डोंगरगढ़। आचार्य विद्या सागर महाराज की पार्थिव देह को अग्निकुंड में पंच तत्व में विलीन किया गया। इस मौके पर हजारों श्रद्धालु मौजूद थे। दिगंबर मुनि परंपरा के आचार्य श्री विद्या सागर जी महाराज ने शनिवार 17 फरवरी को देर रात 2.35 बजे शरीर त्याग दिया। उन्होंने छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चन्द्रगिरि तीर्थ में अंतिम सांस ली। उन्होंने पिछले 3 दिन से उपवास और मौन धारण कर लिया था।
इससे पहले 6 फरवरी को उन्होंने मुनि योग सागर जी से चर्चा करने के बाद आचार्य पद का त्याग कर दिया था। उन्होंने मुनि समय सागर जी महाराज को आचार्य पद देने की घोषणा भी कर दी थी। आचार्य विद्या सागर जी के शरीर त्यागने की खबर मिलने के बाद बड़ी संख्या में जैन समाज के लोग डोंगरगढ़ पहुंचे। शनिवार दोपहर में उनका अंतिम संस्कार किया गया। मध्यप्रदेश सरकार ने सभी सांस्कृतिक कार्यक्रम रद्द कर दिए। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में आधे दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया।
अंतिम संस्कार से पहले आचार्यश्री का डोला निकला
छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ में आचार्य विद्या सागर का पार्थिव शरीर डोले में रखकर अग्निकुंड तक ले जाया गया। वहां पारंपरिक रीति-रिवाज के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनके अंतिम दर्शन के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे। अंतिम संस्कार का कार्यक्रम दोपहर 1 बजे निर्धारित था, लेकिन भीड़ की वजह से इसमें थोड़ी देरी हुई।
1946 में कर्नाटक में जन्म, 1972 में अजमेर में दीक्षा
आचार्य विद्या सागर महाराज का जन्म 10 अक्टूबर 1946 को शरद पूर्णिमा को कर्नाटक के बेलगांव जिले के सद्लगा ग्राम में हुआ था। उन्हें आचार्य श्री ज्ञान सागर महाराज ने 22 नवंबर 1972 को राजस्थान के अजमेर में आचार्य पद की दीक्षा दी थी।
आचार्य बनने के बाद पहली दीक्षा भाई को दी थी
आचार्य बनने के बाद विद्या सागरजी ने 8 मार्च 1980 को छतरपुर में मुनि श्री समय सागर महाराज को पहली दीक्षा दी। इसके बाद सागर जिले में योग सागर और नियम सागर महाराज को दीक्षित किया। समय सागर और योग सागर उनके गृहस्थ जीवन के भाई हैं। उनकी दो बहनें शांता और सुवर्णा भी दीक्षा ले चुकी हैं। विद्या सागर जी ने राजस्थान में सीखी थी हिंदी-अंग्रेजी राजस्थान के अजमेर में विद्या सागर जी के शुरुआती दिनों के साक्षी रहे विनित कुमार जैन कहते हैं- आचार्य श्री दीक्षा से पूर्व ब्रह्माचारी अवस्था में राजस्थान आए थे। उनको केवल कन्नड़ भाषा आती थी। अजमेर के केसर गंज में ही रहकर उन्होंने हिंदी और अंग्रेजी भाषा सीखी। यहां एक अंडरग्राउंड कमरा था। वे यहीं स्वाध्याय और अन्य धार्मिक कार्य करते थे।
पीएम मोदी नवंबर में विद्यासागर जी का आशीर्वाद लेने पहुंचे थे
मेरे विचार और प्रार्थनाएँ आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज जी के अनगिनत भक्तों के साथ हैं। आने वाली पीढिय़ाँ उन्हें समाज में उनके अमूल्य योगदान के लिए याद रखेंगी, विशेषकर लोगों में आध्यात्मिक जागृति के उनके प्रयासों, गरीबी उन्मूलन, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और अन्य कार्यों के लिए। पिछले साल 5 नवंबर को पीएम मोदी ने डोंगरगढ़ पहुंचकर मुनि श्री का आशीर्वाद लिया था। तब उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा था कि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी का आशीर्वाद पाकर धन्य महसूस कर रहा हूं। मुझे वर्षों तक उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का गौरव प्राप्त हुआ। मैं पिछले साल के अंत में डोंगरगढ़, छत्तीसगढ़ में चंद्रगिरि जैन मंदिर की अपनी यात्रा को कभी नहीं भूल सकता। उस समय मैंने आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज जी के साथ समय बिताया था और उनका आशीर्वाद भी प्राप्त किया था।
आचार्य विद्यासागर जी के चरणों में कोटि-कोटि नमन- सीएम विष्णुदेव
विश्व वंदनीय, राष्ट्र संत आचार्य श्री विद्यासागर महामुनिराज जी के डोंगरगढ़ स्थित चंद्रगिरी तीर्थ में सल्लेखना पूर्वक समाधि का समाचार प्राप्त हुआ। छत्तीसगढ़ सहित देश-दुनिया को अपने ओजस्वी ज्ञान से पल्लवित करने वाले आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज को देश व समाज के लिए किए गए उल्लेखनीय कार्य, उनके त्याग और तपस्या के लिए युगों-युगों तक स्मरण किया जाएगा। आध्यात्मिक चेतना के पुंज आचार्य श्री विद्यासागर जी के श्रीचरणों में कोटि-कोटि नमन।
बीजेपी के राष्ट्रीय अधिवेशन में श्रद्धांजलि
दिल्ली में बीजेपी के राष्ट्रीय अधिवेशन के पहले सत्र में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने आचार्य विद्यासागर जी को श्रद्धांजलि दी। सभी प्रतिनिधियों ने खड़े होकर 2 मिनट का मौन भी रखा।
छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश में राजकीय शोक
छत्तीसगढ़ में आधे दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया है। इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा और कोई सरकारी कार्यक्रम नहीं होंगे। इसी तरह मध्यप्रदेश में भी सरकार ने आधे दिन का राजकीय शोक का ऐलान किया है। सभी सरकारी सांसकृतिक कार्यक्रम रद्द कर दिए गए हैं।
जैन मुनि आचार्य विद्यासागर महाराज ने ली समाधी
जैन मुनि आचार्य विद्यासागर महाराज ने ली समाधी
