रायगढ़। शहर के चांदनी चौक में सुर कला संगीत समिति के श्रद्धालुओं द्वारा इस बार भी 38 वें भव्य पावन संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन विगत 14 फरवरी से किया जा रहा है। मुख्य यजमान हैं श्रद्धालु खगेश्वर थवाईत, श्रीमती वसुंधरा थवाईत, उमेश थवाईत, श्रीमती दिशा थवाईत, श्रीमती सुषमा थवाईत व व्यासपीठ पर विराजित हैं अंचल के सुप्रसिद्ध कथा वाचक पं महेश तिवारी बिलासपुर वाले जो निसदिन दोपहर तीन बजे से शाम सात बजे तक अपने दिव्य प्रवचनों से श्रद्धालुओं को प्रतिदिन मुग्ध कर रहे हैं।। वहीं कथा प्रसंग के छठवें दिन महारास, रुक्मिणी विवाह प्रसंग के बाद आज कथा समापन के दिन भक्त सुदामा और शुकदेव गमन की कथा को सहज सरल ढंग से सुनाकर श्रद्धालुओं को मुग्ध कर दिए।
जग से कंस का मिटा अत्याचार
व्यासपीठ पर विराजित पं महेश तिवारी ने कंस प्रसंग कथा के अंतर्गत कहा कि भगवान अपने भक्तों की हर गलतियों को क्षम्य कर देते हैं अपना सुपुत्र मानकर परंतु जो उनकी सत्ता की विराट महिमा को नहीं जानते और अपने अहंकार में चूर रहते हैं उनका वे विनाश ही करते हैं। कंस भी प्रभु की माया को समझ नहीं पाया और निरंतर अत्याचार करता गई जब अति का अंत हुआ तो परमात्मा उसके दरबार में जाकर उसका अंत कर दिया। इसलिए प्रभु शरण जरुरी है।
जब समर्पण होता है तभी महारास होता है
उन्होंने कहा कि गोपी वही हैं जिनकी सभी इंद्रियां पूरी तरह से श्री राधे के प्रति समर्पित हो और जब समर्पण होता है तभी महारास होता है। इसी तरह रुक्मिणी प्रसंग के अंतर्गत उन्होंने कहा कि रुक्मिणी का विवाह उसका भाई रुक्म श्री कृष्ण से नहीं कराना चाहता था। परंतु रुक्मिणी साक्षात लक्ष्मी रुपा थीं उन्होंने अपने संकल्प शक्ति से श्रीराधे को पाना चाहती थीं उनका प्रेम व समर्पण देख भगवान श्रीहरि ने उनका हरण कर अपना बनाए।
निश्चछल था सुदामा का प्रेम
इसी तरह सुदामा प्रसंग की कथा का रसपान कराते हुए उन्होंने कहा कि। भगवान मधुसूदन का बाल सखा सुदामा था, परंतु गरीब विप्र सुदामा ने अपने जीवन में तरह – तरह के कष्ट उठाए फिर भी प्रभु से कोई मांग नहीं की। वहीं भगवान ने भी उसकी हर तरह से परीक्षा ली मगर विप्र सुदामा की भक्ति, प्रेम व श्रद्धा में कोई कमी नहीं आई। यह देख भगवान श्रीहरि अत्यंत प्रसन्न हुए और गरीब सुदामा की कुटिया को अपनी शक्ति और आशीर्वाद से राजमहल में बदल दिए उसका जीवन धन्य कर दिए। ऐसी होती है प्रभु की माया जो हर असंभव को क्षण भर में संभव बना देते हैं।
मनभावन झांकी रही खास
श्री थवाईत परिवार द्वारा आयोजित भव्य सात दिवसीय संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के अंतर्गत कथा प्रारंभ से आज समापन अवसर तक प्रसंगअनुरुप भगवान श्री कृष्ण, श्री रुक्मिणी व विप्र सुदामा की मनभावन जीवंत झांकी निकाली गई जो हर श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र रहा और इसे देखकर सभी लोग प्रसन्न भी हुए। वहीं आज सुबह कथा विश्रांति के पश्चात दोपहर में महाप्रसाद का वितरण होगा व सात दिवसीय संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के आयोजन को सफल बनाने में यजमान श्री थवाईत परिवार व सुर कला संगीत समिति के सभी श्रद्धालुगण भव्यता देने में जुटे हैं।