पखांजुर। गर्मी से पहले पानी के लिए मचा हाहाकार लाखो खर्च कर बनाया तालाब टूटा अधिकारी बेखबर,वन परिक्षेत्र पूर्व के अधिकारी का कारनामा, लाखो खर्च कर बनाया तालाब पहली गर्मी में जीव जंतुओं को पानी पीने का नसीब नही हुआ, गर्मी के मौसम जंगल के जीव जंतुओं को प्यास बुझाने के लिए सरकार करोड़ो खर्च तो कर दिया पर सरकार की योजनाओं को जंगल मे कितने कगार साबित हुआ जिसका जीता जागता तस्वीर सामने है, जंगल के आड़ में अधिकारी कैसे किया भ्रष्टाचार, एक एक तालाब की स्वीकृत लगभग 10-12 लाख पर काम सर्फ 50 हजार तक किया गया,छोटी छोटी नाली में बांध दिया गया और पत्थर पिचिंग किया गया जो एक साल नही टिक पाया इस गर्मी से पहले ही पोल खुलने लगी है,लाखो का तालाब बनते ही टूट गया जिसके चलते गर्मी से पहले पानी दूर दूर तक नजर नही आ रहा है और तालाब की गहराई देखकर नही लगता अधिकारी पूरा खर्च कर मजबूती के साथ बनाया होगा जिसके चलते एक साल में टूट कर बिखर गया,अब सवाल उठता है आखिर वन विभाग जंगल मे दर्जनों तालाब बनाया गया आखिर इसके पीछे मकसद क्या है जंगली जीव जंतुओं पशु पक्षियों को प्यास बुझाने के उद्देश्य से या अपने जेब भरने के लिए ये तो बनने वाले अधिकारी ही बता पाएंगे,पूर्व वन परिक्षेत्र बांदे द्वारा उलिया तथा माड़पखांजूर जंगल मे बीते वर्ष दर्जनों तालाब बनाया जो सिर्फ और सिर्फ कागजों तक सीमित है तालाब की वस्तविक्ता से रूबरू होना है तो बास्तव में मौके पर जाना होगा आखिर विभाग में बैठे रेंजर साहब कितने ईमानदारी के साथ तालाब निर्माण किया है और तालाब की हकीकत क्या है ,जंगल के आड़ में अधिकारी जमकर किया खेला जिसके चलते गर्मी से ही लाखो के तालाब में पानी नही और सरकार की योजना दम तोड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं, लाखो करोड़ो खर्च के बाद भी अगर कोई लाभ ना मिले ऐसे में विभाग तथा कर्मचारी अधिकारी के कार्यप्रणाली पर सवाल उठना लाजमी हैं, इस सम्बंध में स्ष्ठह्र से फोन से बात किया तो उन्होंने तालाब निर्माण में गड़बड़ी तथा तालाब टूटने की बात पर कहा कि मैं स्टेटमेंन नही दे सकता,अधिकारी जाँच करने कहते है तो जांच करूँगा। डीएफओ शशिगा नंदन के ने इस संबंध जानकारी ली गई तो उन्होंने कहा कि जाँच करवाता हूँ।अब देखने वाली बात है कि कब तक जांच होती है और दोषी पाए जाने पर क्या कार्यवाही होती है,ये तो समय की बात है।