रायगढ़। मेडिकल कालेज अस्पताल व जिला अस्पताल में विगत कई माह से रेडियोलाजिस्ट का पद खाली होने के कारण मरीजों के साथ-साथ डाक्टरों को भी उपचार करने में समस्या का सामना करना पड़ रहा है। जिससे उपचार कराने आने वाले मरीजों को सोनोग्राफी, सिटी स्केन कराने के लिए निजी लैब का सहारा लेना पड़ता है। जिससे काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
उल्लेखनिय है कि रायगढ़ जिला औद्योगिक हब होने के कारण यहां आए दिन सडक़ हादसों के साथ-साथ तरह-तरह की बीमारियों से भी लोग ग्रस्त हो रहे हैं। जिससे लोग सीधे मेडिकल कालेज अस्पताल व जिला अस्पताल ही पहुंचते हैं, ताकि एक ही छत के नीचे जांच से लेकर उपचार तक की सुविधा मुहैया हो सके, लेकिन यहां जांच की सुविधा नहीं होने के कारण उपचार में भी समस्या खड़ी हो रही है। जिसके चलते लोगों का भरोसा अब सरकारी अस्पतालों से उठने लगा है। इन दोनों अस्पतालों में जांच के लिए तरह-तरह की मशीनें तो लगाई गई है, लेकिन इन मशीनों को चलाने वाला कोई नहीं है, जिसके चलते मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। वहीं देखा जाए तो जब से जिले में मेडिकल कालेज अस्पताल संचालित हो रहा है, तब से रायगढ़ जिला के अलावा आसपास के जिले सहित पड़ोसी राज्य ओडिशा से भी हर दिन दर्जनों की संख्या में मरीज यही लालसा लेकर पहुंचते हैं कि मेडिकल कालेज अस्पताल व जिला अस्पताल जाने पर एक ही छत के नीचे सभी तरह के जांच के साथ पूरी उपचार की सुविधाएं मिलेगी, लेकिन यहां आने के बाद छोटी-छोटी जांच के लिए प्रायवेट का सहारा लेना पड़ता है, जिससे रुपए तो खर्च करने पड़ते ही है, साथ ही परिजनों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इन दोनों बड़े अस्पतालों में रेडियोलाजिस्ट का पोस्ट खाली है। जिससे जांच नहीं हो पाने की स्थिति में मरीजों को बेहतर उपचार की भी सुविधा नहीं मिल रही है। वहीं अस्पताल आने वाले मरीज के परिजनों की मानें तो जब भी कोई सडक़ हादसे में घायल होता है, तो अस्पताल पहुंचते ही ड्यूटी पर तैनात डाक्टर द्वारा कई तरह की जांच लिखी जाती है, जिसमें सोनोग्राफी से लेकर एक्स-रे व सिटी स्केन जांच कराना होता है, लेकिन अस्पताल में इसकी सुविधा नहीं मिलने से मरीज को प्रायवेट में लाना पड़ता है, जिससे कई बार अधिक समय लगने के कारण मरीज की मौत भी हो जाती है। ऐसे में अगर जांच की सारी सुविधाएं अस्पताल में ही उपलब्ध हो जाती तो काफी लोगों की जान बच जाती।
बांड पर थे रेडियोलाजिस्ट
गौरतलब हो कि मेडिकल कालेज प्रबंधन द्वारा लगातार मांग के बाद विगत दिनों एक साल के लिए दो रेडियोलाजिस्ट मिले थे, जिनके द्वारा सोनोग्राफी किया जाता था, लेकिन जनवरी माह में एक साथ दोनों रेडियोलाजिस्ट का बांड खत्म हो गया, जिसके बाद अब यहां एक भी रेडियोलाजिस्ट नहीं है। ऐसे में यहां उपचार के लिए आने वाले मरीजों को बाहर से जांच कराना पड़ रहा है। जिससे निजी लैब संचालक भी लोगों की मजबूरी का फायदा उठाते हुए मनमाने रेट ले रहे हैं।
नाम के रह गए बड़े अस्पताल
जिले में संचालित होने वाले अस्पताल नाम बड़े और दर्शन छोटे के तर्ज पर संचालित हो रहा है। क्योंकि मेकाहारा व जिला अस्पताल में जांच के लिए बड़ी-बड़ी मशीनें तो लगाई गई है, लेकिन इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में देखा जाए तो करीब छह माह पहले जिला अस्पताल का रेडियोलाजिस्ट नौकरी छोडकऱ चला गया, तब से यहां सोनोग्राफी सेंटर बंद पड़ा है, लेकिन मरीजों की अस्पताल प्रबंधन द्वारा वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर सिर्फ गायनिक मरीजों का सोनोग्राफी कराया जा रहै, जिससे उनको रिपोर्ट नहीं मिल रहा है, लेकिन फिल्म जरूर मिल रहा है, जिससे डाक्टर फिल्म को देखकर उपचार करते नजर आ रहे हैं।
सर्जरी व अन्य उपचार में आ रही समस्या
इस संंबंध में मेकाहारा के डाक्टरों की मानें तो यहां हर दिन अलग-अलग तरह के मरीज उपचार के लिए पहुंच रहे हैं। जिससे मरीजों की सर्जरी करने से पहले सोनोग्राफी व सिटी स्कैन सहित एक्स-रे की जरूरत पड़ती है, लेकिन रेडियोलाजिस्ट नहीं होने से कई बार सर्जरी का काम रूक जा रहा है, ऐसे में मरीज के परिजन बाहर से जांच करा कर ला रहे हैं, जिसके बाद सर्जरी हो पा रहा है। ऐसे में सर्जरी के लिए वेटिंग भी बढ़ रही है। ऐसे में अगर सभी सुविधाएं अस्पताल में मुहैया होती तो समय रहते बेहतर उपचार की सुविधा मिलती।
सोनोग्राफी व सिटी स्केन कराने दर-दर भटक रहे मरीज
सबसे बड़े अस्पताल मेकाहारा व केजीएचम में नहीं है रेडियोलाजिस्ट, सर्जरी व अन्य उपचार करने में डाक्टरों को भी हो रही समस्या
