रायपुर। झीरम घाटी नक्सली हमले की जांच अब छत्तीसगढ़ पुलिस करेगी। मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई जिसमें हृढ्ढ्र की अपील को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। बता दें 25 मई 2013 को नक्सलियों ने घटना को अंजाम दिया था। जिसमें 30 से ज्यादा कांग्रेस नेता शहीद हो गए थे। लंबे समय से प्रदेश सरकार छत्तीसगढ़ पुलिस से मामले की जांच करवाने की मांग कर रही थी। मामले में कांग्रेस के पक्षकर वकील सुदीप्त श्रीवास्तव ने ये जानकारी दी है। 25 मई साल 2013, यह वह तारीख है जिसे छत्तीसगढ़ में कांग्रेस अपने इतिहास का काला दिन मानती है। बस्तर के झीरम घाटी में माओवादियों ने कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हमला किया था, इस हमले में महेंद्र कर्मा, नंद कुमार पटेल, विद्याचरण शुक्ल, जैसे कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं की हत्या हो गई थी। 25 मई को कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा थी। जो सुकमा से दरभा होते हुए जगदलपुर जा रही थी। सामने नंदकुमार पटेल, फिर कवासी लखमा का काफिला था। इनके बाद महेंद्र कर्मा का काफिला आ रहा था। झीरम घाटी पहुंचते ही जंगल से गाडिय़ों पर अंधाधुंध गोलियां बरसनी शुरू हो गई थी। लोग संभल पाते तब तक कई लाशें बिछ चुकी थीं।
केंद्र सरकार किसे बचाने की कोशिश कर रही
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि, हमले में हमारे वरिष्ठ नेता समेत 32 लोग शहीद हुए थे। विनोद वर्मा ने कहा कि, हमारी सरकार आने के बाद छत्तीसगढ़ पुलिस ने पूरे मामले की जांच शुरू की थी, जिसके बाद एनआईए ट्राइल कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट गई। सभी जगहों से इनकी याचिका खारिज कर दी गई है। अब छत्तीसगढ़ पुलिस जांच कर पूरे षड्यंत्र का पर्दाफ़ाश करने वाली है। उन्होंने कहा, एनआईए के दोनों ही चालान में नक्सलियों के सबसे बड़े नेता गणपति और रामन्ना का नाम ही नहीं डाला गया था। इस राजनीतिक साजिश को छोटी समिति नहीं कर सकती है। आखिर किसको बचाने के लिए इनका नाम हटाया गया था। केंद्र सरकार किसको बचाने के लिए काम कर रही थी। इस पूरे घटनाक्रम की सीबीआई जांच की बात डॉ. रमन सिंह ने की थी, लेकिन समय रहते सीबीआई ने पूरे मामले की जांच करने से इनकार कर दिया था। सीबीआई जांच नहीं करेगी, इस बात को रमन सिंह को बताना चाहिए था। वर्मा ने आगे कहा कि, नेता प्रतिपक्ष होते हुए धरमलाल कौशिक हाईकोर्ट जाते हैं और आयोग की जांच का दायरा नहीं बढ़ाने के लिए याचिका लगाते हैं। आखऱि धरमलाल कौशिक ने किसके बोलने पर याचिका लगाई थी। डॉ. रमन सिंह की विकास यात्रा में हजारों पुलिस कर्मी तैनात थे, लेकिन कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा में केवल 138 पुलिसकर्मी बस्तर जैसे घोर इलाके में लगाए गए थे।
किसे बचाने के लिए जेब में बचाकर रखा था सच- साव
अरुण साव ने कहा कि, मुख्यमंत्री कहते थे झीरम का सच मेरी जेब में है। आखिर किसे बचाने के लिए वह सच जेब में छिपा रखा था, अब उसकी जांच होगी। किसने किसके साथ मिलकर राजनीतिक षड्यंत्र किया, अब वो स्प्ष्ट होगा। भाजपा ने निष्पक्ष जांच की कोशिश हर प्रकार से की, आयोग बना कर जांच कराई। भूपेश बघेल जो सच जेब में लेकर घूम रहे थे वह न तो आयोग में प्रस्तुत हुआ न कोई जांच हुई। अब वही सच बाहर आएगा ऐसी उम्मीद करते हैं।