रायगढ़। नगर निगम चुनाव में महापौर और 33 पार्षदों की मिली जीत से भाजपा नेता और कार्यकर्ताओं की खुशी का ठिकाना नहीं है। रायगढ़ नगरनिगम में शहर सरकार बनाने का उत्साह पार्टी में साफ नजर आ रहा है। चुनाव जीत कर आए पार्षद अब नगरनिगम सभापति के चयन को लेकर उत्साहित हैं। पार्षदों के प्रचंड बहुमत से लबरेज भाजपा से अब निगम सभापति पद के लिए दावेदारी भी शुरू हो गई। जिनमें एक से अधिक बार चुनाव जीतने वाले पार्षद अब शहर सरकार में सभापति बनने का सपना संजोए दावेदारी पर उतर आए हैं। चुनावी नतीजों के बाद से ही सभापति पद के संभावित दावेदारों में महिला नेत्री पूनम दिपेश सोलंकी सबसे ज्यादा सुर्खियों में हैं। नगर निगम के बीते कार्यकाल में नगरनिगम नेता प्रतिपक्ष रही पूनम सोलंकी भाजपा की बेहद सक्रिय महिला नेत्री में सुमार हैं। बताया जाता है कि इस बार पार्षद पद पर पूनम सोलंकी का निर्विरोध निर्वाचित होना भी पार्टी के लिए नगरनिगम चुनाव के लिए बेहद अहम रहा। चुनावी माहौल को भाजपा के पक्ष में बनाने पूनम सोलंकी और नारायण पटेल के निर्विरोध निर्वाचित होने की खासी चर्चा रही। इस नजरिए से पूनम सोलंकी की दावेदारी बेहद प्रबल मानी जा रही है। तीसरी बार पार्षद बनीं पूनम सोलंकी, नगरनिगम में नेता प्रतिपक्ष के तौर पर कांग्रेस की शहर सरकार की सशक्त घेराबंदी में सफल साबित हुईं। कांग्रेस की तत्कालीन महापौर जानकी काटजू के कार्यकाल के दौरान शहर सरकार की नीतियों का मुखर विरोध पूनम सोलंकी की नेतृत्व क्षमता से भाजपा वाकिफ है, जिसका लाभ उन्हें मिलने की पूरी संभावना जताई जा रही।
पूनम सोलंकी के अलावा नगरनिगम के पूर्व सभापति सुरेश गोयल भी सभापति पद के प्रबल दावेदार के तौर पर सामने आ रहे हैं। वार्ड नंबर 19 के प्रतिष्ठापूर्ण चुनाव में भाजपा को प्रचंड जीत दिलाने में सुरेश गोयल कामयाब रहे। यह सुरेश गोयल की नेतृत्व क्षमता और लोकप्रियता को दर्शाता है। मारवाड़ी समाज में खास पैठ रखने वाले सुरेश गोयल हमेशा पार्टी की सक्रिय राजनीति में रहें हैं। इसके अलावा सामाजिक गतिविधियों में सुरेश गोयल की हमेशा बढ़ चढक़र रही भागीदारी उनके मिलनसार व्यक्तित्व का साक्षी रहा है। पार्टी के हर आयोजन में उनकी सक्रियता एक कर्मठ कार्यकर्ता के भाव को प्रदर्शित करता रहा है। नगर पालिका के दौर स्थानीय राजनीति में अपनी लोकप्रियता का लोहा मनवा चुके सुरेश गोयल नगर निगम की राजनीति में सक्रिय रहे हैं। यही वजह है कि नगरनिगम में भाजपा की प्रथम सरकार बनने पर महापौर महेंद्र चौहथा के कार्यकाल में सुरेश गोयल को पार्टी ने सभापति का दायित्व सौंपा। अब दूसरी बार सभापति पद के लिए सुरेश गोयल की दावेदारी को बेहद मजबूत माना जा सकता है। सभापति पद के संभावित दावेदारों में पांचवीं बार पार्षद बने पंकज कंकरवाल के नाम की भी चर्चा है। वार्ड नंबर 23 से पार्षद पंकज कंकरवाल पूर्व में नगरनिगम नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं। पूर्व विधायक रोशन लाल के बेहद करीबी रहे पंकज कंकरवाल अच्छे वक्ता के तौर पर माने जाते हैं। नगर निगम की बैठकों में अलग-अलग मुद्दों को लेकर सत्ता पक्ष से बहस में उनकी अच्छी पैठ रही। जिसे लेकर वे पार्टी के चहेते पार्षद के तौर पर सक्रिय भी रहे। इनके अलावा कुछ अन्य पार्षद भी सभापति पद की दौड़ में हैं। संभावित