रायगढ़। माहे रमजान के मुबारक मौके पर शहर के तमाम मस्जिदों के इमाम और हफीजे कुरान का इस्तकबाल कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान जो लोग उमरा कर मक्का मदीना शरीफ से लौटे उनका भी पुष्प गुच्छ भेंट कर इस्तकबाल किया गया।
माहे रमजान का मुबारक महीना मुस्लिम समुदाय के लिए बहुत खास होता है। इस पूरे महीने मुस्लिम रोजा रख कर इबादतो रियाजत में मशगूल होते हैं। इस मौके पर मस्जिदों में खास नमाज अदा की जाती है जिसे तरावीह की नमाज कहा जाता है। तरावीह की नमाज में कुरान पाक के 30 पारों को पढ़ कर सुनाया जाता है। शहर के मधुबनपारा निवासी हाजी गुलाम रसूल खान साबरी द्वारा हर वर्ष मस्जिदों में कुरान पाक पढक़र सुनाने वाले हाफिजे कुरान का इस्तकबाल कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। हाफिज वो होते हैं जिन्हें कुरान पाक के सभी 30 पारे कंठस्थ याद होते हैं और वे तरावीह की नमाज में ये पूरे 30 पारोँ को पढक़र सुनाते हैं। और ये खास होते हैं यही वजह है कि इन हफीजे कुरान का बड़ा एहतराम होता है। यही वजह है की माहे रमजान के मौके पर इनका इस्तकबाल किया गया। कार्यक्रम की शुरुवात मधुबन पारा के खतीबो इमाम हाफिज दानिश साबरी के द्वारा कुरान पाक की तिलावत कर किया गया। इसके बाद हाफीजे कुरान और उमरा कर मक्का मदीना से लौटे उमराह जायरीनों को इस्तकबाल किया गया। इस दौरान शहर के सभी मस्जिदों के इमाम और मुअज्जिम उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन हाफिज अताउन्नाबी साबरी के द्वारा किया गया।
माहे रमज़ान के मुबारक मौके पर हाफिजे कुरान का इस्तकबाल कार्यक्रम
मक्का मदीना से लौटे जायरीने उमराह का भी किया गया इस्तकबाल
