रायगढ़। मेडिकल कालेज अस्पताल में डिलिवरी के लिए भर्ती एक प्रसुता के बच्चा होने के बाद डाक्टरों ने काटन डाला था, लेकिन उसे बगैर निकाले ही छुट्टी दी, जिससे तीन दिनों तक यूरिन नहीं होने के कारण प्रसुता को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा, जिससे परिजनों ने एक निजी अस्पताल में भर्ती कर दोबारा सर्जरी करा कर काटून को निकलवाया, तब जाकर प्रसुता को राहत मिली है।
इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार कोतरारोड थाना क्षेत्र के बालमगोड़ा निवासी कमला साव पति डेबिट साव विगत 9 जनवरी को लेबर पेन होने पर परिजनों ने उसे मेडिकल कालेज अस्पताल में भर्ती कराया, जहां 10 जनवरी को डाक्टरों ने नार्मल डिलिवरी कराया, लेकिन छोटा सर्जरी करना पड़ा, इस दौरान डाक्टरों द्वारा ब्लड बंद करने के लिए कट वाले स्थान पर कॉटन डाला गया, जिसकी जानकारी उसके परिजनों को भी नहीं दी गई। ऐसे में जब प्रसुता की स्थिति सामान्य हुई तो डाक्टरों ने उसे 11 जनवरी को छुट्टी दे दी। ऐसे में जब प्रसुता घर पहुंची तो उसे यूरिन में समस्या आने लगी, जिससे तीन दिनों तक वह घर में पड़ी रही, इस जब उसकी तबीयत काफी नाजूक होने लगी तो परिजनों को बताई कि उसको यूरिन नहीं हो रहा है। जिससे परिजन उसे संजीवनी अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां डाक्टरों जांच किया पता चला कि डिलिवरी के दौरान एक कट लगाया गया था, जहां ब्लड रोकने के लिए कॉटन डला था जो निकला नहीं है। ऐसे में संजीवनी अस्पताल के डाक्टरों ने दोबारा सर्जरी कर कॉटन को निकाला तब जाकर महिला को राहत मिली, ऐसे में अब महिला की स्थिति बेहतर बताई जा रही है।
क्या कहते हैं परिजन
इस संबंध में प्रसुता का पति डेबिट साव ने बताया कि जब संजीवनी अस्पताल पहुंचे तो जांच करने पता चला कि जचकी के दौरान काटन डला था लेकिन छुट्टी के समय निकाला नहीं गया, जिसके चलते यूरिन नहीं हो रही थी, ऐसे में यहां कॉटन को निकालने के बाद यूरिन हुई है, जिससे अब स्थिति में सुधार होने के बाद डिस्चार्ज किया गया है।
क्या कहती है नर्स
इस संंबंध में संजीवनी अस्पताल के गायनिक विभाग के नर्स ने बताई कि नार्मल प्रसव के दौरान कई बार कट लगाना पड़ता है, जिससे ब्लड को रोकने के लिए कॉटन डालते हैं, लेकिन 24 घंटे के अंदर उक्त कॉटन को निकाला जाता है, तब छुट्टी दी जाती है। ऐसे में प्रसुता के अंदर ही कॉटन छूट गया था, जिसके चलते प्रसुता को परेशानी बढ़ गई थी।
क्या कहते हैं मेकाहारा के डाक्टर
इस संबंध में मेडिकल कालेज अस्पताल के गायनिक विभाग के एचओडी डॉ. टीके साहू ने बताया कि हमारे यहां प्रोटोकाल के अनुसार किसी प्रसुता को कट लगाया जाता है और कॉटन डाला जाता है तो उसके फाइल में लिखा जाता है, साथ ही प्रसुता को भी बताया जाता है, ताकि जाते समय काटून को निकलवा सके। ऐसे में इसकी जानकारी हमें मिली थी, जिससे मैने जांच कराया तो उसके फाइल में कहीं पर भी मेनसन नहीं था, साथ ही ड्यूटीरत डाक्टर व नर्स से भी बात किया तो उनके द्वारा भी कोई जानकारी हमें नहीं मिली है। ऐसे में हो सकता है ब्लड का थक्का जम गया होगा।