रायगढ़। जिले के शासकीय महाविद्यालय तमनार में स्नातक एवं स्नातकोत्तर हिन्दी के विद्यार्थियों के लिए एक दिवसीय अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया। जिसमें मोतीलाल नेहरू महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय नई दिल्ली में पदस्थ सहायक प्राध्यापक हिन्दी सौरभ सराफ और किरोड़ीमल शासकीय कला एवं विज्ञान महाविद्यालय रायगढ़ में पदस्थ प्रो उत्तरा सिदार सम्मिलित हुए। हिंदी साहित्य का इतिहास और हिन्दी में करियर की संभावनाएं विषय पर दो अलग-अलग सत्रों में यह आयोजन सम्पन्न हुआ। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. पी एम. दास ने सर्वप्रथम पुष्पगुच्छ देकर प्रो सौरभ और प्रो उत्तरा सिदार का स्वागत किया और उनके आगमन को विद्यार्थी वर्ग के लिए बहुत लाभप्रद बताया। हिन्दी विभाग के अध्यक्ष कमल यशवंत सिन्हा ने इस अवसर पर आयोजन की रूपरेखा और उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमारे लिए यह अत्यंत सुखद क्षण है कि देश के सबसे प्रतिष्ठित दिल्ली विश्वविद्यालय से वक्ता के रूप में सौरभ सराफ यहां आएं हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए इस बात पर विशेष रूप से ध्यान आकृष्ट किया कि प्रो सौरभ मूलत: रायगढ़ छत्तीसगढ़ के ही हैं और अभी दिल्ली विश्वविद्यालय में सेवाएं दे रहें हैं ऐसे में विद्यार्थियों को उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए कि यहां रहकर पर देश के शीर्षस्थ संस्थाओं तक पहुँचा जा सकता है। तत्पश्चात अतिथि व्याख्याता नंदिनी गुप्ता ने प्रो सौरभ का विस्तृत परिचय पढक़र उन्हें व्याख्यान हेतु आमंत्रित किया। प्रो सौरभ से व्याख्यान के आरंभ में सर्वप्रथम प्राचार्य डॉ. पी एम दास और विभागाध्यक्ष हिन्दी कमल यशवंत सिन्हा को अतिथि व्याख्यान के लिए बुलाये जाने पर धन्यवाद ज्ञापित किया तत्पश्चात व्याख्यान के पहले सत्र के मूल विषय हिंदी साहित्य के इतिहास पर विस्तार से अपनी बात रखी। उन्होंने भाषा और साहित्य के स्वरूप का विवेचन विश्लेषण करते हुए उसकी सामाजिक उपयोगिता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि हिंदी साहित्य के इतिहास को समझने के लिए उसकी पृष्ठभूमि विशेषकर संस्कृत भाषा साहित्य एवं तत्कालीन समाज की आर्थिक, राजनैतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक परिस्थितियों को समझना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि साहित्य के किसी कालखंड का प्रादुर्भाव एकाएक किसी निश्चित दिन पर नहीं होता। उन्होंने वैदिक और लौकिक संस्कृत, पाली, प्राकृत और अपभ्रंश से होते हुए हिंदी तक कि यात्रा पर प्रकाश डाला तत्पश्चात आदिकाल, भक्तिकाल, रीतिकाल और आधुनिक काल के साहित्य का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया। उन्होंने इतिहास दृष्टि पर बात करते हुए आचार्य रामचंद्र शुक्ल, आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी, रामस्वरूप चतुर्वेदी, डॉ. नागेंद्र इत्यादि के प्रमुख विचारों पर भी प्रकाश डाला। व्याख्यान के प्रथम सत्र में हिंदी साहित्य के इतिहास को समझने देखने की एक नवीन दृष्टि विद्यार्थियों में विकसित हुई। तत्पश्चात द्वितीय सत्र आरम्भ हुआ जिसमें हिन्दी में करियर की संभावनाओं पर चर्चा की गई। प्रो सौरभ ने इस सत्र में प्रतियोगी परीक्षाओं विशेषकर आईएएस एवं राज्य लोक सेवा आयोग से संबंधित विभिन्न परीक्षाओं में वैकल्पिक हिंदी प्रश्नपत्र पर चर्चा की। नेट, जे आर एफ, पीएचडी के माध्यम से सहायक प्राध्यापक बनने की आवश्यक योग्यताओं से विद्यार्थियों को परिचित कराया। साथ ही सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा एवं विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापक बनने के लिए अनिवार्य योग्यताओं को भी रेखांकित किया कि किस प्रकार महाविद्यालय और विश्वविद्यालयों के सहायक प्राध्यापक भर्ती प्रक्रिया में अंतर होता है। उन्होंने हिंदी में रोजगार की संभावनाओं को रेखांकित करते हुए पटकथा लेखन, स्क्रिप्ट राइटिंग, अनुवाद, ब्लॉग लेखन, राजभाषा अधिकारी, विद्यालयों में शिक्षक, टीजीटी, पीजीटी, केंद्रीय विद्यालय और नवोदय विद्यालय में शिक्षक बनने जैसे हिंदी में रोजगार के क्षेत्र से जुड़े अनेक पहलुओं को स्पष्ट किया और बताया कि हिन्दी भाषा साहित्य में आज रोजगार की व्यापक संभावनाएं मौजूद हैं। तत्पश्चात प्रश्नोत्तर सत्र की शुरुआत हुई। विद्यार्थियों द्वारा इस सत्र में दोनों सत्रों से जुड़े प्रश्नों को विषय विशेषज्ञ से पूछा गया जिसका उत्तर प्रो सौरभ द्वारा दिया गया। सौरभ सराफ ने इस अवसर पर विद्यार्थियों के विषय के प्रति रुचि और समर्पण की सराहना की। और कहा निरन्तर 3 घण्टे किसी विषय पर व्याख्यान सुनना विद्यार्थियों के अध्ययन के प्रति विशेष लगन रेखांकित करता है। तत्पश्चात किरोड़ीमल शासकीय कला एवं विज्ञान महाविद्यालय रायगढ़ छत्तीसगढ़ में हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो उत्तरा सिदार का भी व्याख्यान हुआ जिसमें उन्होंने सरल सहज शब्दों में हिंदी भाषा के महत्व को रेखांकित किया। अंत में विभागाध्यक्ष कमल यशवंत सिन्हा द्वारा विषय विशेषज्ञ के प्रति आभार व्यक्त किया गया। इस व्याख्यान माला में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. पी एम दास, कमल यशवंत सिन्हा, नंदिनी गुप्ता एवं स्नातक व स्नातकोत्तर हिन्दी के विद्यार्थियों की सक्रिय सहभागिता रही।