रायपुर। दंतेवाड़ा में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि नक्सलियों की प्रॉब्लम क्या है, सरकार से संवाद करें। उनकी जो जायज मांगें होंगी, उसको छत्तीसगढ़ की सरकार पूरा करेगी। उन्होंने कहा कि मैं आदिवासी समाज से हूं, गांव का रहने वाला हूं। आदिवासी समाज और गांव के दुख दर्द को समझता हूं। सीएम साय ने महिला कमांडो सुमित्रा से कहा कि आपकी साहस को हम सैल्यूट करते हैं। आपने 14 साल तक नक्सली के रूप में अपना अनुभव शेयर किया। उन्होंने कहा कि हमारे यहां के स्थानीय लोग हैं, जो नक्सली हैं, उनसे हम कहना चाहेंगे कि नक्सलवाद को छोड़ें और मुख्यधारा से जुडक़र आम लोगों का जीवन जीएं। किसी भी तरह के बहकावे में न आएं। सुमित्रा जी जैसे बता रही हैं कि यह भी कोई जीना है, क्या जंगल जंगल भटकना न खाना पीना, ना सोने का ठिकाना, हर समय भय किधर से पुलिस आ जाएगी। कब गोली चल जाएगी, यह भी कोई जीवन है क्या। तो मैं आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर कह रहा हूं, ऐसे लोगों से कि वह लोग विकास की मुख्यधारा से जुडक़र संवाद के लिए तैयार हों।
सीएम साय ने स्पेशल यूनिट महिला कमांडो से की मुलाकात
दरअसल, ष्टरू साय ने उन महिला कमांडो से मुलाकात की, जो नक्सल इलाके में नक्सलियों से लड़ती हैं। इस यूनिट में ऐसी महिलाएं भी शामिल हैं, जो पहले नक्सली रह चुकी हैं, लेकिन अब पुलिस ट्रेनिंग हासिल करके यह महिलाएं छत्तीसगढ़ पुलिस की कमांडो बनी है। मुश्किल हालातों में ये महिला कमांडो जंगलों में दिन-रात नक्सलियों के खिलाफ चलने वाले ऑपरेशन में उनसे सीधी लड़ाई लड़ती हैं। मुख्यमंत्री जब दंतेवाड़ा पहुंचे तो हेलीपैड पर महिला गॉड्स ने ही उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया। इसके बाद एंटी माइन व्हीकल के पास खड़़ी महिला कमांडो के ग्रुप के साथ मुख्यमंत्री ने तस्वीर खिंचवाई।
मैं 14 साल तक नक्सली थी- कमांडो सुमित्रा साहू
नारायणपुर की महिला कमांडो सुमित्रा साहू ने सीएम से सीधे बात की। सुमित्रा बोलीं- मैं 2004 से लेकर 2018 तक नक्सली थीं, नक्सलियों के जो अलग-अलग तरीके में काम होते हैं सभी का हिस्सा रही। मैंने नक्सली के रूप में 14 साल तक काम किया। नक्सलियों के साथ जंगल में महिलाओं की पोजीशन बहुत ही खराब होती है। खाने-पीने, कपड़े-लत्ते की दिक्कत होती है। जंगलों में भूखे प्यासे भटकना पड़ता है। अपने परिवार को भी देखने नहीं मिलता था। मैं दुखी थी इसी वजह मैंने सरेंडर किया। पुलिस अधिकारियों ने चि_ी भेजकर मुझे सरेंडर की करने को भी कहा था।
गर्भवती रहते हुए भी जंगलों में बंदूक लेकर गश्त
सुनैना पटेल छत्तीसगढ़ पुलिस की महिला कमांडो हैं। नक्सल क्षेत्र में दंतेश्वरी फाइटर के रूप में काम करती हैं। इन्होंने 7 महीने की गर्भवती रहते हुए भी जंगलों में बंदूक लेकर गश्त की थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रेग्नेंट होने के बाद भी आप जंगल में काम करती रहीं, इसका परिणाम यह हुआ कि आपको आउट ऑफ टर्न पदोन्नति मिली है। बहुत-बहुत बधाई इसके लिए।