रायगढ़। जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार तो हो रहा है, लेकिन इसका लाभ नहीं मिलने से मरीज व परिजन दोनों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में जिला अस्पताल हो या मेडिकल कालेज अस्पताल दोनों जगह जांच संबंधी मशीनें तो है, लेकिन इसका संचालन करने वाला रेडियोलाजिस्ट नहीं होने से जहां मशीनें धूल खा रही है तो वहीं मरीजों को अधिक रुपए देकर प्रायवेट में जांच कराने की मजबरी बनी हुई है।
उल्लेखनिय है कि रायगढ़ जिला औद्योगिक हब होने के बाद यहां के लोगों को तरह-तरह की बीमारियों का भी सामना करना पड़ रहा है। साथ ही सडक़ों में दौड़ रही भारी वाहनों के चलते आए दिन हादसे भी हो रहे हैं, जिससे लोगों के जुबान पर एक ही बात आती है कि अगर मरीज को मेडिकल कालेज अस्पताल या जिला अस्पताल लेकर जाएंगे तो जान बच सकती है, लेकिन यहां आने के बाद सुविधाओं का टोटा इस कदर बनी हुई है कि बेहतर उपचार के अभाव में जान चली जा रही है। क्योंकि इन दोनों अस्पतालों में जांच के लिए मशीनें तो लगाई गई है, लेकिन इन मशीनों को चलाने के लिए रेडियोलाजिस्ट नहीं है, जिसके चलते मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। वहीं देखा जाए तो जब से जिले में मेडिकल कालेज अस्पताल शुरू हुआ है, तब से रायगढ़ जिला के अलावा आसपास के जिले सहित पड़ोसी राज्य ओडिशा से भी हर दिन दर्जनों की संख्या में मरीज यही लालसा लेकर पहुंचते हैं कि मेडिकल कालेज अस्पताल व जिला अस्पताल जाने पर एक ही छत के नीचे सभी तरह के जांच के साथ पूरी उपचार की सुविधाएं मिलेगी, लेकिन यहां आने के बाद किसी भी तरह की सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। जिसको लेकर कई बार मरीज के परिजनों द्वारा हंगामा भी कर दिया जाता है, लेकिन अधिकारी यह बोलकर पल्ला झाड़ लेेते हैं कि हमारे पास स्टाफ की कमी है, जिसके चलते जो हो सकता है उतना ही कर पाएंगे। वहीं देखा जाए तो जिला अस्पताल में विगत छह माह से रेडियोलाजिस्ट का पोस्ट खाली है तो वहीं मेडिकल कालेज अस्पताल में विगत तीन माह से खाली पड़ा है। जिससे मरीजों को छोटी-छोटी जांच के लिए प्रायवेट का सहारा लेना पड़ता है, जिससे रुपए तो खर्च करने पड़ते ही है, साथ ही परिजनों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है, जिसके चलते अब लोगों का सरकारी अस्पताल से मोह भंग होने लगा है।
सिर्फ गायनिक मरीजों का हो रहा सोनोग्राफी
गौरतलब हो कि जिला अस्पताल में इन दिनों संसाधान की कोई कमी नहीं है। यहां तक की एक्स-रे के लिए भी डिजिटल मशीन लगाई है, साथ ही हाल ही में यहां नई सोनोग्राफी मशीन लगी है, लेकिन रेडियोलाजिस्ट नहीं होने के कारण सिर्फ गायनिक मरीजों की जांच होती है, लेकिन इनको भी सिर्फ फिल्म मिलता है, रिपोर्ट तैयार नहीं होता, जिससे संबंधित डाक्टर फिल्म को देखकर ही मरीज का उपचार करते हैं। इसके साथ ही अस्पताल में हर दिन अलग-अलग तरह के मरीज पहुंचते हैं, लेकिन अगर इनको सोनोग्राफी करना होता है तो प्रायवेट में जाना पड़ रहा है, जिससे उनको मनमाने रेट देना पड़ता है।