विकास, पढऩे-लिखने की क्षमता का विकास, नवीन शब्दों को सीखने की प्रक्रिया का विकास हो सके। साथ ही स्थानीय परिवेश से बच्चों को जोडऩे का अभिनव पहल की गई।
गणित के खेल
गणित के अंतर्गत संख्या पूर्व अवधारणा, 1 से 20 तक की संख्याओं को लिखकर उसके ऊपर संख्या के अनुसार कंचे या कंकड़ जमाना और संख्या पहचान, जोड़, घटाव, गुणा, आकार एवं स्थानिक समझ, मापन आदि जैसे विभिन्न अवधारणाओं पर विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से कार्य किया गया। जैसे कि कार्यपुस्तिका, आइ हैव-यू हैव गतिविधि आदि।
कला की दुनिया
इसके कार्यक्रम के अंतर्गत बच्चों को रचनात्मक तौर पर स्वतंत्र किया गया। जिसमें उन्होंने अपने मान की कल्पना को विभिन्न कलाओं द्वारा कागज पर उतारा। जैसे- पत्तों से कलाकारी, सब्जियों से चित्रकारी, रंगीन चावल की कला, मिट्टी का खिलौना निर्माण, अपनी अंगुली और अंगूठे से चित्रकारी, ऑरगामी वर्क, धागे से विभिन्न डिजाइन बनाना, मुखौटा निर्माण कर उस पर नाटक प्रस्तुत करना आदि।