रायगढ़। एनजीटी के नियमों के अनुसार फ्लाई ऐश डिस्पोजल के लिए शासन स्तर से पर्यावरण विभाग एवं कलेक्टर से अनुमति पश्चात फ्लाई ऐश राखड़ डालने की अनुमति होती है,लेकिन वर्तमान में जिला स्तर से फ्लाई एश राखड़ डालने की अनुमति विभागों द्वारा नहीं दी जा रही है इस वजह से उद्योगों में इक_े फ्लाई एश राखड़ होने से जगह की कमी हो गई है और कुछ ट्रांसपोर्टर बिना अनुमति के भी फ्लाई ऐश राखड़ जहां-तहां जिधर पा रहे हैं उधर डाल दे रहे हैं, चाहे वह सरकारी जमीन हो या फिर प्राइवेट जिससे कि पूरे जिले में प्रदूषण तेजी से फैल रहा है।
सूत्रों से जानकारी मिली है कि विधानसभा चुनाव को लेकर कुछ महीने पहले आचार संहिता लागू हुई थी उससे पहले ही उद्योगों द्वारा फ्लाई ऐश राखड़ डालने के लिए सरकारी अनुमति के लिए पर्यावरण विभाग में विधिगत आवेदन दिया था जिस पर आज पर्यंत 4 महीने से भी ऊपर आवेदन पर सुनवाई नहीं की गई ऐसे में बिजली उत्पादन करने वाले उद्योगों को अनुमति नहीं मिलने की वजह से फ्लाई ऐश डिस्पोजल करने में असुविधा हो रही है वहीं कुछ शातिर ट्रांसपोर्टर बिना अनुमति के कहीं भी सरकारी जमीनों में व प्राइवेट जमीनों में अवैध तरीके से फ्लाई ऐश डाल रहे हैं रायगढ़ से घरघोड़ा और घरघोड़ा से खरसिया के बिच नदी,नालों एवं सडक़ किनारे फ्लाई ऐश बड़ी तादात में डाला जा रहा है। जिससे रोड में चलना मुश्किल हो गया है ।और सडक़ दुर्घटनाएं भी काफी हो रही है ।जबकि इन स्थानों में डालने की अनुमति नहीं है।
जब अनुमति नहीं तो फिर पर्यावरण विभाग क्यों नहीं करता अवैध डंपिंग राखड़ पर कार्रवाई- गौर करने वाली बात यह है कि जब पर्यावरण विभाग से फ्लाई ऐश राखड़ डम्प करने की विधिवत अनुमति नहीं है तो फिर कुछ फैक्ट्रीयों के ट्रांसपोर्टर बेखौफ होकर खुलेआम फ्लाई ऐश राखड़ जहां पा रहे हैं वहां डाल रहे हैं इतना ही नहीं नियम यह भी है कि फ्लाई ऐश राखड़ डालने के बाद मिट्टी से फीलिंग करने का नियम है लेकिन ट्रांसपोर्टर ऐसा भी नहीं कर रहे हैं।गौर करने वाली बात यह भी है कि जब पर्यावरण विभाग से अनुमति नहीं है तो उद्योगों से फ्लाई ऐश राखड़ से भारी ट्रेलरे व ट्रकें निकल कैसे रही हैं,यह भी एक जांच का विषय है।
जिला स्तर से फ्लाई ऐश डिस्पोजल को नहीं मिल रही अनुमति
जहां तहां राखड़ डाल रहे ट्रांसपोर्टर्स, पर्यावरण विभाग ने 4 माह से लटका रखा है सभी आवेदन
