रायगढ़। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद अब लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा बेहद उत्साहित नजर आ रही है। रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र में भाजपा से संभावित दावेदारों की फेहरिस्त लंबी होती जा रही है। राजनीति के जानकारों की माने तो भाजपा अपने इस मजबूत गढ़ में इस बार चुनाव मैदान में नया प्रत्याशी उतारेगी। जिससे इस लोकसभा सीट से चुनाव लडऩे की इच्छा रखने वाले भाजपा नेता बेहद सक्रिय हो गए हैं। बताया जाता है रायगढ़ लोकसभा सीट से संभावित दावेदारों में पांच लोगों के नाम सुर्खियों में है, जिसमें जशपुर जिले से तीन लोगों की दावेदारी की चर्चा है। जबकि रायगढ़ जिले से दो नाम सुर्खियों में हैं। चर्चा है कि बीजेपी इन संभावित दावेदारों पर गंभीरता से विचार कर सकती है। दरअसल रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र से भाजपा 1999 से इस सीट पर काबिज है, ऐसी स्थिति में भाजपा इस सीट को लेकर बेहद उत्साहित है। बताया जाता है कि रायगढ़ सीट से चुनाव लडऩे के लिए भाजपा से कई दावेदार सामने आ रहे हैं। अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित इस सीट को भाजपा अपनी परंपरागत सीट मान रही है। यही वजह है कि भाजपा से संभावित दावेदारों की फेहरिस्त दिन ब दिन लंबी होती जा रही है। राजनीति के जानकारों की माने तो तीन जिले में फैले इस लोकसभा क्षेत्र में करीब साढे 17 लाख मतदाता हैं। इस लोकसभा क्षेत्र में जशपुर जिले की तीन विधानसभा सीट, रायगढ़ जिले के चार विधानसभा सीट और सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिले की सारंगढ़ विधानसभा सीट शामिल है। इस सीट से वर्ष 1999 से लगातार चार बार विष्णुदेव साय सांसद रह चुके हैं। वर्ष 2019 के चुनाव में प्रत्याशी बदलने के बाद भाजपा की गोमती साय निर्वाचित हुई। हालांकी विधानसभा चुनाव से पहले सांसद सदस्य से इस्तीफा दे दिया। अब वह जशपुर जिले के पत्थलगांव सीट से विधायक हैं। ऐसी स्थिति में भाजपा से लोकसभा चुनाव का जो भी प्रत्याशी होगा वह नया चेहरा ही होगा। जिसे लेकर जशपुर एवं रायगढ़ जिले से कई संभावित दावेदार सामने आने के कयास लग रहे हैं। हालांकि मौजूदा दौर में जशपुर जिले से तीन लोगों के नामों की चर्चा है। जिसमें रिटायर्ड आईजी आर.पी. साय जो तपकरा के मुड़ाडीह के निवासी हैं। छत्तीसगढ़ कैडर के आईपीएस आर.पी. साय सेवानिवृत हो चुके हैं। अब राजनीति में किस्मत आजमाना चाह रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ बगीचा से जिला पंचायत सदस्य गेंद बिहारी भी लोकसभा चुनाव के लिए संभावित दावेदार के तौर पर सामने आ रहे हैं। गेंद बिहारी गहिरा गुरु के द्वितीय पुत्र हैं। इसी तरह कुनकुरी के पूर्व विधायक भरत साय के नाम की भी चर्चा है। इधर रायगढ़ जिले से भाजयूमों के प्रदेश अध्यक्ष रवि भगत की संभावित दावेदारी सुर्खियों में है। रवि भगत लैलूंगा विधानसभा क्षेत्र के निवासी हैं। विधानसभा चुनाव में भाजपा लैलूंगा की सीट हार चुकी है। वहीं दूसरी तरफ रायगढ़ से श्रीकांत सोमावार संभावित दावेदार के रूप में सामने आ रहे हैं। बताया जाता है कि श्रीकांत सोमावार करीब 2 दशकों से भाजपा की राजनीति में सक्रिय हैं। रायगढ़ शहर के निवासी श्रीकांत सोमावार रायगढ़ नगर महामंत्री, नगर अध्यक्ष के अलावा जिला भाजपा में मंत्री का दायित्व निभा चुके हैं। इसके अलावा 10 वर्ष से अनुसूचित जनजाति के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य हैं। साथ ही 5 साल से राजस्थान अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ के प्रभारी हैं।
