सारंगढ़। कलेक्टर धर्मेश साहू के निर्देशन में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर एफ आर निराला के निगरानी में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए जिले के तीनों ब्लॉक में ढ्ढष्ठ्र की दवाई खिलाई जा रही है 27 फरवरी को जिला स्तरीय कार्यक्रम की शुभारंभ क्षेत्रीय सांसद श्रीमती कमलेश जांगड़े के द्वारा जिला नोडल अधिकारी डॉक्टर रामजी शर्मा को आईडीए की दवाई सामुदायिक भवन बिलाईगढ़ में खिला कर कार्यक्रम की शुभारंभ की गई शासन ने 2027 तक फाइलेरिया को उन्मूलन करने का निर्णय लिया है पिछले 2 वर्ष तक जिले की 2 विकास खंड बरमकेला एवं सारंगढ़ में आईडीए का पायलट प्रोजेक्ट चलाया गया था इस वर्ष कार्यक्रम को विस्तारित की गई जिसमे बिलाईगढ़ विकाश खंड को भी शामिल किया गया है फाइलेरिया याने हाथीपांव की बीमारी एक परजीवी के कारण होता है जिसे मादा क्यूलेक्स मच्छर के द्वारा फैलाया जाता है हाथीपांव की बीमारी के परजीवी जब सूक्ष्म रूप में होता है तभी उसे नष्ट कर सकते है जवान होने की स्थिति में इसे समाप्त नहीं किया जा सकता । यही कारण है कि – परजीवी को नष्ट करने के लिए पूरे समुदाय को आईडीए की दवाई खिलाई जाती है।
परजीवी के बड़े होने की स्थिति में मानव शरीर के लासिका तंत्र को बाधित करता है परिणाम स्वरूप पैरों में सूजन होती है एक बार पैर में सूजन हो जाने केबाद इसे ठीक नहीं किया जा सकता है इसलिए फाइलेरिया होने के पहले ही जब सूक्ष्म रूप में परजीवी होता है तब उसे मारा या नष्ट किया जा सकता है यही कारण है कि समुदाय को एक साथ दवाई खिलाई जाती है । फाइलेरिया या हाथीपांव उन्मूलन के यह अभियान 4 दिन बूथ में चलाया गया आंगनवाड़ी केंद्रों ,शालाओं ,कार्यालयों को बूथ बनाई गई थी जिले में ऐसे बूथों की संख्या 1391 है 4 दिन की इस बूथ गतिविधि में 210250 लोगो को दवाई खिलाई गई है जो कुल लक्षित समूह का 31त्न है । बूथ मे दवाई खिलाने पर बाएं हाथ के छोटी उंगली में निशान भी लगाए जा रहे है जो बूथ में दवाई नहीं खाए है । उन्हें 3 मार्च से 10 मार्च तक घर घर जाकर दवाई खिलाई जाएगी।
उसके बाद 11 मार्च से 13 मार्च तक जिन्होंने बूथ में और घर में दवाई नहीं खा पाएंगे उन्हें माप अप राउंड चला कर छुटे हुए लोगों को खोज खोज कर आईडीए की दवाई खिलाई जाएगी आईडीए ( सामूहिक दवा सेवन अभियान) की इस अभियान में 3 प्रकार की दवाई समाहित है 2 दवाई उम्र के अनुसार दी जा रही है जबकि एक दवाई को ऊंचाई के अनुरूप दी जा रही है। एलबेंडाजोल है, एलबेंडाजोल की गोली को वर्ष में 2 बार अगस्त और फरवरी में दी जाती है लेकिन फाइलेरिया नाशक दवाई की वर्ष में एक बार ही दी जानी होती है तीनों दवाई की कंपोजिशन में दोनों बीमारी को नष्ट करने में सहायक है एलबेंडाजोल कृमि नाशक गोली है जिसका सीधा संबंध स्वच्छता से होती है समुदाय से अपेक्षा की जाती है कि वे अपने घर पारा ,गली आदि की स्वच्छ बनाए रखे इससे कृमि मुक्ति को सफल बनाने में सहायक होगी याद रहे घर में छोटे बच्चे नंगे पैर रहते है घर में खेलते रहते है कुछ कृमि जो नग्न आंख से नहीं देखी जा सकती वे बच्चो के पैर के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर जाता है कुछ कृमि नग्न आंखों से देखी जा सकती है जैसे ड्डह्यष्ड्डह्म्द्बह्य ,फीता कृमि जो भोज्य पदार्शों के साथ मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर जाता है दोनों ही माध्यम से शरीर में प्रवेश करने के बाद आंत को अपना स्थान बनाता है और जीवित रहने के लिए हमारे पोशाक तत्वों का सेवन करते रहता है। जिससे शरीर कमजोर होता है और रक्त अल्पता को बढ़ाते जाता है हृस्न॥