धरमजयगढ़। क्षेत्र में जनहित को ढाल बनाकर अवैध गतिविधियों को अंजाम देने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। निजी उपक्रमों के द्वारा नियम कानून की अनदेखी कर परियोजना के संचालन के कई मामले सामने आ चुके हैं लेकिन अब जो मामला सामने आया है वह केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना से जुड़ा हुआ है। जिसमें प्रभावित क्षेत्र में स्थित इमारती प्रजाति के पेड़ों को हटाने के लिए विधिवत प्रक्रिया के पालन से परहेज करते हुए उन्हें जड़ समेत हटा दिया गया।
यह मामला धरमजयगढ़ ब्लॉक के ग्राम पंचायत नवागांव का है। जहां मनरेगा योजना के तहत अमृत सरोवर तालाब निर्माण कार्य किया जा रहा है। इस कार्य के लिए जिस स्थान का चयन किया गया है, वहां पर साल प्रजाति के 2 जीवित पेड़ कार्यस्थल के बीच में खड़े थे। मनरेगा कार्यक्रम अधिकारी के मुताबिक निर्माण के दौरान दोनों पेड़ जड़ सहित गिर गए।
इस मामले में हास्यास्पद स्थिति तब बन गई, जब धरमजयगढ़ मनरेगा कार्यक्रम अधिकारी ने पहले पेड़ों की कटाई की अनुमति लेने की बात कही। वहीं, संबंधित रोजगार सहायक के द्वारा पहले किसी अधिकृत प्राधिकार के हस्ताक्षर के बिना एक कथित पंचनामा की कॉपी साझा किया गया। बाद में रोजगार सहायक ने संबंधित सरपंच व वन प्रबंधन समिति के अध्यक्ष का हस्ताक्षर युक्त पंचनामा भेजा। इस पंचनामा में यह उल्लेख किया गया है कि संबंधित अमृत सरोवर तालाब में 2 नग साल का पौधा क्षतिग्रस्त हो कर गिर गया। जिससे वहां कार्यरत मजदूरों को काम करने में समस्या आ रही थी। इसके बाद कार्य के दौरान पूर्व में लिए गए तालाब में खड़े 2 साल वृक्ष की तसवीरें सामने आने पर मनरेगा कार्यक्रम अधिकारी ए के सोनकर ने कहा कि तालाब का काम हुआ है और कार्य के दौरान पेड़ों की नींव कमजोर हो गई। जिसके कारण दोनों पेड़ गिर गए जिन्हें साइड में रखा गया है।
पेड़ों की नींव कमजोर हुई या जिम्मेदारों की कार्यप्रणाली दुर्बल?
एक जिम्मेदार अधिकार का कार्य के दौरान 2 इमारती पेड़ों के धराशायी हो जाने का यह बयान, एक वृक्ष सौ पुत्र समान की परिकल्पना के बिलकुल विपरीत नजर आता है। भले ही यह पर्यावरण संरक्षण की दिशा में चिंताजनक हो सकता है लेकिन मुख्य मसला यह भी है कि कीमती व संरक्षित प्रजाति के पेड़ों की कटाई की अनुमति की प्रक्रिया से बचाव का एक विशेष हथकंडा भी साबित हो सकता है। अब इस मामले में जिम्मेदार उच्चाधिकारियों को तय करना चाहिए कि इस कार्य के दौरान पेड़ों की नींव कमजोर हुई है या तय नियम के अनुपालन का आधार दुर्बल हुआ है।
महत्वाकांक्षी योजना के क्रियान्वयन में अनियमितता!