खास बात यह है कि भाजपा रायगढ़ लोकसभा सीट से ऐसे चेहरे की तलाश कर रही है जिसके माध्यम से इस सीट पर रिकार्ड मतों से जीत दर्ज की जा सके। प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के गृह क्षेत्र की सीट होने के कारण रायगढ़ लोकसभा की सीट भाजपा के लिए बेहद अहम मानी जा रही है। ऐसी स्थिति में पार्टी हाई कमान भी इस सीट को लेकर बेहद गंभीर है। जाहिर है ऐसी स्थिति में प्रत्याशी चयन पर बेहद गंभीरता बरती जाएगी। अब आने वाले दिनों में भाजपा प्रत्याशी चयन को लेकर क्या रणनीति बनाती है यह गौर करने वाली बात होगी।
1999 से लगातार जीत रही भाजपा
1962 में रायगढ़ लोकसभा सीट पहली बार स्वतन्त्र रूप से अस्तित्व में आई थी। जशपुर महाराज विजयभूषण सिंहदेव राम राज्य परिषद से पहलीबार रायगढ़ लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। 1962 से पहले रायगढ़, सरगुजा एक संयुक्त लोकसभा सीट थी।1967 में सारंगढ़ राजघराने की राजकुमारी रजनीगन्धा देवी कांग्रेस की टिकट पर रायगढ़ लोकसभा से सांसद चुनी गई। 1971 के चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर उम्मेद सिंह राठिया निर्वाचित हुए। 1977 में जनता पार्टी की टिकट पर नरहरि साय रायगढ़ से लोकसभा में पहुंचे। 1980 और 1984 के चुनाव में सारंगढ़ राजघराने की राजकुमारी पुष्पा देवी ने लोकसभा में रायगढ़ का प्रतिनिधित्व किया। 1989 में पहली बार भारतीय जनता पार्टी ने रायगढ़ लोकसभा सीट पर अपना परचम लहराया और उसके उम्मीदवार नन्दकुमार साय चुनाव जीतकर लोकसभा में पहुँचे। 1991 के चुनाव में पिछली पराजय का हिसाब चुकता करते हुए भाजपा से कांग्रेस की पुष्पा देवी ने रायगढ़ सीट जीतकर लोकसभा में पहुँच गई। 1996 के चुनाव में भाजपा ने रायगढ़ सीट वापस अपनी झोली में डाल ली और नन्दकुमार साय दूसरी बार लोकसभा में पहुँच गए। 1998 में रायगढ़ सीट से कांग्रेस की टिकट पर अजीत जोगी ने लोकसभा का चुनाव लड़ा और काफी संघर्ष पूर्ण मुकाबले में जोगी जीत हासिल कर लोकसभा में पहुँचे। 1999 से 2014 तक चार बार लगातार रायगढ़ लोकसभा सीट पर भाजपा के विष्णु देव साय सांसद निर्वाचित हुए। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने गोमती साय को टिकट दी और वे चुनाव जीत गई।रायगढ़ लोकसभा सीट पर 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की स्थिति बेहद मजबूत दिखाई देती है। गोमती साय के पत्थलगांव विधानसभा से निर्वाचित होने के बाद उत्सुकता इस बात को लेकर है कि 2024 में भाजपा रायगढ़ लोकसभा सीट से किसे अपना उम्मीदवार बनाती है।
भाजपा से रायगढ़ लोकसभा के लिए पांच संभावित दावेदार
जशपुर जिले से तीन और रायगढ़ जिले से दो नामों की चर्चा
