रायगढ़। लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस सक्रियता दिखाने में जुट गई है। विधानसभा चुनाव में प्रदेश के ज्यादातर जिले की सीटों पर कांग्रेस को करारी हार मिली। उसके बाद भी कांग्रेस रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र की 8 विधानसभा सीटों में से 4 जीतने में कामयाब रही। जिसमें सारंगढ़ विधानसभा सीट सहित खरसिया, लैलूंगा और धरमजयगढ़ सीट पर कांग्रेस ने जीत बरकरार रखा। हालांकि जशपुर जिले की तीनों सीट सहित रायगढ़ विधानसभा सीट भाजपा के हिस्से में आ गई। अब लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस अपनी नई जमीन तैयार करने की रणनीति पर काम करने में जुड़ गई है। खास बात यह है कि वर्ष 1999 से रायगढ़ लोकसभा सीट पर भाजपा का कब्जा बरकरार है। विधानसभा चुनाव के बाद परिस्थितियां भी काफी बदल गई है। प्रदेश में भाजपा सत्ता में है, ऐसी स्थिति में लोकसभा चुनाव कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती पूर्ण है। दरअसल कांग्रेस अपने यूथ विंग को आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर एक्टिव दिख रही है। सूत्रों की माने तो युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष आकाश शर्मा के नेतृत्व में प्रदेश की अलग-अलग लोकसभा क्षेत्र के यूथ विंग को रिचार्ज करने की रणनीति तैयार की गई है। प्रदेश अध्यक्ष आकाश शर्मा ने युकां की बैठक में रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र में जमीनी स्तर पर चुनावी तैयारी में जुटने का संदेश दिया है। राजनीति के जानकारों की माने तो कांग्रेस लोकसभा चुनाव की तैयारी में यूथ विंग को आगे रखकर माहौल बनाने में जुटी है। रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र में युथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष आकाश शर्मा का गुरुवार को रायगढ़ जिला मुख्यालय में आने का कार्यक्रम इसी दृष्टिकोण से तैयार किया गया था। रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र की आठ विधानसभा सीट रायगढ़, जशपुर के अलावा सारंगढ़ जिले में है। सारंगढ़ विधानसभा सीट सहित रायगढ़ जिले की खरसिया, लैलूंगा और धरमजयगढ़ की विधानसभा सीट कांग्रेस के कब्जे में है। इस स्थिति में कांग्रेस लोकसभा चुनाव में अपना प्रदर्शन बेहतर करने की तैयारी में है, लेकिन गौर करने वाली बात है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस इस सीट से भाजपा को पछाडऩे में नाकामयाब रही। वर्ष 1999 के बाद से रायगढ़ लोकसभा सीट पर भाजपा की जीत बरकरार है। वर्ष 1999 के चुनाव में विष्णु देव साय ने रायगढ़ लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की उसके बाद वह लगातार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते रहे। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की गोमती साय को प्रत्याशी बनाया गया, लेकिन कांग्रेस के लालजीत सिंह राठिया को पराजय का सामना करना पड़ा। इस तरह 2018 के विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के साथ प्रदेश की सत्ता में आई कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में जनता ने नकार दिया। अब प्रदेश में भाजपा फिर से सत्ता में लौट आई है। 2023 के चुनाव में रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र की 8 विधानसभा सीट में चार सीटों पर भले ही कांग्रेस ने जीत दर्ज की, लेकिन प्रदेश की सत्ता हाथों से चली गई। इस स्थिति में रायगढ़ लोकसभा सीट कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती पूर्ण होगी। अब आने वाले दिनों में कांग्रेस किस तरह की और नई रणनीति बनाएगी यह भी गौर करने वाली होगी।
भाजपा के लिए रायगढ़ सीट बंहद अहम
भाजपा रायगढ़ लोकसभा सीट को किसी भी स्थिति में अपने कब्जे में रखना चाहेगी। प्रदेश में सत्ता का नेतृत्व मुख्यमंत्री विष्णु देव साय कर रहे हैं। विष्णु देव साय ने 1999 से लोकसभा की इस सीट पर चुनाव जीतकर इतिहास बना दिया है। वह लगातार रायगढ़ लोकसभा सीट से 4 बार चुनाव जीते हैं। ऐसी स्थिति में रायगढ़ लोकसभा सीट का चुनाव इस बार भाजपा के लिए तो और भी अहम हो गया है। वैसे भी बीते तीन चुनाव में भाजपा के वोट का प्रतिशत 47 प्रतिशत हमेशा ज्यादा रहा। बताया जाता है कि भाजपा इस लोकसभा चुनाव में नया प्रत्याशी मैदान में उतरेगी पत्थलगांव सीट से विधानसभा चुनाव जीतने के बाद गोमती साय ने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया था। कांग्रेस इस बार किसी महिला को प्रत्याशी बना सकती है, लेकिन बीजेपी किस रणनीति से इस लोकसभा सीट का चुनाव लड़ेगी इसे लेकर फिलहाल किसी तरह के संकेत नहीं मिले हैं।
कांग्रेस-भाजपा से कौन होगा प्रत्याशी?
रायगढ़ लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित है। इस आरक्षित सीट के लिए कांग्रेस में जहां शुरुआती दौर में रायगढ़ राजघराने की जयमाला सिंह का नाम सामने आ रहा है। बताया जाता है कि कांग्रेस का एक तबका जयमाला सिंह को लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी की तरह प्रमोट कर रहा है। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने धरमजयगढ़ विधायक लालजीत सिंह को प्रत्याशी बनाया था।अब दूसरी बार लालजीत सिंह को मौका दिया जा सकता है या नहीं यह तो कांग्रेस का अपना निर्णय होगा, लेकिन भाजपा के पास लोकसभा चुनाव के प्रत्याशी के लिए कई नाम की चर्चा है। जिसमें पूर्व जिला पंचायत सदस्य शांता साय, भाजयूमों प्रदेश अध्यक्ष रवि भगत के अलावा प्रमुख नाम में पूर्व मंत्री गणेश राम भगत के नाम चर्चा सुर्खियों में है। बताया जाता है कि भाजपा इस लोकसभा क्षेत्र में बेहद मजबूत स्थिति में है, जिसे चुनौती देना कांग्रेस के लिए फिलहाल बेहद कठिन लगता है।
युवाओं के हाथों में चुनावी कमान!
रायगढ़ जिले में युवा कांग्रेस की टीम का नेतृत्व आशीष जायसवाल के हाथों में है। बताया जाता है कि आशीष जायसवाल के नेतृत्व में युथ विंग ने विधानसभा चुनाव में बेहद अच्छा प्रदर्शन किया। राजनीति के जानकारों की माने तो ग्रामीण क्षेत्र में युवाओं की टीम बेहद सक्रिय है। इसका लाभ कांग्रेस को खरसिया, लैलूंगा और धरमजयगढ़ क्षेत्र में मिला। इसी टीम के भरोसे कांग्रेस आने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी है। बताया जाता है कि कांग्रेस जिस तरह से विधानसभा चुनाव में धड़ों में बंटी नजर आई लेकिन यूथ कांग्रेस जिले में चुनावी माहौल को कांग्रेस के पक्ष में बनाने में सफल रही। यही वजह है कि प्रदेश युवा कांग्रेस अध्यक्ष ने रायगढ़ जिले में एक बार फिर युथ कांग्रेस को जमीन स्तर पर एक्टिव कर चुनावी कमान युवाओं के हाथों में सौंपने का संकेत दिया है।