दावेदारों में आशीष ताम्रकार, मुक्तिनाथ बबुआ व नारायण पटेल अपनी लामबंद करने की तैयारी में है। नगरनिगम चुनाव में शानदार प्रदर्शन के साथ प्रचंड बहुमत में आई भाजपा सभापति पद के चयन में क्या रणनीति अपनाती है? इसे लेकर कुछ कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन यह तय है कि भाजपा ने इस चुनाव में विकास की राजनीति का जो दावा किया है। उसे अमलीजामा पहनाने के लिए महापौर जीवर्धन चौहान की शहर सरकार में सभापति जैसे महत्वपूर्ण पद का दायित्व किसे दिया जाएगा इसे लेकर फिलहाल चर्चाओं का दौर जारी है।
कौन कर रहा दावेदारी, समझ जरूरी
राजनीति में हर चीज के मायने निकाले जाते हैं। नगरनिगम की सत्ता में आई भाजपा,इसे बखूबी समझना चाहेगी कि किसकी कितनी योग्यता है। बताया जाता है कि इस बार नगरनिगम चुनाव में सत्तारूढ़ पार्टी दल भाजपा की टिकट पाने की होड़ मची थी, पार्टी ने टिकट बंटवारे में जिस सूझ बूझ का परिचय दिया,उसका परिणाम सामने है। सभापति जैसे महत्वपूर्ण पद के लिए अपने स्थानीय आला नेताओं की चरण वंदना कर लामबंदी करने वाले संभावित दावेदार यह समझ नहीं पा रहे हैं कि अब राजनीति चमकाने का वो दौर गुजर गया। खनिज माफिया, और ठेकेदारी प्रथा को प्रश्रय देने वाले राजनीति के हाशिए पर ही रहेंगे।
इच्छाएं सबकी, संगठन सर्वोपरि-पूनम
निगम सभापति के दावेदारी के संबंध में जब श्रीमती पूनम सोलंकी से चर्चा की गई तो उन्होंने बड़े ही सरल व सहज ढंग से मुस्कुराते हुए कहा कि भाजपा कैडरवेश पार्टी है, पार्टी का निर्णय हमारे लिए आदेश है। इच्छाएं सबकी रहती है, लेकिन संगठन कार्यों को देखकर निर्णय लेता है। हम सब संगठन के अनुशासन के दायरे में रहकर ही कार्य करते हैं। वार्डवासियों के प्रति तनमयता व कार्यों को देखकर पार्टी प्रत्याशी बनाती है और वार्डवासी भरपूर आशीर्वाद देकर पार्षद बनाते हैं। उसके बाद संगठन जो भी दायित्व देता है उसे हम पूरी निष्ठा के साथ पूरा करते हंै। पिछले बार शहर में कांग्रेस की सरकार थी तो पार्टी ने उन्हें निगम का नेता प्रतिपक्ष बनाया था। मैने पूरी निष्ठा व ईमानदारी के साथ पार्टी के अनुशासन को ध्यान में रखते हुए अपने कतव्यों का पालन किया। अब भी संगठन जो दायित्व सौंपेंगा उसी ईमानदारी व निष्ठा के साथ पूरा करुंगी।
अपनी राजनीति चमकाने वालों का क्या?
भाजपा प्रदेश की सत्ता में आने के बाद से बेहद संजीदा हो कर राजनीति कर रही है। इसका नजारा की बार देखने को मिल चुका है। आईएएस की नौकरी छोडक़र राजनीति में आए ओपी चौधरी विकास की राजनीति को आधार बनाकर कर विकास की नई अवधारणा रच रहे हैं। नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा ने जिस रणनीति के साथ प्रत्याशियों का चयन कर चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया। उसके पीछे भविष्य की राजनीति को सुघड़ बनाने की। राजनीति के जानकारों की मानें तो जिस तरह भाजपा ने एक चायवाले जमीनी और निष्ठावान कार्यकर्ता को महापौर का प्रत्याशी बनाया और जनता का प्रचंड बहुमत से आशीर्वाद प्राप्त किया। उसी मंशा से भाजपा नगरनिगम में शहर सरकार का गठन करेगी, जिस मंशा ने आमजनता ने भाजपा पर विश्वास जताया।
निगम सभापति के लिए सियासी हलचल तेज, पूनम सोलंकी सशक्त दावेदार
सुरेश गोयल, पंकज कंकरवाल, आशीष ताम्रकार के अलावा और भी रेस में
