रायगढ़। किरोड़ीमल जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने एक मरीज का जन्मजात अति विकृति का सफल ऑपरेशन किया है सीमित संसाधनों में हुए इस ऑपरेशन से स्वास्थ्य महकमा गौरवान्वित महसूस कर रहा हैं। माना जा रहा है कि प्रदेश के सभी शासकीय जिला अस्पतालों में यह अपने तरह का पहला ऑपरेशन है। ग्रामीण बालक की अति विकृत पैर जटिल ऑपरेशन कर इस बच्चे को परेशानी से निजात दिलाने के साथ ही जिला किरोड़ीमल अस्पताल ने सफलता का नया इतिहास रचा है। सफल ऑपरेशन के बाद बच्चेको काफी राहत है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत रायगढ़ जिले के चिरायु टीम के लैलूंगा यूनिट के टीम प्रभारी डॉ. गोविंदा कामड़े व सदस्य डॉ प्रीति माला शिंदे हैं। इसी के फार्मासिस्ट गुलाब पैंकरा को स्कूल में भ्रमण के दौरान उक्त बच्चे को चलने में असमर्थ देखकर जिला किरोड़ीमल चिकित्सालय में इलाज कराने भेज गया। किलकिला के हाड़ीपानी स्कूल की 6 वीं पढऩे वाले सुधर सिंह नागवंशी पिता बैगा राम की तबियत अब ठीक है। आपरेशन से पहले लैलूंगा चिरायु टीम द्वारा इस बच्चे की प्रारंभिक जांच की गई और उसके बाद फिर किरोड़ीमल जिला अस्पताल के लाया गयं जहां अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ दिनेश पटेल और डॉ राजकुमार गुप्ता द्वारा परीक्षण करने पर अस्थि विकृत क्लब फूट डायग्नोसिस किया गया। अस्पताल में बच्चे के माता-पिता ने बताया कि बच्चे को चलते समय दर्द होता है। साथ ही सीढिया नहीं चढ़ पाता है , जोड़ो में, कमर के नीचे दर्द और बिना सहारा के उठने-बैठने में तकलीफ से पिछले 8 सालो से सुधर को हो रही हैं। कई जगह से इलाज करने के बाद भी उसे फायदा नहीं हुआ। जांच में पता चला कि उसके पंजे की हड्डी पूरी तरह से विकृत हो चुकी है। इसके कारण मरीज का चलना-फिरना भी काफी समय से कम हो चुका था। जिला अस्पताल के फिजियोथैरेपिस्ट डॉक्टर सिद्धार्थ सिन्हा ने बताया कि इस बीमारी को क्लब फूट के नाम से भी जाना जाता है। यह समस्या सामान्यत: पैर की हड्डी में होती है
क्लब फुट मनुष्यों में सबसे अधिक पायी जाने वाली जन्मजात बीमारी (विकृति) है। यह प्रत्येक एक हजार जन्मे बच्चों में एक से तीन की संख्या में मिल जाती है। हर वर्ष भारत में लगभग 60 हजार बच्चे इस समस्या से ग्रसित पैदा होते हैं। इस विकृति में पैर के पंजों की बनावट गोल्फ के क्लब की तरह दिखती है, इसीलिए इसे क्लब फुट कहते हैं। विश्व में पोसेटी की इलाज विधि ने क्लब फुट ग्रसित बच्चों में एक आशा की किरण दिखाई है। यह विकृति साप्ताहिक प्लास्टर से तथा अंतिम प्लास्टर के पहले एक छोटे से ऑपरेशन की सहायता से सही हो जाती सीएस डॉक्टर आर एन मांडवी के कुशल मार्गदर्शन में सर्जरी केस की गंभीर स्थिति को देखते हुए डॉ अस्थि रोग विशेषज्ञ द्वारा सर्जरी करने की सलाह दी। इस आवश्यक जटिल सर्जरी की व्यवस्था के लिए स्वयं डॉ राजकुमार गुप्ता, डॉक्टर दिनेश पटेल अस्थि रोग विशेषज्ञ, डॉ राजकुमार गुप्ता और डॉ पी एल पटेल, निश्चेतना विशेषज्ञ की मदद के द्वारा बच्चे की सर्जरी किया गया। इसके अलावा पूरा इलाज नि:शुल्क हुआ है। जिला अस्पताल के फिजियोथैरेपिस्ट डॉ श्यामजीत किंडो ने बताया कि घाव के पूरा सूख जाने के बाद पैरों में कड़ापन ना आए और पैरों में लचीलापन बना रहे उसके लिए फिजियोथेरेपी के द्वारा व्यायाम इसको सिखाया जाएगा और चलने का प्रेक्टिस कराया जाएगा। जिला अस्पताल रायगढ़ में क्योर इंटरनेशनल के द्वारा ऐसे बच्चों के सहायता हेतु विशेष रूप से कोऑर्डिनेटर गीता साहू को नियुक्त किया गया है जो कि ऐसे बच्चों को समय-समय पर प्लास्टर एवं छोटे शल्य क्रिया तथा निशुल्क जूते के द्वारा पैरों को सीधा करने का समय-समय पर बच्चों के अभिभावकों को जानकारी दी जाती है।