रायगढ़। नगर निगम में सामान्य सभा निर्धारित समय सीमा पर नहीं होने से भाजपा सीधे-सीधे जनहित के मुद्दों को लेकर शहर सरकार पर गंभीर नहीं होने का आरोप लगाती रही है। लेकिन कांग्रेस नेतृत्व की शहर सरकार इन आरोपों को दरकिनार करते हुए ज्यादातर प्रस्ताव एमआईसी में निर्णय हो जाने की बात करती रही है। खास बात तो यह है कि रायगढ़ नगर निगम में सामान्यसभा काफी विलंब से बुलाए जाते रहे हैं, जिसे लेकर पार्षद भी खासे नाराज हैं। पार्षदों का कहना है कि सामान्य सभा की बैठक में सभी पार्षदों को अपनी बात रखने का अवसर मिलता है, लेकिन महापौर जानकी काजू के कार्यकाल में अब तक महज पांच साधारण सम्मेलन और चार विशेष सभा आयोजित किए गए हैं। इस तरह से शहर सरकार सामान्य सभा बुलाने को लेकर गंभीर नहीं है। जिसका सीधा प्रभाव जनहित से जुड़े मुद्दों को लेकर परिषद में चर्चा नहीं हो पा रही है। राजनीति के जानकार भी इसे बेहद गंभीर मान रहे हैं कि आखिर नगर पालिक अधिनियम के अनुसार नियमित अधिकतम दो माह पर बैठक नहीं आयोजित करना बेहद चिंताजनक है। भाजपा आने वाले दिनों में सामान्य सभा की बैठक बुलाने आयुक्त को पत्र सौपने की तैयारी कर रही है। जबकि महापौर जानकी काटजू गणतंत्र दिवस के बाद सामान्य सभा की बैठक बुलाई जाने की बात कह रही हैं। दरअसल रायगढ़ नगर निगम में सामान्य सभा की बैठक नियमित नहीं बुलाए जाने से पार्षदों में काफी नाराजगी देखी जा रही है। बताया जाता है कि नगर पालिक अधिनियम के तहत हर 2 महीने में सामान्य सभा की बैठक आयोजित की जानी चाहिए, लेकिन गौर करने वाली बात है कि नगर निगम में महापौर जानकी काटजू के कार्यकाल में अब तक महज पांच साधारण सम्मेलन बुलाया जा सका है। इसके अलावा चार विशेष सम्मेलन हुए हैं। परिषद के बैठकों की तिथि वार की बात की जाए तो नगर पालिक निगम के चुनाव के बाद 6 जनवरी 2020 को प्रथम सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इस सम्मेलन में महापौर एवं सभापति का निर्वाचन हुआ था। उसके बाद 24 जुलाई 2020 को विशेष सभा आयोजित की गई, उसके उपरांत करीब 3 महीने बाद 28 अक्टूबर 2020 को परिषद का साधारण सम्मेलन आयोजित हुआ। फिर करीब 5 महीने बाद 26 मार्च 2021 को विशेष सम्मेलन का आयोजन किया गया। करीब 4 महीने बाद 23 जुलाई 2021 को साधारण सम्मेलन आयोजित हुई और उसके उपरांत करीब 7 महीने बाद 25 फरवरी 2022 को साधारण सम्मेलन हो सका। इसी तरह 31 मार्च 2022 को साधारण सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसके चार महीने बाद 11 जुलाई 2022 को विशेष सम्मेलन हो पाया और उसके सात महीने बाद 28 फरवरी 2023 को साधारण सम्मेलन का आयोजन किया गया। साथ ही 28 मार्च 2023 को विशेष सम्मेलन आहूत की गई थी। करीब 6 महीने तक उसके बाद बैठक नहीं बुलाई जा सकी। हालांकि 15 सितंबर 2023 को अविश्वास प्रस्ताव के लिए बैठक बुलाई गई थी, लेकिन इस बैठक में महापौर के अलावा कांग्रेस पार्षद शामिल नहीं हुए। बताया जाता है कि परिषद की बैठक नियमित रूप से नहीं होने पर भाजपा पार्षदों में काफी नाराजगी है। भाजपा के वरिष्ठ पार्षद एवं नगर पालिका निगम के पूर्व सभापति सुभाष पाण्डेय का कहना है कि शहर सरकार का यह रवैया उचित नहीं है। नगर पालिका अधिनियम में स्पष्ट तौर पर उल्लेख है कि दो माह में परिषद की बैठक आयोजित की जानी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। यह बेहद दुर्भाग्य जनक है। भाजपा