रायगढ़। जिले के घरघोड़ा तहसील में खतरनाक रसायनों से विस्फोटक बनाने वाली ब्लैक डायमंड एक्सप्लोसिव्स कंपनी के लिए प्रशासन ने अपना पूरा तंत्र झोंक दिया है। कंपनी की इतनी जल्दी नहीं थी, जितनी तेजी एसडीएम ने दिखाई। घना जंगल काटने, पर्यावरण को नष्ट करने और ग्रामीणों के विरोध को दबाने में प्रशासनिक मशीनरी पूरी तरह से उद्योगपतियों के पक्ष में खड़ी नजर आ रही है।
ग्रामीण चिल्लाते रहे, प्रशासन उद्योगपतियों के लिए बिछ गया
घरघोड़ा के डोकरबुड़ा गांव में खदानों के लिए विस्फोटक बनाने वाली कंपनी को 10 एकड़ से अधिक जंगल क्षेत्र की जमीन दे दी गई है। ग्रामीण विरोध करते रहे, लेकिन एसडीएम रमेश मोर ने चुपचाप भूमि का डायवर्सन कर दिया। पटवारी की रिपोर्ट में जंगल की बात छिपाई गई, ताकि कंपनी को फायदा पहुंचाया जा सके। क्या रायगढ़ अब उद्योगपतियों के इशारे पर चलेगा? क्या प्रशासन जनता के बजाय सिर्फ पैसों की भाषा समझता है?
भूमाफियाओं व कंपनी की साजिश से दो बार बेची गई जमीन
धनबाद की ब्लैक डायमंड एक्सप्लोसिव्स ने घरघोड़ा के डोकरबुड़ा में 10 एकड़ जंगल खरीद लिया। इस सौदे में जमीन दलालों और उद्योगपतियों की मिलीभगत थी। एक ही जमीन को दो बार पलटी कर बेचा गया, जिससे सरकार को भी भारी नुकसान हुआ। कंपनी के मालिक आलोक खेतान के लिए प्रतीक वर्मा नाम के व्यक्ति ने जमीन खरीदी। खसरा नंबर 206, 207ध्1 और 207ध्2 की रजिस्ट्री और नामांतरण भी गुपचुप तरीके से करवा लिए गए। इतना ही नहीं, रजिस्ट्री में जंगल की स्थिति और पेड़ों की संख्या छिपाई गई, ताकि प्रशासन को भ्रम में रखा जा सके।
क्या भाजपा सांसद और प्रशासन जवाब देंगे?
रायगढ़ में उद्योगपतियों की समानांतर सरकार चल रही है। क्या सांसद राधेश्याम राठिया और ैक्ड रमेश मोर इस घोटाले पर सफाई देंगे? या फिर प्रशासन केवल धनकुबेरों की सेवा में ही लगा रहेगा?
रायगढ़ में उद्योगपतियों का दबदबा, ग्रामीणों के विरोध के बावजूद प्रशासन ने दी मंजूरी
घरघोड़ा में बारूद का जखीरा बनाने की तैयारी?° ग्रामीणों के विरोध के बावजूद एसडीएम ने किया डायवर्सन