स् 5 के रिपोर्ट के अनुसार छत्तीस गढ़ में 6 माह से 5 वर्ष के बच्चो में रक्त अल्पता अर्थात खून की कमी ( एनीमिया) 69 प्रतिशत है 6 वर्ष से 10 वर्ष के बीच के बच्चो में रक्त अल्पता की दर 60 प्रतिशत से अधिक है जबकि 10 वर्ष से 19 वर्ष के वर्ग समूह में रक्त अल्पता की दर 61त्न से ज्यादा है विशेष कर बालिकाओं में रक्त अल्पता या खून की कमी को आसानी से पूर्ति कर सकते है खान पान को सुधार करके एवं आयरन की सप्लीमेंट कराके यही कारण है कि 6 माह से 5 वर्ष के प्रत्येक बच्चे को वर्ष में 2 शीशी आयरन सिरप की दी जाती है जिसे सप्ताह में दो दिन मंगलवार और शुक्रवार को एक एक द्वद्य दी बजती है जबकि 6 वर्ष से 10 वर्ष के ग्रुप के बच्चे को पिंक कलर की आयरन गोली प्रति मंगलवार को खिलाई जाती है जबकि 10 से 19 वर्ष के बीच समूह के बच्चे को आयरन फ़ोनिक एसिड नीले रंग की 2द्बद्घह्य की गोली प्रति मंगलवार खिलाई जाती है।
बच्चो में जो रक्त अल्पता कृमिरोग या अन्य कारणों से होती है उसकी भरपाई हमे आयरन फोलिक एसिड को गोली से करने होते है। कुछ माह पूर्व स्कूल के बच्चो की टीएएस एक प्रकार की जांच है जिससे पता लगाया जाता है बच्चे में फाइलेरिया के परजीवी है कि नहीं यह टीएएस की परीक्षण जिले मे फेल हो चुकी है क्योंकि बच्चोंके खून के नमूना जांच घनात्मक आया है यही कारण है कि समुदाय को फाइलेरिया रोधी एवं कृमि रोधी दवाई खाना जरूरी हो गया है आईडीए की दवाई उन्हें नहीं खिलाई जानी है 2 वर्ष के कम उम्र के बच्चे ,गर्भवती माताएं ,बीमार लोग एवं वृद्ध व्यक्ति बाकी सभी को आईडीए की दवाई खिलाई जाएगी दवा खिलाने के लिए लक्षित व्यक्तियों की संख्या जिले में 664312 है जिन्हें दवाई खिलाएंगे इस आईडीए की दवाई को सामने ही खिलाना होता है कई लोग बाद में खा लेंगे दवाई दे दीजिए लेकिन दवा नहीं खाते है जो उचित नहीं है छोटे बच्चे जो आंगन में घर में नंग पैर खेलते है उन्हें कृमि रोग ज्यादा होता है बच्चों को यथा संभव मोजे जूते पहना के रखने चाहिए प्रत्येक शौच के बाद और खाना खाने के पहले हाथ जरूर साफ करना चाहिए कुछ कृमि के परजीवी जिसे फीता कृमि कहते है सुअर के मांस खाने से होता है इसके परजीवी के लिए मनुष्य और सुअर दोनों होस्ट होते है बारी बारी से दोनों होस्ट में रहता है यही कारण है कि मनुष्य द्वारा सुअर के मांस खाने पर फीता कृमि होने की संभावना होती है कृमि रोग को समाप्त करने के लिए स्वच्छता अभियान को अपनाना टॉयलेट का उपयोग करना टॉयलेट को साफ रखना , घर आंगन को साफ रखना जरूरी होता है इसी कारण गांव गांव को ओडीएफ (खुले में शौच मुक्त )किया गया है कृमि रोज का सीधा संबंध रक्त अल्पता या एनीमिया या खून की कमी होता है आईडीए की दवा पूर्णत: सुरक्षित है कुछ लोगों को सिर दर्द ,बदन दर्द ,पेट में दर्द की शिकायत होती है जो शरीर मे माइक्रो फाइलेरिया या कृमि के परजीवी होने के कारण हो सकता है दवाई खाने के बाद परजीवी मरता है परिणाम स्वरूप रिएक्शन होता है ये साइड इफेक्ट दिखता है कोई भी गोली खाने से जी मिचलाता है आम तौर पर इसे इलाज करने की जरूरत नहीं होती फिर भी दर्द नाशक गोली एवं एंटासिड की गोली खाई जा सकती है ये गोली स्वास्थ्य कार्यकर्ता, सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी के पास मिल जाएगा विशेष परिस्थिति के लिए रैपिड रिस्पॉन्स टीम की गठन भी की गई है परेशानी होने पर 104 पर भी फोन करके परामर्श ली जा सकती है।
फाइलेरिया उन्मूलन के लिए जिले में खिलाई जा रही दवाई
