रायपुर। शुद्ध पानी सब का अधिकार है। इसी अधिकार को पुरा करने नगरीय प्रशासन विभाग ने 2017 में राज्य के 198 निकायों में वॉटर एटीएम लगवाया। वॉटर एटीम ठेकेदार ने चालू भी नहीं किया और उसे 3 करोड़ का आरटीजीएस कर दिया गया। जबकि मशीन शुरू नहीं होने की स्थिति में ठेकेदार से लगभग 9 करोड़ का पेनाल्टी वसूलना था।
राज्य के कई जिले फ्लोराईड की समस्या से जुझ रहा है। गरियाबंद का सूपेबड़ा जहां दर्जनों लोगों की मौत हो गई। शुद्ध पानी अब तक वहां के लोगों को नसीब नहीं हुआ। इसी तरह, कोरबा, रायगढ़, महासमुंद सहित कई जिले ऐसे है जहां फ्लोराईड की समस्या है। आम नागरीक राहगिरों को शुद्द पेयजल मिले इस लिए 198 निकायों में वॉटर एटीएम लगा तो है मगर 6 सालों में स्थानीय लोग बताते है कभी मशीन से एक बूंद पानी नहीं निकला। पानी नहीं निकला तो मेटेनेंस कैसा और बिल का भुगतान के लिए राशि कैसे जारी की गई। सारंगढ़ के दीपक कुमार ने बताया कि जब से राईट वाटर कंपनी ने वाटर एटीएम लगाया है तब से एक बूंद पानी नहीं निकाल अब मशीन खराब हो गया है।
अभिषेक शर्मा- आरटीआई कार्यकर्ता ने जानकारी दी है कि प्रदेश में लगे वॉटर एटीएम बंद है। अधिक्तर वाटर एटीम स्थिति जर्जर हो चुकी है। बंद वॉटर एटीएम के लिए करोड़ो का भुगतान कर दिया गया। विभागीय योजना को अधिकारियों के साथ मिल कर पलीता लगाया गया है ।
क्या कहते है मंत्री
विभागीय मंत्री अरुण साव ने कहा है कि भुगतान की अपनी प्रक्रिया है। यदि शिकायत आई है तो मामले की जांच की जाएगी।
कब लगा वाटर एटीएम..
वॉटर एटीएम 2017 में लगा
7 सालों तक मशीन चालू नहीं हुआ
शर्तो के अनुसार एक माह मशीन बंद रहनें से 5 हजार जुर्माना होता।
करोड़ की पेनाल्टी वसूलने के बजाय विभाग ने साढ़े तीन करोड़ आरटीजीएस कर दिया।
आरटीजीएस किस आधार पर किया गया जबकि मेनटेनेंस की अवधी खत्म हो गई थी।
वॉटर एटीएम चलाने वाले कंपनी की शिकायत विभाग के साथ साथी ईडी को भी की गई है।
एक फर्म के 5 अलग अलग जीएसटी नम्बर है इसकी शिकायत भी की गई है।
एक प्रोपराईटर का एक ही जीएसटी नम्बर होना चाहिए।
बड़ी कर चोरी के भी आरोप लगे है।