रायगढ़। जिले के विकासखण्ड लैलूंगा के ग्राम पंचायत सिहारधार जो कि लैलूंगा मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर पर स्थित है जहां मूलभूत सुविधाओं के नाम पर लाखों रुपए पानी की तरह बहाने का चर्चा पूरे विकासखंड में है परंतु जमीनी हकीकत की तस्वीर कुछ अलग ही बयंा कर रही है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत सिहारधार के गमहार गांव की जब सिहारधार से गमहार के लिए आगे बढ़े तो लचकन दार उबड़ खाबड़ सडक़ों से होकर गमहार गांव पहुचे जहां विकास कार्य के नाम पर दो चीजें देखने को मिली पहला पुलिया और दूसरा तटबंध ग्रामीणों ने बताया कि सीसी रोड के लिए मटेरियल गिराया गया है एक सूचना बोर्ड में मध्यक्षेत्र सनुसूचित जाती विकास प्राधिकरण मद से 7 लाख रुपये से तटबंध है लेकिन कितने मीटर का है। ये उलेख नही किया गया है। वही उसी जगह में महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना से 18,50 हजार रुपये से तटबंध का निर्माण हुआ है। परंतु ये कितने मीटर का है इसे भी उलेख नही किया गया है। एक बोर्ड को बनाकर लिखने के बाद तोड़ दिया गया है।अब इसमे समझने वाली बात यह है कि दोनो तटबंद कितना मीटर का है। एक तटबन्ध 7 लाख का है तो दूसरा 18 लाख 50 हजार का है। दोनों की लंबाई लगभग एक जैसे है। कहीं ऐसा तो नहीं है की 7 लाख की राशि वाली तटबंध को बना दिया गया हो और रोजगार गारंटी योजना के तहत बने तटबंध से शासन की आँखों मे धूल तो नही झोंकी जा रही है इसे सम्बधित इंजीनियर और सरपंच सचिव ही बता पाएंगे। बताया जा रहा है कि कितना मीटर बनाया गया है और कितने का मूल्यांकन किया गया है। यहां सरपंच की मनमानी चरम पर है उप सरपंच चन्दन सिंह सिदार ने बताया कि सरपंच दुख सिंह भगत किसी को कोई जानकारी नही दिया जाता न कभी ग्राम सभा किया जाता है कौन से योजनाओं से क्या कार्य हो रहा है कितने रुपये स्वीकृत है कुछ जानकारी नही दिया जाता बोलने से कुछ लोगो के सहयोग से पंचगणों की बात को दबाया जाता है। इतना मनमानी है कि सरपंच दुखसिह भगत सचिव का साइन प्रस्ताव सहित चेक में करके राशियों का आहरन किया जाता है सचिव गुलाब सिह राठिया को हटाने कई बार बोला गया पर कोई ध्यान नही दिया गया सचिव महीने में एक बार आया तो बहुत है सचिव का सभी काम सरपंच सँभालते है। पंचायत में पूरी तरह से भर्राशाही रवैये अपनाये जा रहें है सरपंच किसी बात सुनने को तैयार नही है। वही रोजगार सहायक का कार्य भी सरपंच ही करते है गांव में पानी की व्यवस्था पर्याप्त नहीं है।
पंचायत के पंचों का अपना-अपना दुखडा
वही वार्ड पंच सोन साय का कहना है कि किसी प्रकार का जानकारी नहीं दिया जाता है न बुलाया जाता है सरपंच पूरा तानाशाही करता है एक भी निर्माण के सम्बंध में जानकारी नही दिया जाता है एक साल हो गया ग्राम सभा नही किया गया है न ही पंच के मानदेय भत्ता नही दिया जाता है। बोलने पर आवाज को दबाने का प्रयास किया जाता है। सचिव गुलाब सिंह राठिया पंचायत आता ही नही है। वार्ड पंच कमला सिदार ने भी बताया कि पंचायत के सम्बंध में एक भी जानकारी नही है सरपंच कुछ भी नही बताता है सचिव कभी नही आता है।सरपंच पूरी तरह से मनमानी कर रहा है। इससे आप अंदाजा लगाइये की सरपंच की तानाशाही किस कदर हॉबी है।लाखो रुपये गांव के विकास के लिए शासन द्वारा दिये जा रहे है परंतु सरपंच और कुछ ठेकेदार नुमा बिचैलिए निर्माण कार्य के नाम पर राशि का बन्दरबांट कर रहे है। अगर ग्राम पंचायत में जितने भी योजनाओ से हुए कार्यो का निष्पक्षता से जांच किया जाए तो चैकाने वाला भरष्टाचार सामने आएगा पर सवाल यह है जांच करेगा कौन जनपद पंचायत के अधिकारी, बाबू बताया जाता है कि वही से इस सारा खेल का स्क्रीप्ट तैयार किया जाता है जब कोई शिकायत करते हैं तो जांच दल उन्ही को बनाकर भेजा जाता है जो इस पूरे खेल का स्क्रिप्ट राइटर होता है। वही जब बात आगे बढ़ जाती है और जिले से जांच दल भेजा जाता है तो पहले से पूरा बाबुओं सहित इंजीनियरों की टीम एक नया स्क्रीप्ट बनाकर तैयार रखा जाता है तब तक सरपंच कुछ लोगो धन का लोभ देकर अधिकारियों के सामने अपना साख बचाने में कामयाब होते हैं जिसके बाद शिकायतों को निराधार बता कर मामले को दबा दिया जाता है फिर वही से एक और भरष्टचार की नई इबारत लिखी जाती है। इतना ही नही सरपंच पर आवास योजना में हितग्राहियों से मकान बनवा कर देने के नाम पर राशि ले लिया गया है लेकिन आवास पूरी तरह अधूरा पड़ा है इसकी शिकायत भी की जा चुकी है।