आने वाले दिनों में आयुक्त को पत्र लिखकर परिषद का सामान्य सम्मेलन बुलाने की मांग करेगी। हालांकि नगर निगम सभापति जयंत ठेठवार का कहना है कि महापौर और आयुक्त द्वारा प्रस्ताव पर चर्चा के लिए सामान्य सभा की बैठक बुलाने कहा जाता है। नियमानुसार इसके लिए नोट सीट चलाई जाती है, सभापति को सामान्य सभा की बैठक की तारीख और समय का निर्धारण करना होता है। महापौर का अधिकार है कि वह आयुक्त से चर्चा कर इसके लिए प्रस्ताव तैयार कराए और परिषद की बैठक बुलाने नियमानुसार प्रक्रिया का पालन किया जाए। बहरहाल नगर निगम में परिषद की बैठक नियमित नहीं होने से जहां पार्षदों को प्रस्ताव पर चर्चा करने का अवसर उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। वहीं जनहित के कई मुद्दों पर परिषद को चर्चा के लिए नियमित बैठक नहीं कराया जा पा रहा है। दोनों ही स्थिति में जनहित के मुद्दे ही प्रभावित होते हैं। इस पर प्रशासन को भी गौर करने की जरूरत है।
सामान्य सभा योग्य प्रस्ताव आने पर होती है बैठक- काटजू
इस संबंध में महापौर जानकी काटजू का कहना है कि जनहित के मुद्दों को लेकर शहर सरकार गंभीर है। भाजपा का आरोप निराधार है। एमआईसी की बैठक में जनहित के मुद्दों पर निर्णय लिया जाता है। एमआईसी की बैठक नियमित तौर पर हो रही है। परिषद की बैठक के लिए प्रस्ताव ही नहीं आ पाते इस स्थिति में सामान्य सम्मेलन बुलाया नहीं जाता। जब सामान्य सम्मेलन के लिए प्रस्ताव आते हैं तो उस पर चर्चा और निर्णय के लिए बैठक का आयोजन किया जाता है। विशेष सम्मेलन में भी प्रस्तावों पर चर्चा करने का अवसर पार्षदों को मिलता है। पार्षद ऐसे कोई प्रस्ताव नहीं देते जिसे सामान्य सभा में चर्चा के लिए शामिल किया जा सके। ऐसी स्थिति में यह कहना ठीक नहीं है कि सामान्य सभा की बैठक काफी अंतराल में बुलाई जाती है।
पार्षदों का सामना करने में हिचक- सुभाष पाण्डेय
सामान्य सभा की बैठक नियमित तौर पर नहीं होने को लेकर भाजपा पार्षदों में काफी आक्रोश है। भाजपा पार्षदों का आरोप है कि जब से महापौर जानकी काटजू के नेतृत्व में शहर सरकार का गठन हुआ है, तब से परिषद की बैठक नियमित नहीं हो पा रही है। वरिष्ठ भाजपा पार्षद सुभाष पाण्डेय का कहना है कि नगर निगम की कांग्रेस सरकार अपने ही दल के लोगों से सामंजस्य नहीं बैठा पाई। बीते 4 वर्षों में आपसी खींचतान में विकास कार्य पूरी तरह से ठप्प पड़ गए हैं। पार्षदों से प्रस्ताव मंगाए जाते हैं लेकिन उन प्रस्तावों को छोडक़र अन्य प्रस्तावों को शामिल कर लिया जाता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के ज्यादातर पार्षद भी नाराज हैं और उनकी नाराजगी का खामियाजा कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ा। यदि आने वाले समय में सामान्य सभा की बैठक की तिथि निर्धारित नहीं की जाती है तो भाजपा पार्षद दल सामान्य सभा बुलाने आयुक्त से मांग करेगा। भाजपा पार्षद श्री पाण्डेय का यह भी कहना है कि बैठक नहीं होने से पार्षद इतने अधिक नाराज हैं कि शहर सरकार उनका सामना नहीं करना चाहती। यही वजह है की बैठक नहीं बुलाई जाती अलग-अलग तरह के बहाने बनाकर आखिर परिषद में चर्चा से भागना उचित नहीं कहा जा सकता। विधानसभा चुनाव में मिली पराजय के बाद तो कांग्रेस की शहर सरकार की स्थिति सबके सामने आ चुकी है। ऐसी स्थिति में पार्षदों के सवालों का जवाब देने से बचने के अलग-अलग तरीके खोजे जा रहे हैं।